सरकारी बैंकों में पांच दिन के कामकाज पर बड़ी खबर आई है। फाइनेंस पर संसदीय समिति के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने 31 अगस्त को कहा कि सरकारी बैंकों के एंप्लॉयीज की यह मांग सही है और सरकार को जितना जल्द हो सके, इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने मनीकंट्रोल से एक्सक्लूसिव बातचीत में यह कहा। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि बैंकर्स की यह डिमांड सही है। कई राज्यों और केंद्र सरकार के ऑफिसेज में हफ्ते में 5 दिन कामकाज की व्यवस्था लागू है।
बैंक यूनियंस 2015 से कर रहे हैं मांग
बैंकों के एंप्लॉयीज लंबे समय से हफ्ते में 5 दिन कामकाज के सिस्टम की मांग कर रहे हैं। आठ साल पहले बैंकों में महीने में दो शनिवार को अवकाश की व्यवस्था लागू की गई थी। इससे पहले बैंकों में हफ्ते में 6 दिन कामकाज होता था। केंद्र सरकार के कई ऑफिसेज में हफ्ते में पांच दिन कामकाज की व्यवस्था पहले से लागू है। बैंक यूनियंस 2015 से ही हर हफ्ते शनिवार और रविवार को अवकाश की मांग कर रहे हैं।
बैंक एंप्लॉयीज और IBA के बीच हो चुकी है चर्चा
2015 में हुए 10वें द्विपक्षीय सेटलमेंट के तहत सरकार और RBI और सरकार की इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को अवकाश की मांग मान ली थी। उसके बात 11 द्विपक्षीय सेटलमेंट की बातचीत के दौरान हफ्ते में पांच दिन कामकाज के मसले पर चर्चा हुई थी। लेकिन, इस बारे में अंतिम फैसला नहीं हो सका। हर पांच साल पर बैंक एंप्लॉयीज की सैलरी के बारे में IBA और बैंक यूनियंस के बीच बातचीत होती है।
सरकारी बैंकों पर स्कीमें लागू करने की जिम्मेदारी
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकारी बैंकों ने जून तिमाही में जबर्दस्त मुनाफा कमाए हैं। उनके नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स में भी कमी आई है। सरकारी बैंकों को अपने कामकाज में तेजी लाने की जरूरत है। सरकारी बैंकों के जरिए सरकार की कई स्कीमें लागू की जाती हैं। साथ ही उन्हें एग्रीकल्चर सेक्टर, MSEM और जनधन अकाउंट्स से जुड़े कामकाज भी संभालने पड़ते हैं। इसके बावजूद सरकारी बैंकों को कामकाज की रफ्तार में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि सरकारी बैंकों के पास प्राइवेट बैंकों का मुकाबला करने की पूरी क्षमता है।
क्रिप्टोकरेंसी के मसले पर वैश्विक सहमति जरूरी
मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कहा कि इस मसले का समाधान कोई देश अकेले नहीं कर सकता है। इसके लिए वैश्विक लेवल पर सहमति बनानी होगी। मेरा मानना है कि G20 की बैठक इसके लिए अच्छा मौका है। जी20 के टॉप लीडर्स इस मसले पर चर्चा कर सकते हैं। आपने देखा है कि पिछले कुछ महीनों में क्रिप्टोकरेंसी के कई एक्सचेंज या तो बंद हो गए हैं या उन्होंने अपने कामकाज विदेश में स्थानांतरित कर दिए हैं।