पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) की सब्सिडियरी पतंजलि फूड्स (Patanjali Foods) के प्रमोटर्स को एक्सचेंजों से तगड़ा झटका लगा है। एक्सचेंजों ने प्रमोटर और प्रमोटर कंपनियों के शेयरों को फ्रीज कर दिया है यानी कि इनके लेन-देन पर पाबंदी लग गई है। 15 मार्च को एक्सचेंज फाइलिंग में इसका खुलासा हुआ है। यह पाबंदी न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्तों को पूरा नहीं करने के चलते लगाई गई है। जानकारी के मुताबिक स्टॉक एक्सचेंजों ने पतंजलि फूड्स के 29.25 करोड़ शेयरों को फ्रीज किया है। जिन 21 प्रमोटर और प्रमोटर कंपनियों के शेयरों पर पाबंदी लगी है, उनमें पतंजलि आयुर्वेद भी एक है। वहीं कंपनी ने आज 16 मार्च को इस पर अपना पक्ष रखा है कि ये शेयर अप्रैल 2023 तक लॉक-इन हैं तो एक्सचेंजों की कार्रवाई का कोई खास असर नहीं दिखेगा।
क्या है न्यूनतम शेयरहोल्डिंग का नियम
बाजार नियामक सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के नियमों के मुताबिक किसी लिस्टेड कंपनी के कम से कम 25 फीसदी शेयर पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास होने चाहिए। पतंजलि फूड्स के मामले में ऐसा नहीं है। दिसंबर 2022 तिमाही के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक पतंजलि फूड्स के 80.82 फीसदी शेयर प्रमोटर और प्रमोटर कंपनियों के पास है जबकि पब्लिक शेयरहोल्डिंग महज 19.18 फीसदी।
पहले यह कंपनी रुचि सोया (Ruchi Soya) थी। 2017 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने रुचि सोया की दिवाला प्रक्रिया शुरू की और 2019 में पतंजलि आयु्र्वेद के रिजॉल्यूशन प्ला को ट्रिब्यूनल की मंजूरी मिल गई। इस प्लान के लागू होने के बाद रुचि सोया पतंजलि फूड्स बन गई और पब्लिक शेयरहोल्डिंग घटकर 1.10 फीसदी पर आ गई। नियमों के मुताबिक दिवाला प्रक्रिया के बाद पब्लिक शेयरहोल्डिंग को कम से कम 25 फीसदी ले जाने के लिए तीन साल का समय मिलता है।
पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करने के लिए मार्च 2022 में कंपनी ने फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) लाया था और इसके बाद पब्लिक शेयरहोल्डिंग 19.18 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि उसके बाद से यह हिस्सेदारी नहीं बढ़ी तो तीन साल में पब्लिक शेयरहोल्डिंग को कम से कम 25 फीसदी तक ले जाने की शर्त नहीं पूरा करने पर एक्सचेंजों ने अब कार्रवाई की है।
Patanjali Foods ने क्या दी है सफाई
स्टॉक एक्सचेंजों की कार्रवाई का पतंजलि फूड्स की वित्तीय स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा, ऐसा कंपनी ने आज फाइलिंग में कहा है। कंपनी के मुताबिक सेबी के नियमों के मुताबिक लिस्टिंग के एक साल यानी 8 अप्रैल 2023 तक प्रमोटर्स के शेयर लॉक-इन हैं। ऐसे में एक्सचेंजों ने जो कार्रवाई की है, उसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा। कंपनी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रमोटर्स के शेयरों को गिरवी नहीं रखा गया है। वहीं न्यूनतम शेयरहोल्डिंग को लेकर कंपनी ने कहा कि इस शर्त को अगले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।