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इंडियन शेयरों में लगातार घट रहा है विदेशी निवेश, जानिए अभी कितना रह गया है

जून तिमाही के अंत में इंडियन कंपनियों के शेयरों में विदेशी निवेशकों का निवेश घटकर 523 अरब डॉलर रह गया। मार्च तिमाही के मुकाबले यह 14 फीसदी की गिरावट है

अपडेटेड Aug 17, 2022 पर 6:02 PM
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विदेशी निवेशकों ने जून तिमाही में इंडियन स्टॉक मार्केट में कुल 13.85 अरब डॉलर के शेयर बेचे।

इंडियन स्टॉक मार्केट्स (Indian Stock Markets) में विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) का इनवेस्टमेंट लगातार घट रहा है। जून तिमाही के अंत में इंडियन कंपनियों के शेयरों में विदेशी निवेशकों का निवेश घटकर 523 अरब डॉलर रह गया। मार्च तिमाही के मुकाबले यह 14 फीसदी की गिरावट है। मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। यह लगातार तीसरी तिमाही है जब इंडियन कंपनियों के शेयरों में विदेशी निवेशकों का इनवेस्टमेंट घटा है।

इस साल की शुरुआत से ही विदेशी निवेशकों ने सावधानी बरतनी शुरू कर दी थी। बाद के महीनों में विदेश और देश से आने वाले खबरों ने उनकी चिंता बढ़ा दी। फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। इसके चलते इंडिया सहित ज्यादातर देशों में इनफ्लेशन में तेज उछाल देखने को मिला।

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मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च तिमाही के अंत में इंडियन स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों का इनवेस्टमेंट 612 अरब डॉलर था। पिछले साल जून में इंडियन स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों का इनवेस्टमेंट 592 अरब डॉलर था।

इस साल जून तिमाही में इंडियन स्टॉक मार्केट के मार्केट कैपिटलाइजेशन में भी विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटी है। मार्च तिमाही के अंत में 17.8 फीसदी से घटकर जून तिमाही में यह 16.9 फीसदी रह गई। इस दौरान इंडियन स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट आई।

इंडिया में इनवेस्ट करने वाले विदेशी निवेशकों में विदेशी म्यूचुअल फंडों की बड़ी हिस्सेदारी है। इसके अलावा बड़े फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) भी इंडियन कंपनियों के शेयरों में काफी पैसा लगाते हैं। विदेशी इंश्योरेंस कंपनियां, हेज फंड और सॉवरेन वेल्थ फंड भी इंडियन मार्केट में पैसा लगाते हैं। ये सभी FPI कैटेगरी के तहत आते हैं।

विदेशी निवेशकों ने जून तिमाही में इंडियन स्टॉक मार्केट में कुल 13.85 अरब डॉलर के शेयर बेचे। यह मार्च तिमाही में उनकी तरफ से की गई 14.59 अरब डॉलर की बिकवाली के मुकाबले कम है। जून तिमाही की शुरुआत में विदेशी निवेशकों के सेंटीमेंट में तब गिरावट आई, जब अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने सख्त मॉनेटरी पॉलिसी अपनाने का ऐलान किया।

फेडरल रिजर्व के इस ऐलान से दुनियाभर में बॉन्ड यील्ड में उछाल देखने को मिला। इसके चलते इनवेस्टर्स ने जोखिम लेना कम कर दिया। फिर, क्रूड की कीमतों में उछाल, कमोडिटी की कीमतों में तेजी और रूस-यूक्रेन लड़ाई का समाधान नहीं निकलने से इनवेस्टर्स सेंटिमेंट और कमजोर पड़ गया।

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