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FPI: मार्च की शुरुआत भी सेलिंग के साथ, पहले सप्ताह में शेयरों से निकाल लिए ₹24753 करोड़

FPI Selling in March: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी

अपडेटेड Mar 09, 2025 पर 2:03 PM
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13 दिसंबर, 2024 से FPI 17.1 अरब अमेरिकी डॉलर के शेयर बेच चुके हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मार्च के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजारों से 24,753 करोड़ रुपये (2.8 अरब डॉलर) निकाले हैं। कंपनियों की कमजोर आय और वैश्विक स्तर पर ट्रेड को लेकर टेंशन बढ़ने के बीच FPI लगातार नेट सेलर बने हुए हैं। इससे पहले फरवरी में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में अब तक FPI कुल 1.37 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।

आंकड़ों के अनुसार, FPI ने इस महीने 7 मार्च तक 24,753 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। यह उनकी शुद्ध निकासी का लगातार 13वां सप्ताह है। 13 दिसंबर, 2024 से FPI 17.1 अरब अमेरिकी डॉलर के शेयर बेच चुके हैं। विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिक्री मुख्य रूप से वैश्विक और डॉमेस्टिक फैक्टर्स, दोनों के कारण है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका की ओर से मेक्सिको, कनाडा और चीन जैसे देशों पर हायर टैरिफ लगाए जाने और भारत सहित कई देशों पर जवाबी यानि रिसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा से मार्केट सेंटिमेंट प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के कमजोर नतीजों ने निगेटिव सेंटिमेंट को और बढ़ा दिया है। इससे FPI भारतीय शेयरों को लेकर सावधानी बरत रहे हैं। अनिश्चितता कमजोर रुपये से और बढ़ गई है, जिससे भारतीय एसेट्स का आकर्षण कम हो गया है।


रुपये में गिरावट और टैक्स स्ट्रक्चर भी एक वजह

डेजर्व के को-फाउंडर वैभव पोरवाल का कहना है कि रुपये में गिरावट ने FPI के लिए रिटर्न को कम कर दिया है। वहीं भारत का टैक्स स्ट्रक्चर भी एक कारण है, जिसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 12.5 प्रतिशत टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 20 प्रतिशत टैक्स है। यह वैकल्पिक बाजारों के विपरीत है, जो कम या जीरो टैक्स एनवायरमेंट उपलब्ध कराते हैं।

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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने चीन के शेयरों के प्रति बढ़ते आकर्षण का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आकर्षक वैल्यूएशन और चीनी सरकार की बड़ी कंपनियों के लिए हालिया सकारात्मक पहल से FPI वहां का रुख कर रहे हैं। इसने चीनी शेयरों में बड़ी तेजी में योगदान दिया है। हैंग सेंग इंडेक्स ने सालाना आधार पर 23.48 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। वहीं भारत के निफ्टी ने 5 प्रतिशत का निगेटिव रिटर्न दिया है। हालांकि, विजयकुमार ने चेताते हुए कहा कि यह एक शॉर्ट टर्म साइक्लीकल ट्रेड हो सकता है, क्योंकि चीन के कॉरपोरेट सेक्टर का प्रदर्शन 2008 से लगातार उम्मीद से कम रहा है।

बॉन्ड मार्केट को लेकर क्या रुख

आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में अब तक FPI ने बॉन्ड में जनरल लिमिट के तहत 2,405 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 377 करोड़ रुपये निकाले हैं। FPI का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी।

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