Vision Corporation के शेयरों में बीएसई में 14 अगस्त को कुछ ऐसा हुआ, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं होगी। यह स्टॉक 149.15 रुपये पर खुला। यह आपको सामान्य लग सकता है। लेकिन, जब एक दिन पहले के इसके प्राइस के बारे में जानेंगे तो आपको हैरानी होगी। एक दिन पहले इस स्टॉक का क्लोजिंग प्राइस 1.58 रुपये था। इस तरह 14 अगस्त को स्टॉक के ओपनिंग प्राइस में 9330 फीसदी उछाल देखने को मिला। यह पेनी माइक्रो-कैप स्टॉक है। अभी यह बीएसई के ग्रेडेग सर्विलांस मैकेनिज्म (जीएसएम) की फेज 2 लिस्ट में है। जीएसएम एक फ्रेमवर्क है, जिसका इस्तेमाल स्टॉक एक्सचेंज किसी स्टॉक में ट्रेडिंग एक्टिविटी और मॉनिटर करने के लिए करते हैं। आम तौर पर ऐसे स्टॉक में लिक्विडिटी कम होती है।
बाय और सेल ऑर्डर देने वालों की पहचान नहीं हुई
यह स्टॉक 14 अगस्त को 149.15 रुपये पर खुला। उसके बाद यह गिरकर 1.58 रुपये पर आ गया। उसके बाद पूरे दिन इसी लेवल पर बना रहा। इसमें 9,384 शेयरों का कारोबार हुआ। इसमें से 9,342 शेयरों की डिलीवरी हुई। इस स्टॉक को खरीदने और बेचने वाले इनवेस्टर्स की पहचान नहीं हो पाई है। लेकिन, ब्रोकर्स इस बात पर हैरान है कि कैसे सिस्टम ने ऐसे प्राइस को एक्सेप्ट कर लिया, जो स्टॉक के मार्केट प्राइस से बहुत दूर था।
क्या है स्टॉक मार्केट का सिस्टम?
स्टॉक मार्केट्स में इंट्रा-डे सर्किट का सिस्टम होता है। यह 2 से 20 फीसदी के बीच होता है। इस लिमिट से बाहर आने वाले ऑर्डर्स को सिस्टम रिजेक्ट कर देता है। एक ब्रोकर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "यह एक एडजस्टमेंट ट्रेड" नजर आता है। इसका मतलब यह है कि सिस्टम में एंटर होने से पहले इस डील को लेकर खरीदने और बेचने वाले के बीच सहमति बनी होगी। एडजस्टमेंट ट्रेड आम तौर पर मनी लाउंड्रिंग या टैक्स बचाने के लिए होता है।
ट्रेड ऑर्डर गलती से प्लेस हुआ या जानबूझकर?
अगर खरीदार या बिकवाल में से किसी ने गलती से प्राइस पंच कर दिया था तो उन्होंने इस ट्रेड को रद्द करने के लिए जरूर स्टॉक एक्सचेंज से संपर्क किया होगा। यह हो सकता है कि दोनों में किसी पार्टी ने मार्केट ऑर्डर प्लेस किया होगा और ऑर्डर गलत (freak order) हो गया होगा। लेकिन, अगर किसी ने स्टॉक एक्सचेंज से संपर्क नहीं किया तो इसका मतलब है कि यह डील सोचसमझकर की गई थी। सवाल अब भी अपनी जगह है कि कैसे यह ट्रेड सिस्टम में चला गया?
बीएसई प्रवक्ता ने यह दी सफाई
मनीकंट्रोल के एक सवाल के जवाब में बीएसई के प्रवक्ता ने कहा कि एक्सचेंज ने freak trade नोटिस किया था। उन्होंने कहा, "जब कभी हमें ऐसे ट्रेड के बारे में पता चलता है हम सेबी को इसकी डिटेल भेजते हैं। इससे जुड़ी पार्टी की भी डिटेल भेजी जाती है। विजन कॉर्प के लिए भी हमने इसी प्रक्रिया का पालन किया।" प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि सिस्टम ने कैसे इस ऑर्डर को एक्सेप्ट कर लिया।
एक संभावना यह जताई जा रही है कि जब ट्रेड एग्जिक्यूट हुआ तब सर्किट फिल्टर काम नहीं कर रहा होगा। दूसरी संभावना यह है कि जब इंट्रा-डे लिमिट में बदलाव हो रहा था तब सिस्टम में किसी तरह की गड़बड़ी आ गई होगी। यह एक महीने के अंदर ऐसा दूसरा मामला है। 11 अगस्त को NSE पर निफ्टी बैंक पुट ऑप्शन के 45,700 स्ट्राइक पर एल्गो के जरिए कुछ freak trades का मामला देखने को मिला था। इससे थोड़े समय के लिए प्रीमियम 90 रुपये पर आ गया था, जबकि तब एक्चुअल प्रीमियम 1,300 रुपये था। 1 सितंबर को विजन कॉर्प के स्टॉका का प्राइस 1.90 रुपये था। इस स्टॉक के सिर्फ सेलर्स मौजूद थे।