Next Sebi Chief: सरकार ने मार्केट रेगुलेटर सेबी के नए चेयरपर्सन की तलाश की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मामले से परिचित सूत्रों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी है। वर्तमान में यह जिम्मेदारी माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) के पास है। बुच के संभावित उत्तराधिकारी की तलाश की प्रक्रिया करीब 7-10 दिन पहले शुरू की गई है। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "स्थिति को देखते हुए यह देखना होगा कि बुच को कार्यकाल बढ़ाने के लिए अनुकूल माना जाता है या नहीं।" बता दें कि पिछले कुछ समय से बुच विवादों में घिरी रही हैं।
क्या बढ़ाया जाएगा बुच का कार्यकाल?
एक अन्य सूत्र ने बताया, "आवेदन आमंत्रित करने की औपचारिक प्रक्रिया कुछ ही हफ्तों में शुरू हो सकती है।" बुच ने 2 मार्च 2022 को तीन साल की अवधि के लिए सेबी चेयरपर्सन का पद संभाला था, जो 28 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। इससे पहले, वह अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक पांच साल के लिए सेबी में होल-टाइम मेंबर थीं। सूत्रों ने यह भी कहा कि भले ही बुच के उत्तराधिकारी की खोज प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन मौजूदा चेयरपर्सन का कार्यकाल बढ़ाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।
सूत्रों ने बुच को सेबी चीफ के रूप में समय से पहले बर्खास्त किए जाने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा, "उनके (माधबी पुरी बुच) कार्यकाल समाप्त होने तक उनके पद पर बने रहने की संभावना है।" इस मामले पर टिप्पणी के लिए वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का रिपोर्ट पब्लिश होने तक कोई जवाब नहीं मिला। अगर कोई जवाब मिलता है तो उसे स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा। सेबी के प्रवक्ता ने भी अब तक ईमेल का जवाब नहीं दिया है।
आमतौर पर 3 साल का होता है सेबी चीफ का कार्यकाल
सेबी प्रमुख का कार्यकाल आमतौर पर तीन साल का होता है। हालांकि, यूके सिन्हा और अजय त्यागी के मामले में ऐसा नहीं हुआ था। सिन्हा ने छह और त्यागी ने पांच साल तक चेयरपर्सन के रूप में कार्य किया। सिन्हा ने 18 फरवरी 2011 से 1 मार्च 2017 तक सेबी के अध्यक्ष के रूप में काम किया है। वहीं, उनके बाद त्यागी का कार्यकाल 1 मार्च 2017 से 28 फरवरी 2022 तक था।
विवादों से भरा रहा बुच का कार्यकाल
वर्तमान सेबी चीफ बुच पर हाल ही में कई गंभीर आरोप लगे हैं। उनपर ये आरोप पहले शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग और बाद में कांग्रेस पार्टी की ओर से लगाए गए। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि अदाणी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंड में बुच का निवेश था। दूसरी ओर, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बुच ICICI बैंक, ICICI प्रुडेंशियल और सेबी से एक साथ सैलरी ले रहीं थीं। हालांकि, बुच ने इस सभी आरोपों का खंडन किया है। इसके अलावा, सेबी के कुछ कर्मचारियों ने उन पर 'टॉक्सिक वर्क एनवायरनमेंट' बनाने का आरोप लगाया था, हालांकि अब यह मामला सुलझ चुका है।