Chemical vs Metal Stocks : अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल फेडरल रिजर्व ने अपनी नीति दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है। ऐसे में सवाल ये है कि अब हमें मेटल और केमिकल शेयरों में क्या करना चाहिए? इस सवाल का जवाब देते हुए सीएनबीसी-आवाज के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल ने कहा कि उन्होंने पहले भी कहा था कि मेटल्स में मुनाफा वसूली करें और आज भी कह रहे हैं कि मेटल्स में मुनाफा वसूली करें।
अनुज का कहना है कि दरों में कटौती वाले इवेंट्स से मेटल्स में मुनाफा वसूली ट्रिगर होने की संभावना थी। मेटल्स में प्रॉफिट बुकिंग का मुख्य कारण अमेरिका से नहीं चीन से जुड़ा हुआ है। चीन मेटल्स का बहुत बड़ा उपभोक्ता है। चीन में जिस तरह की सुस्ती है उससे मेटल पर दबाव है। ऐसे में मेटल्स में थोड़ी प्रॉफिट बुकिंग की सलाह है।
लेकिन यही फैक्टर्स केमिकल के लिए बड़े पॉजिटिव होंगे। चीन केमिकल्स का एक बहुत बड़ा उत्पादक है। इंडिया में चाइना प्लस वन की थीम चल सकती है। हालांकि केमिकल्स की अर्निंग्स भी काफी खराब रही हैं। हर रैली पर सेलिंग आ रही है। लेकिन अगर केमिकल्स और मेटल्स में से कोई एक चुनना हो तो केमिकल्स पर दांव लगाना ज्यादा बेहतर रहेगा।
गौरतलब है कि यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिजर्व ने 18 सितंबर को अपनी नीति दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की। ये पिछले चार सालों में हुई पहली कटौती है। हालांकि दरों में इस आक्रामक कटौती से भारतीय इक्विटी मार्केट को शॉर्ट टर्म में सपोर्ट मिल सकता है, लेकिन बाजार जानकारों ने चिंता व्यक्त की है कि बाजार इस कदम को अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी को लेकर फेड की बढ़ती आशंकाओं के संकेत के रूप में देख सकता है।
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