सेबी (SEBI) ने गुरुवार को ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स (Online Bond Platforms) के रेगुलेशन के लिए फ्रेमवर्क का प्रस्ताव पेश किया है। ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर लिस्टेड बॉन्ड्स की बिक्री होती है। आइए जानते हैं मार्केट रेगुलेटर सेबी के इस प्रस्ताव में क्या है।
इसमें कहा गया है कि बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स को स्टॉक ब्रोकर्स (डेट सेगमेंट) की तरह सेबी के पास रजिस्टर्ड होना पड़ेगा या उन्हें सेबी-रजिस्टर्ड ब्रोकर्स की तरह काम करना होगा। इससे इनवेस्टर्स खासकर नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ेगा।
स्टॉक-ब्रोकर के रेगुलेशन इन इंटिटीज (बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स) पर लागू होंगे। उनके कामकाज से जुड़े सभी पहलू, कोड ऑफ कंडक्ट और रिस्क मैनेजमेंट इसके तहत आएंगे। सेबी के प्रस्ताव में कहा गया है, " सिर्फ लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स की तरफ से खरीद-बिक्री के लिए ऑफर किए जाएंगे।
अगर बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर डेट सिक्योरिटीज की लिस्टिंग होती है तो उनमें छह महीने का लॉक-इन पीरियड होगा। लॉक-इन पीरियड डेट सिक्योरिटीज की अलॉटमेंट की तारीख से शुरू होगा।
सेबी ने कहा है कि ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स के कामकाज के लिए नियम और कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसका मकसद ट्रेडिंग को आसान और पारदर्शी बनाने के साथ ही इनवेस्टर्स खासकर नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा है।
सेबी के प्रस्ताव में कहा गया है कि ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर होने वाले ट्रांजेक्शन एक्सचेंज के डेट सेगमेंट के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या एक्सचेंज के रिक्वेस्ट फॉर कोट (RFQ) प्लेटफॉर्म के जरिए रूट किए जाने चाहिए। इसमें डिलीवरी वर्सेज पेमेंट (DVP-1) बेसिस पर ट्रांजेक्शन क्लियर और सेटल किए जाएंगे।
एक्सचेंज के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से ट्रेड रूट किए जाने से सेटलमेंट रिस्क को घटाने में मदद मिलेगी। इसकी वजह यह है कि इन ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर T+2 (ट्रेडिंग प्लस टू) के आधार पर सेटलमेंट की गारंटी होती है। इससे इनवेस्टर्स को एग्जिट अपॉर्चुनिटी मिलेगी। साथ ही इनवेस्टर्स की शिकायतों का भी निपटारा हो सकेगा।
सेबी का मानना है कि उसके (सेबी) के नियमों के तहत बतौर स्टॉक ब्रोकर्स बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स के रजिस्ट्रेशन से मार्केट और मार्केट पार्टिसिपेंट्स को फायदा होगा। इसकी वजह यह है कि बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर क्लाइंट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए KYC अनिवार्य होगा।