मशहूर स्टॉक इनवेस्टर एड्रियन मोवात का मानना है कि इंडियन स्टॉक मार्केट्स के लिए 2025 में ज्यादा चुनौतियां दिख रही हैं। इस बीच, चीन और दूसरे उभरते बाजारों को अच्छे निवेश और कुछ सेक्टर्स में तेजी का फायदा मिला है। इंडिया पर अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार भारत के पीछे पड़ी हुई है, जबकि भारत और चीन दोनों ही रूस से क्रूड ऑयल खरीद रहे हैं। उन्होंने इसे अनुचित बताया।
इंडियन कंपनियां हर समस्या का समाधान निकलने में सक्षम
Adrian Mowat ने मनीकंट्रोल को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, "इंडियन मार्केट्स के लिए कुछ नए चैलेंजेज दिख रहे हैं। इनमें एच-1बी वीजा के नए नियम और स्टील पर टैरिफ शामिल हैं। इससे उन सेक्टर्स पर प्रेशर पड़ा है, जो लंबे समय से इंडियन मार्केट्स को ताकत देते रहे हैं। इन कंपनियों का मैनेजमेंट अच्छा है। ये समस्या का समाधान निकाल लेंगी। लेकिन, अगर शॉर्ट टर्म की बात की जाए तो मेरा मानना है कि इन स्टॉक्स में निवेश से आपको अच्छा रिटर्न मिलने नहीं जा रहा है।"
इंडिया के लिए स्थितियां थोड़ी मुश्किल हुई हैं
इंडिया को तीन दशकों से ज्यादा समय तक ट्रैक करने वाले मोवात ने कहा कि इंडिया के लिए स्थितियां थोड़ी मुश्किल हुई हैं, जबकि दूसरे मार्केट्स में हालात बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "2025 की बाकी अवधि में चीन का प्रदर्शन भारत के मुकाबले बेहतर रहेगा। " उनका संकेत चीन में डिविडेंड में इजाफा, बढ़ते बायबैक और अलीबाबा जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के स्ट्रॉन्ग परफॉर्मेंस से था। ब्राजील और कोरिया में भी स्थितियां बेहतर होती दिख रही हैं। मॉनेटरी फ्लेक्सिबिलिटी और डिफेंस जुड़ी हेवी इंडस्ट्री की ग्रोथ से अर्निंग्स बढ़ रही है।
उभरते बाजारों ने दिया 28 फीसदा रिटर्न
इस साल की शुरुआत में भारतीय बाजार की वैल्यूएशन ज्यादा थी। बादा में अमेरिकी सरकार के फैसलों से इसे झटका लगा। इससे इंडिया में अर्निंग्स में अच्छी ग्रोथ दिखाने वाला कोई सेक्टर नहीं बचा। एसेट क्लास के रूप में उभरते बाजारों को लेकर संदेह के बावजूद इनमें अच्छा फ्लो देखने को मिला है। उन्होंने कहा, "इस साल MSCI Emerging Market Index 28 फीसदी चढ़ा है। यह बहुत, बहुत अच्छा रिटर्न है।" उन्होंने कहा कि हमें इसे इमर्जिंग मार्केट्स की जगह नॉन-डॉलर मार्केट्स कहना चाहिए।
ताइवान, कोरिया और चीन के बाजार में बढ़ी निवेश की चाहत
उन्होंने कहा, "अमेरिकी कैपिटल मार्केट्स से निकल ताइवान, कोरिया और चीन के बाजारों में जाने की चाहत दिख रही है, जहां फंडामेंट्ल्स स्ट्रॉन्ग हैं। इन बाजारों में काफी कैपिटल आ रहा है।" उन्होंने कहा कि ताइवान सेमीकंडक्टर और कोरिया के डिफेंस सप्लायर्स को इसका फायदा मिला है। यूरोपीय कंपनियों के शेयरों ने भी चौंकाया है, जहां बैंक और डिफेंस में मजबूत दिखी है। हालांकि, फार्मा और लग्जरी को अमेरिकी पॉलिसी से मुश्किल का सामना करना पड़ा है।
आईटी कंपनियों के लिए वीजा एक बड़ा मसला
मोवात ने कहा कि इंडिया के लिए कई चुनौतियां हैं। आईटी कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा एक मसला है। ऑफशोरिंग स्ट्रेंथ के बावजूद इससे ऑन-साइट डिलीवरी मुश्किल हो गई है। जहां तक पेट्रोकेमिकल्स की बात है तो अगर सस्ता रूसी तेल खरीदने में दिक्कत आती है तो इसका असर मार्जिन पर पड़ सकता है। स्टील पर अमेरिकी टैरिफ का असर एक्सपोर्टर्स पर पड़ेगा। इंडियन आईटी कंपनियों काफी काम ऑफशोर भेज सकती हैं, लेकिन फिर भी उन्हें बड़े कस्टमर्स से डील करने के लिए लोगों की जरूरत पड़ेगी। इस वजह से इंडियन आईटी कंपनियों को लेकर चिंता है।
कैपिटल अट्रैक्ट करने में आ सकती है दिक्कत
उन्होंने कहा कि इंडियन कंपनियां हर मुश्किल का सामना करती रही हैं। उन्होंने कहा, 'ये अच्छे प्रबंधन वाली मैच्योर कंपनियां हैं। वे इन समस्याओं का समाधान निकाल लेंगी। लेकिन, जब तक पॉलिसी में स्थिरता नहीं आ जाती है तब तक इंडिया को उस कैपिटल को अट्रैक्ट करने में दिक्कत आएगी, जिसे दूसरे उभरते मार्केट्स अट्रैक्ट कर रहे है।'