रिटर्न के मामले में लॉन्ग टर्म में इक्विटी को हरा सकता है सोना? रमेश दमानी ने दावे को बताया बकवास

वर्तमान में सोने की कीमतें दुनिया भर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। दिसंबर की मीटिंग में फेडरल रिजर्व की ओर से प्रमुख ब्याज दर घटाए जाने के बाद सोने और चांदी में निवेश बढ़ा है। इस साल घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में अब तक 67% की बढ़ोतरी देखी गई है

अपडेटेड Dec 13, 2025 पर 1:42 PM
Story continues below Advertisement
सिर्फ हेडलाइन प्राइस एप्रिसिएशन के आधार पर सोने और इक्विटी की तुलना करना एक गुमराह करने वाली तस्वीर पेश करता है।

इंडियन इनवेस्टिंग सर्किल में ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि लॉन्ग टर्म में सोना परफॉरमेंस के मामले में इक्विटी से आगे निकल जाएगा। लेकिन जाने-माने इनवेस्टर और BSE मेंबर रमेश दमानी ने इस दावे को गलत बताया है। दमानी मोतीलाल ओसवाल के 30वें वेल्थ क्रिएशन स्टडी इवेंट में CNBC-TV18 से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्टॉक मार्केट रिटर्न को लगातार कम बताया जाता है। इसकी वजह है कि निवेशक डिविडेंड, स्टॉक स्प्लिट, बोनस और वैल्यूएशन री-रेटिंग जैसी जरूरी चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। ये चीजें लॉन्ग टर्म में इक्विटी वेल्थ क्रिएशन को काफी बेहतर बनाते हैं।

दमानी के मुताबिक, सिर्फ हेडलाइन प्राइस एप्रिसिएशन के आधार पर सोने और इक्विटी की तुलना करना एक गुमराह करने वाली तस्वीर पेश करता है। उन्होंने कहा, 'जब आप इक्विटी खरीदते हैं, तो आपको स्प्लिट, बोनस और डिविडेंड मिलते हैं। अगर आपने 1980 में 1,000 डॉलर में एक औंस सोना खरीदा होता, तो आज उसकी कीमत 4,000 डॉलर प्रति औंस होती। आपको सिर्फ सोने में प्राइस एप्रिसिएशन मिलता है।'

आगे कहा कि इसके उलट, अगर सेम टाइम पर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL), HDFC बैंक या डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज जैसी अच्छी कंपनियों में निवेश किया होता तो यह शेयर की कीमत में बढ़ोतरी और कॉरपोरेट एक्शंस के कॉम्बिनेशन से निवेशकों की दौलत को कई गुना बढ़ा देता।


150 सालों में सोने ने दिया महज लगभग 3% रिटर्न

दमानी के मुताबिक, "स्टॉक स्प्लिट्स, बोनस से आपकी वैल्यू काफी बढ़ जाती। PE रेशियो से दौलत बढ़ती और डिविडेंड से 2-3% एक्स्ट्रा रिटर्न मिलता।" दमानी ने कहा कि निवेशक अक्सर सोने से तुलना करते समय दौलत बढ़ाने वाले इन एक्स्ट्रा तरीकों को आसानी से भूल जाते हैं। दमानी ने इस बात को और पक्का करने के लिए लॉन्ग-टर्म डेटा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "150 सालों में सोने ने लगभग 3% रिटर्न दिया है। इक्विटीज ने बिना डिविडेंड के 11-12% रिटर्न दिया है।" उन्होंने यह भी कहा कि इक्विटीज की कंपाउंडिंग पावर, बेहतर लॉन्ग-टर्म एसेट क्लास के तौर पर उनकी पोजिशन मजबूत करती है। कुल मिलाकर निवेशकों के लिए दमानी का मैसेज स्पष्ट है कि जो लोग लॉन्ग टर्म में लगातार और मीनिंगफुल वेल्थ क्रिएशन चाहते हैं, उनके लिए इक्विटी बेजोड़ है।

Share Market: भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ स्टोरी है कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी, इन सेक्टर में भी मिलेंगे मौके

सोने की कीमतें दुनिया भर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर

वर्तमान में जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता और सेफ हैवन के तौर पर बढ़ती डिमांड के बीच सोने की कीमतें दुनिया भर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का हाजिर भाव 4,338.40 डॉलर प्रति औंस पर है। दिसंबर की मीटिंग में अमेरिका के फेडरल रिजर्व की ओर से प्रमुख ब्याज दर को 0.25 प्रतिशत घटाए जाने के बाद सोने और चांदी में निवेश बढ़ा है। प्रमुख ब्याज दर घटने से बॉन्ड पर यील्ड कम होने की संभावना रहती है, जिससे निवेशक सोने-चांदी जैसे सेफ एसेट में निवेश बढ़ाते हैं। इस साल घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में अब तक 67% की बढ़ोतरी देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें इस साल अब तक लगभग 60 प्रतिशत (लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन) तक चढ़ चुकी हैं।

Disclaimer:मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।