Budget 2025: सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2026 के लिए उम्मीद से कम पूंजीगत खर्च (capital expenditure) लक्ष्य की घोषणा के कारण कोर सेक्टर की कंपनियों के शेयरों पर बिकवाली का दबाव देखने को मिला। इसका आशय ये है कि केंद्र चाहता है कि प्राइवेट पूंजीगत खर्च (capex) में और बढ़ोतरी हो। वित्त वर्ष 2026 के लिए पूंजीगत खर्च के लिए 11.2 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया जो कि वित्त वर्ष 25 के 11.5 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से कम है। एक्सपर्ट्स ने मनीकंट्रोल को बताया कि राजनीतिक मजबूरियों और मुफ्तखोरी से प्रेरित नीतियों के कारण बुनियादी ढांचे और पूंजीगत खर्च पर सरकार का फोकस कम हो सकता है।
शेयर बाजार ने संभवतः इस पर निगेटिव संकेत दिखाये हैं। प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरों में गिरावट आई। बजट भाषण के तुरंत बाद मझगांव डॉक में 1 प्रतिशत, एलएंडटी में 1.2 प्रतिशत, थर्मैक्स में 1 प्रतिशत, बीएचईएल में 0.5 प्रतिशत, आईआरएफसी में 2 प्रतिशत और आरवीएनएल में 0.4 प्रतिशत की गिरावट नजर आई।
सीमेंट शेयरों में भी गिरावट आई। मंगलम सीमेंट में 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई। जबकि नुवोको विस्टास, जयप्रकाश एसोसिएट्स, स्टार सीमेंट, रैमको सीमेंट, एनसीएल इंडस्ट्रीज और अल्ट्राटेक सीमेंट सभी में 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। रेलवे शेयरों में भी ऐसा ही हुआ। टेक्समैको रेल में 5 प्रतिशत और टीटागढ़ वैगन में लगभग दोपहर 12:40 बजे 3 प्रतिशत की गिरावट आई।
डिफेंस स्टॉक्स भी दबाव में नजर आये। रक्षा बजट कुल सरकारी खर्च का 12% है। इस बारे में वित्त मंत्री सीतारमण के भाषण में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया। इसकी वजह से पारस डिफेंस के शेयर 5.4 प्रतिशत गिरे। भारत डायनेमिक्स के शेयर 3.5 प्रतिशत गिरे। कृष्णा डिफेंस के शेयर 1.8 प्रतिशत गिरे और एस्ट्रा माइक्रोवेव के शेयर 0.9 प्रतिशत फिसले।
उपरोक्त सेक्टर्स में निराशा के बावजूद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों में बुनियादी ढांचे के खर्च के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त आवंटन का ऐलान किया। इसके साथ ही शहरी विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की। इसके अतिरिक्त बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और गवर्नमेंट फाइनेंसेस को फंड उपलब्ध कराने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के एक नये एसेट मोनेटाइजेशन प्लान की शुरुआत की। इसमें बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में सुधार करने पर जोर दिया गया है।
इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने धीमी जीडीपी ग्रोथ को देखते हुए पूंजीगत खर्च आवंटन बढ़कर 11.5 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था।
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