भारतीय शेयरों में जनवरी में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का ग्रॉस इनवेस्टमेंट 25 अरब डॉलर रहा। यह 15 महीनों में सबसे कम है। NSDL के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी 2025 में FII ने इंडियन इक्विटी में कुल 24.93 अरब डॉलर लगाए। इससे पहले FII की ओर से निवेश का ऐसा स्तर अक्टूबर 2023 में देखा गया था। यह लेवल 12 महीने के एवरेज 43.06 अरब डॉलर से 42 प्रतिशत कम है। सितंबर 2024 में FII ने भारतीय शेयरों में लगभग 52 अरब डॉलर की रिकॉर्ड खरीद की थी।
जनवरी में FII ने ग्रॉस 32.60 अरब डॉलर के भारतीय शेयर बेचे। जनवरी में अब तक नेट आउटफ्लो 7.67 अरब डॉलर दर्ज किया गया है। 15 जनवरी तक FII इक्विटी एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) घटकर 8 महीने के निचले स्तर 786 अरब डॉलर पर आ गया। FII इक्विटी AUM ने पिछले साल सितंबर में 931 अरब डॉलर का रिकॉर्ड हाई क्रिएट किया था।
एक्सिस सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड अक्षय चिंचलकर कहते हैं कि जनवरी ऐतिहासिक रूप से एक कमजोर महीना रहा है। इस साल बिकवाली का स्तर असाधारण रहा है। उन्होंने कहा, "अस्थायी आंकड़ों के आधार पर 29 जनवरी को ही विदेशी निवेशकों ने 2,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निकासी कर डाली। यह लगातार 19वां दिन रहा, जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों में बिकवाली की।"
जनवरी में अब तक सेंसेक्स-निफ्टी में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट
इस महीने अब तक बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। वहीं बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप जैसे ब्रॉडर इंडेक्सेज में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। बिकवाली के इस दबाव के बावजूद जनवरी के मध्य में भारतीय इक्विटी में FII की ओनरशिप 16.1% रही। FII ग्रॉस खरीद-बिक्री रेशियो 31 महीने के निचले स्तर 0.76 पर आ गया, जो 1.05 के लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी नीचे है। यह निवेश की सुस्त भावना को और उजागर करता है।
फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेगमेंट में भी बढ़ा रहे बियरिश पोजिशंस
कैश मार्केट में बिक्री के अलावा FII, फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेगमेंट में भी अपनी बियरिश पोजिशंस बढ़ा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि निफ्टी और बैंक निफ्टी के पीक पर पहुंचने के ठीक 10 दिन बाद 6 अक्टूबर को FII ने इंडेक्स फ्यूचर्स को नेट शॉर्ट किया, यानि लॉन्ग से अधिक शॉर्ट पोजिशन ले ली। शॉर्ट पोजिशन सबसे पहले 14 नवंबर के आसपास पीक पर थी, जिसके बाद निफ्टी ने बॉटम आउट किया और 11 दिसंबर से नए सिरे से बियरिश पोजिशन में आने से पहले एक छोटी रैली को देखा। इसने बाजारों को नए निचले स्तर पर पहुंचा दिया। एनालिस्ट्स अब शॉर्ट पोजिशनिंग ट्रेंड्स पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।