इमर्जिंग मार्केट्स एक्सपर्ट Adrian Mowat इंडियन मार्केट्स को लेकर बहुत पॉजिटिव नहीं हैं। उनका मानना है कि अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने का असर इनवेस्टर्स की रिस्क लेने की क्षमता पर पड़ा है। खासकर बैंकिंग स्टॉक्स को लेकर उन्हें स्थिति चिंताजनक लगती है। उनका कहना है कि बैंकिंग स्टॉक्स कमजोर दिख रहे हैं, क्योंकि बैंकों के दूसरी तिमाही ने नतीजे बहुत अच्छे नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि मैं बैंक निफ्टी इंडेक्स को लेकर थोड़ा परेशान हूं, क्योंकि यह टेक्निकल और फंडामेंटल दोनों ही तरह से कमजोर दिख रहा है। फाइनेंशियल कंपनियां निगेटिव अर्निंग्स परफॉर्मेंस का संकेत दे रही हैं। इस वजह से पूरे फाइनेंशियल सेक्टर को लेकर मुझे तस्वीर थोड़ी चिंताजनक लगती है। ओवरऑल मार्केट को लेकर भी उन्होंने सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बढ़ती बॉन्ड यील्ड नई चिंता की वजह हो सकती है।
अमेरिकी बॉन्ड् यील्ड्स पर नजर
मोवात ने कहा कि मेरी नजरें अमेरिकी बॉन्ड मार्केट पर होंगी और मैं देखना चाहूंगा कि अगले महीने कुछ राहत मिलने वाली है या नहीं। यह देखना होगा कि बॉन्ड यील्ड 5 फीसदी की सीमा के पार निकलती है या नहीं। अगर ऐसा हो जाता है तो इनवेस्टर्स रिस्की एसेट्स में निवेश करना शुरू कर देंगे। इसमें इंडियन स्टॉक मार्केट्स भी शामिल होंगे। 1 नवंबर को Bank Nifty 0.5 फीसदी कमजोरी के साथ 42,604 के लेवल पर पहुंच गया था। HDFC Bank, Kotak Mahindra Bank और Axis Bank में गिरावट ने इस पर दबाव बढ़ाया।
तीन महीने में बैंक निफ्टी 6 फीसदी फिसला
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, PNB और Bank of Baroda के स्टॉक्स ने दबाव कम करने की कोशिश की। पिछले तीन महीनों में बैंक निफ्टी में 6 फीसदी गिरावट आ चुकी है। इसके मुकाबले इस दौरान Nifty50 में 3 फीसदी गिरावट आई है। HDFC Bank, ICICI Bank, Kotak Mahindra Bank, IDFC First Bank, Bank of Baroda और State Bank of India के स्टॉक्स में इस दौरान 11 फाीसदी तक गिरावट आई है।
ज्यादातर बैंकों के मार्जिन पर दबाव
ज्यादातर बैंक और NBFC ने दूसरी तिमाही में मार्जिन पर दबाव के बारे में बताया है। इसकी वजह यह है कि इंटरेस्ट रेट में बदलाव को देखते हुए इन्हें डिपॉजिट पर रेट बढ़ाने को मजबूर होना पड़ा है। उदाहरण के लिए ICICI Bank के नेट इंटरेस्ट मार्जिन में तिमाही दर तिमाही आधार पर 25 बेसिस प्वाइंट्स (BPS) की कमी आई है। सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC Bank के मार्जिन में 70 बेसिस प्वाइंट्स की कमी आई है। हालांकि, एक्सिस बैंक और फेडरल बैंक का प्रदर्शन इस मोर्चे पर बेहतर रहा है। उनके मार्जिन में हल्की वृद्धि देखने को मिली है। ज्यादातर बैंकों का मानना है कि आगे उनके मार्जिन पर दबाव खत्म हो सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगली दो तिमाही में फंड की कॉस्ट बढ़ने से मार्जिन भी बढ़ सकता है।