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Donald Trump tariff: ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ग्लोबल इकोनॉमी को खतरे में डाल सकती है, अमेरिकी इकोनॉमी के भी मंदी में जाने का डर

डोनाल्ड ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ तो 2 अप्रैल से लागू होगा। लेकिन, उसका असर अभी से दिखना शुरू हो गया है। 10 मार्च को अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में बड़ी गिरावट आई। अमेरिकी मार्केट्स पर लगातार बिकवाली का दबाव दिख रहा है। इससे यूएस मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक अपने ऑल-टाइम हाई से काफी नीचे आ गए हैं

अपडेटेड Mar 11, 2025 पर 9:17 AM
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इंडिया का एवरेज वेटेड टैरिफ 11.5 फीसदी है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ में से एक है।

ग्लोबल टैरिफ वॉर का असर बढ़ता दिख रहा है। पहले यह माना गया था कि इससे ग्लोबल ट्रेड वॉर बढ़ेगा, जिसका असर अलग-अलग देशों पर अलग-अलग तरह से पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का मानना था कि इसका इंडिया पर दूसरे देशों के मुकाबले कम असर पड़ेगा, क्योंकि इंडियन इकोनॉमी की निर्भरता डोमेस्टिक कंजम्प्शन पर है, न कि एक्सपोर्ट पर। लेकिन, अब यह टैरिफ वॉर सबसे ज्यादा अमेरिका को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है। अब अमेरिकी इकोनॉमी के मंदी में जाने की बातें हो रही हैं। 10 मार्च को अमेरिकी स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट आई। अमेरिकी मार्केट के तीनों प्रमुख सूचकांक बिकवाली दबाव से काफी टूट गए। इसका असर 11 मार्च को एशियाई मार्केट्स पर दिखा। प्रमुख एशियाई बाजारों के सूचकांक लाल निशान में नजर आए।

ट्रंप के निशाने पर बना हुआ है इंडिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) इस टैरिफ वॉर में कई बार इंडिया पर निशाना साध चुके हैं। हाल में अमेरिकी कांग्रेस को अपने संबोधन में भी उन्होंने इंडिया का जिक्र किया। ट्रंप इंडिया को 'टैरिफ किंग' बताते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि इंडिया ट्रंप के निशाने पर बना रहेगा। खासकर अप्रैल की शुरुआत से रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) शुरू होने वाला है। इसका असर कुछ महीनों बाद दिखना शुरू होगा। इसका कितना असर इंडिया पर पड़ेगा, इसका पता तो बाद में चलेगा। लेकिन, यह सच है कि इंडिया अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर काफी ज्यादा टैरिफ लगाता है। दूसरा, अमेरिका और इंडिया का व्यापार इंडिया के पक्ष में झुका हुआ है।

इंंडिया का टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा


इंडिया का एवरेज वेटेड टैरिफ 11.5 फीसदी है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ में से एक है। Sanford Bernstein ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। यह ग्लोबल इनवेस्टमेंट रिसर्च एंड ब्रोकिंग फर्म है। फर्म ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इंडिया का टैरिफ उभरते देशों के टैरिफ से तुलना करने पर ज्यादा नजर आता है। सिर्फ कुछ अफ्रीकी देशों का टैरिफ इससे ज्यादा है। उधर, ईरान भी ज्यादा टैरिफ लगाता है, जिसकी वजह उस पर लगे प्रतिबंध हैं। ऐसे में ट्रंप के निशाने पर इंडिया का रहना स्वाभाविक है। हालांकि, इंडिया बदलती स्थितियों के हिसाब से अपनी पॉलिसी में बदलाव कर मामले से निपट सकता है।

इंडिया-अमेरिका व्यापार का पलड़ा इंडिया के पक्ष में

अभी अमेरिका और इंडिया के बीच व्यापार में पलड़ा इंडिया की तरफ झुका हुआ है। इसकी बड़ी वजह यह है कि 1990 में इंडियन इकोनॉमी के बंदिशों से बाहर आने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है। Sanford Bernstein ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीते 30 सालों में अमेरिकी एक्सपोर्ट 25 गुना बढ़ा है, लेकिन उसका इंपोर्ट 38 गुना इंपोर्ट बढ़ा है। ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद से इंडिया के साथ अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट करीब 90 फीसदी बढ़ा है। यह अमेरिका की ट्रंप सरकार की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। इस वजह से ट्रंप इंडिया का जिक्र अपनी ज्यादातर स्पीच में करते नजर आते हैं।

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यूएस इकोनॉमी मंदी में गई तो होंगे गंभीर नतीजें

अगर इस टैरिफ वॉर की वजह से अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी में जाती है तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। यह न सिर्फ अमेरिका को बड़ी चोट पहुंचाएगा बल्कि इंडिया सहित कई बड़े देशों पर असर डालेगा। इसका सबसे ज्यादा असर इंडियन आईटी और फॉर्मा इंडस्ट्री पर पड़ेगा। इंडियन आईटी कंपनियों का रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा अमेरिका और यूरोप से आता है। फार्मा के मामले में भी यही स्थिति है। कई बड़ी इंडियन फार्मा कंपनियों की अमेरिकी मार्केट में अच्छी पैठ है। इन कंपनियों के बिजनेस पर काफी असर पड़ सकता है। इससे इंडिया के आईटी सर्विसेज और फार्मा एक्सपोर्ट पर खराब असर पड़ेगा।

MoneyControl News

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First Published: Mar 11, 2025 9:05 AM

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