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Fertiliser stocks: बजट से पहले फर्टिलाइजर्स शेयरों ने भरी उड़ान; RCF, मद्रास फर्टिलाइजर 3% तक उछले

Fertiliser stocks: आम बजट 2025 पेश होने में अब बस दो दिन बचे हैं। इस बीच फर्टिलाइजर्स कंपनियों के शेयरों में अभी से जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF), मद्रास फर्टिलाइजर, मंगलौर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स, नेशनल फर्टिलाइजर्स, पारादीप फॉस्फेट्स और कोरामंडल इंटरनेशनल के शेयर गुरुवार 30 जनवरी को कारोबार के दौरान 2 से 3 प्रतिशत तक बढ़ गए

Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Jan 30, 2025 पर 3:53 PM
Fertiliser stocks: बजट से पहले फर्टिलाइजर्स शेयरों ने भरी उड़ान; RCF, मद्रास फर्टिलाइजर 3% तक उछले
Fertiliser stocks: बाजार को उम्मीद है कि सरकार बजट में फर्टिलाइजर सेक्टर के लिए सब्सिडी बढ़ा सकती है

Fertiliser stocks: आम बजट 2025 पेश होने में अब बस दो दिन बचे हैं। इस बीच फर्टिलाइजर्स कंपनियों के शेयरों में अभी से जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF), मद्रास फर्टिलाइजर, मंगलौर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स, नेशनल फर्टिलाइजर्स, पारादीप फॉस्फेट्स और कोरामंडल इंटरनेशनल के शेयर गुरुवार 30 जनवरी को कारोबार के दौरान 2 से 3 प्रतिशत तक बढ़ गए। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तेजी इन उम्मीदों से आ रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए फर्टिलाइजर सेक्टर के लिए पहले से अधिक सब्सिडी का ऐलान कर सकती है।

एनालिस्ट्स का मानना है कि वित्त मंत्री आगामी बजट में 1.7 लाख करोड़ रुपये की फर्टिलाइजर्स सब्सिडी का ऐलान कर सकती है। यह मौजूदा वित्त वर्ष 2025 के 1.64 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले थोड़ी अधिक होगी। इसके अलावा बजट में ऑर्गेनिक खेती और वैकल्पिक फर्टिलाइजर्स को बढ़ावा देने के लिए मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस (MDA) योजना के तहत अधिक धनराशि आवंटित की जा सकती है। बता दें कि यह यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट होगा।

ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर्स को मिलेगा बढ़ावा

MDA योजना की शुरुआत 2023 में हुई थी, जिसका उद्देश्य ऑर्गेनिक खाद और उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ाना देना था। वित्त वर्ष 2026 में इस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया जा सकता है, जो कि वित्त वर्ष 2025 के 100 करोड़ रुपये के मुकाबले 50% अधिक होगा। सरकार रासायनिक फर्टिलाइजर्स (यूरिया, NPK आदि) की निर्भरता कम करने के साथ-साथ नैनो यूरिया और नैनो DAP को भी बढ़ावा दे रही है, जिससे सब्सिडी बोझ को कम किया जा सके।

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