विदेशी निवेशकों ने बीते एक साल में Page Industries सहित इन 10 स्टॉक्स में बढ़ाया निवेश

बीती चार तिमाहियों में ऐसी 10 कंपनियां हैं, जिनके शेयरों में हर तिमाही फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) की हिस्सेदारी बढ़ी है। इनमें Page Industries के शेयरों में उनकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा बढ़ी है। हालांकि, बीती कई तिमाहियों से वे इंडियन मार्केट्स में बिकवाली कर रहे हैं

अपडेटेड Jul 21, 2025 पर 4:48 PM
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KPR Mill, GlaxoSmithKline Pharma और Authum Investment में भी उनकी हिस्सेदारी पिछले साल जून तिमाही से इस साल जून तिमाही के बीच बढ़ी है।

विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स काफी समय से इंडियन स्टॉक मार्केट्स में बिकवाली कर रहे हैं। इससे मार्केट्स पर दबाव बढ़ा है। हालांकि, कुछ शेयरों में उन्होंने बीते एक साल में अपने निवेश बढ़ाए हैं। अब भी उनका इंडियन मार्केट्स में बड़ा निवेश है। जून के अंत में इंडियन मार्केट्स के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में उनकी हिस्सेदारी करीब 16 फीसदी थी। कुछ खास सेक्टर और कंपनियों के शेयरों पर उनका भरोसा बना हुआ है।

पेज इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा दिलचस्पी

एक स्टडी के मुताबिक, बीती चार तिमाहियों में ऐसी 10 कंपनियां हैं, जिनके शेयरों में हर तिमाही फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) की हिस्सेदारी बढ़ी है। इनमें Page Industries के शेयरों में उनकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा बढ़ी है। जून 2024 तिमाही में इस कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 20.6 फीसदी थी। यह जून 2025 तिमाही में बढ़कर 24 फीसदी के पार हो गई। Minda Corporation और कैपिटल प्वाइंट लेबोरेट्रीज में से दोनों में से हर स्टॉक में इस दौरान उनकी हिस्सेदारी 2.8 फीसदी बढ़ी।


इन कंपनियों के स्टॉक में भी बढ़ाया निवेश

KPR Mill, GlaxoSmithKline Pharma और Authum Investment में भी उनकी हिस्सेदारी पिछले साल जून तिमाही से इस साल जून तिमाही के बीच बढ़ी है। केपीआर मिल में पिछले साल जून के अंत में FPI की हिस्सेदारी 5 फीसदी थी, जो इस साल जून के अंत में बढ़कर 6.6 फीसदी हो गई। बाकी दोनों कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी में 1-1 फीसदी का इजाफा हुआ। खास बात यह है कि इन कंपनियों में FPI की हिस्सेदारी में तब इजाफा हुआ है, जब इंडियन मार्केट्स में उन्होंने ज्यादातर बिकवाली की है।

दिसंबर 2024 तिमाही से कर रहे हैं बिकवाली

एफपीआई की बिकवाली की बड़ी वजह इंडियन मार्केट्स की ज्यादा वैल्यूएशन है। मार्च 2025 तिमाही में एफपीआई ने इंडियन मार्केट्स में 13.5 अरब डॉलर की बिकवाली की थी। इससे पहले दिसंबर 2024 तिमाही में उन्होंने इंडियन मार्केट्स में 11.8 अरब डॉलर की नेट बिकवाली की थी। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सीईओ एंड को-हेड प्रतीक गुप्ता ने कहा, "इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन फॉरवर्ड अर्निंग्स का करीब 22 गुना बनी हुई है। इसके अलावा अर्निग्स ग्रोथ सुस्त पड़ रही है।"

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इस साल अर्निंग्स ग्रोथ सिंगल डिजिट में रहेगी

उन्होंने कहा कि इस साल आईटी, कंज्यूमर और बैंकिंग सेक्टर में अर्निंग्स ग्रोथ सिंगल डिजिट में रहने का अनुमान है। हालांकि, 21 जुलाई को इंडियन मार्केट्स में तेजी दिखी। बाजार के प्रमुख सूचकांक Sensex और Nifty दोनों हरे निशान में बंद हुए। दोनों में करीब आधा फीसदी की मजबूती दिखी। निफ्टी बैंक में तो एक फीसदी से ज्यादा की तेजी दिखी।

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