नया कंज्यूमर कानून अमली जामा पहन रहा है। कंज्यूमर मंत्रालय ने E DAAKHIL(ई-दाखिल) पोर्टल शुरू कर दिया है। इस पोर्टल पर आप यानि कंज्यूमर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं। इस पोर्टल पर शिकायत, अपील, फीस वगैरह की पूरी जानकारी दी गई है। ये नए कंज्यूमर कानून का एक हिस्सा है। पूरा कानून कंज्यूमर राइट्स में बड़े बदलाव की पैरवी करता है। 1986 के कानून को नया रूप देने के पीछे मकसद ये है कि इन 24 सालों में जो बदलाव हुए हैं उन सबको समेटते हुए उपभोक्ता अधिकारों को मजबूती दी जाए। मसलन, अब ऑनलाइन कंपनियां भी कानून के दायरे में हैं, भ्रामक विज्ञापन को लेकर साफ प्रावधान हैं, मिलावटखोरी के लिए जेल की सजा का प्रावधान है लेकिन ये और इसके जैसे तमाम प्रावधान तभी असर दिखाएंगे जब ये कानून पूरी तरह अमल में आएगा और उससे भी बड़ी बात ये कि अगर कंज्यूमर जागरुक नहीं होगा तो कोई भी कानून क्या कर लेगा इसीलिए आज एक बार फिर से कंज्यूमर अड्डा में नए उपभोक्ता कानून पर चर्चा करेंगे।

कंज्यूमर कम्प्लेन ऑनलाइन

नया कानून लागू होने से अब कंपनियों पर केस करना आसान हो गया है। उपभोक्ताओं की शिकायतों को दर्ज करने के लिए कंजूमर मंत्रालय का edaakhil पोर्टल शुरू किया है। ये कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का असर है। इस पोर्टल पर अब घर बैठे केस की फाइलिंग हो सकती है। NCRDC यानी Con। दिल्ली, और महाराष्ट्र आयोग जोड़े गए हैं। अमरावती, नासिक, पुणे जिला आयोग जुड़े हैं। जल्दी सभी राज्य और जिला कमीशन जुड़ेंगे। इससे अब केस दर्ज कराना और उसका स्टेटस जानना आसान होगा।

कंज्यूमर शिकायत पोर्टल

कंज्यूमर शिकायत के लिए ऑनलाइन पोर्टल https://edaakhil.nic.in/ बनाया गया है। इस पर फाइलिंग प्रक्रिया बताई गई है। इसको समझने को लिए वीडियो देखें या लिखित ट्यूटोरियल पढ़ें। इसमें शिकायत करने और जवाब देने की प्रक्रिया। अपील करने, फीस और प्रत्युत्तर देने की प्रक्रिया का पूरा विवरण दिया गयाहै। इसमें नए कंज्यूमर कानून की पूरी जानकारी दी गई है।

नया कंज्यूमर कानून

नए कंज्यूमर कानून के तहत भ्रामक विज्ञापन देने पर कार्रवाई हो सकती है। किसा कंपनी के खिलाफ शिकायत होने पर देश के किसी भी कंज्यूमर कोर्ट में केस हो सकता है। Online और Teleshopping कंपनियां भी इसके दायरे में शामिल हैं। खाने-पीने की चीजों में मिलावट पर जेल हो सकती है। नए कानून में कंज्यूमर मीडिएशन सेल के गठन का भी प्रावधान है। आपसी सहमति से मीडिएशन में जाया जा सकता है। कंज्यूमर फोरम में PIL (जनहित याचिका) भी डाली जा सकती है। कंज्यूमर फोरम में 1 करोड़ रुपए तक के केस जा सकेंगे। स्टेट कमीशन में 1 करोड़ से 10 करोड़ और नेशनल कमीशन में 10 करोड़ रुपए से ऊपर के मामलों की सुनवाई हो सकेगी।

कंज्यूमर के अधिकार

- खतरनाक चीजों की मार्केटिंग से सुरक्षा.
- जरूरत के मुताबिक खरीदारी का हक.
- प्रोडक्ट के बारे में सही जानकारी.
- क्वालिटी, शुद्धता, कीमत वगैरह.
- कंपिटिटिव कीमतों पर चुनने का हक.
- मोनोपोली में भी उचित कीमत, क्वालिटी.
- बुनियादी चीजें हासिल करने का अधिकार.
- हितों को लेकर सुने जाने का अधिकार.
- शिकायत का न्यायपूर्ण निवारण पाना.
- कंज्यूमर अधिकारों की जानकारी.


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