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बड़े इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स को मिलने वाली सुविधाएं अब आम निवेशकों को भी, CDSL और NSDL आए सेबी के साथ

पहले जो सुविधाएं बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स को मिलती थी, अब वह आम निवेशकों को भी मिल रही है। इसे लेकर सेबी, एनएसडीएल और सीडीएसएल एक साथ आए हैं और यूनिफाइड इंवेस्टर ऐप लॉन्च किया है। जानिए कि आम लोगों को क्या फायदे मिले हैं और ऐप्स में क्या फीचर्स जोड़े गए हैं जिससे फर्जीवाड़े पर भी रोक लगेगी?

अपडेटेड Feb 21, 2025 पर 12:49 PM
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सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने अपने इंवेस्टर्स ऐप्स में नए फीचर लॉन्च किए हैं।

सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने अपने इंवेस्टर्स ऐप्स में नए फीचर लॉन्च किए हैं। सीडीएसएल का इंवेस्टर ऐप MyEasi और एनएसडीएल का इंवेस्टर ऐप SPEED-e है। इसे लेकर एनएसडीएल और सीडीएसएल दोनों ने बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के साथ हाथ मिलाया है और यूनिफाइड इंवेस्टर ऐप लॉन्च किया है ताकि निवेशक एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर अपने सभी फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स, शेयरहोल्डिंग और इंवेस्टमेंट्स को देख सकें। 20 फरवरी को मुंबई में लॉन्चिंग के मौके पर सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कहा कि इससे निवेशकों को अपने पूरे पोर्टफोलियो को एक ही जगह देखने और फिर सही फैसले लेने में मदद मिलेगी। सेबी प्रमुख ने कहा कि इसके जरिए आम निवेशकों को ऐसे टूल्स मिल गए जो पहले खास रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए सिर्फ बड़े इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स को ही उपलब्ध थे।

निवेशकों को मिलेंगे ये फीचर्स

डेटा प्रोटेक्शन के लिए इसमें टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन की सुविधा है।


यह ऐप एंड्रॉयड और आईफोन पर उपलब्ध है ही, इसे वेब पर भी एक्सेस कर सकेंगे।

सीडीएसएल और एनएसडीएल पर जो होल्डिंग्स हैं, उसे एक सिंगल डैशबोर्ड पर देख सकेंगे यानी सभी सिक्योरिटीज एक ही जगह दिख जाएगी।

एक ही जगह पर सभी ट्रांजैक्शन और होल्डिंग स्टेटमेंट्स देख सकेंगे जिससे पोर्टफोलियो को मैनेज करने में आसानी होगी।

एक्सचेंजों और क्लियरिंग कॉरपोरेशंस पर ओपन पोजिशन और मार्जिन की डिटेल्स ट्रैक कर सकेंगे।

फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक

सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच का कहना है कि यूनिफाइड इंवेस्टर ऐप के जरिए फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें डेटा सीधे एक्सचेंजों, डिपॉजिटरीज और क्लियरिंग कॉरपोरेशंस से लिया जाएगा। इसका मतलब हुआ कि निवेशकों को डेटा सीधे मिलेगा और बीच में किसी के फर्जीवाड़ा करने की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी।

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