दिग्गज फंड मैनेजर प्रशांत जैन ने 15 महीनों के कंसॉलिडेशन के बाद मार्केट में तेजी की उम्मीद जताई है। 3पी इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर जैन ने दिवाली से पहले एन महालक्ष्मी के पॉडकास्ट में स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टमेंट के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताईं। उन्होंने कहा कि इस तरह का 'टाइम करेक्शन' अच्छा होता है। आम तौर पर मार्केट में लगातार तेजी से पहले ऐसा होता है।
मार्केट ब्रेक आउट के लिए तैयार
Prashant Jain ने कहा, "आखिर में मार्केट ब्रेक आउट करेगा और ऊपर जाएगा। यह देखा गया है कि ग्रोथ के माहौल में कंसॉलिडेशन के लंबे पीरियड या टाइम करेक्शन के बाद मार्केट ब्रेक आउट करता है और ऊपर जाता है।" उन्होने कोविड की महामारी के बाद बाजार अपने फंडामेंटल्स से आगे निकल गया था। इसकी कई वजहें थीं। इनमें अल्ट्रा-लो प्रॉफिटबिलिटी, तेज अर्निंग्स रिकवरी और नए निवेशकों की बड़ी संख्या शामिल थीं।
मार्केट फंडामेंटल्स से आगे निकल गया था
उन्होंने कहा कि कोविड के बाद अर्निंग्स बेस बहुत ज्यादा कम था। प्रॉफिट और जीडीपी के बीच का रेशियो भी काफी लो था। इसके साथ ही बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने मार्केट में एंट्री की थी। इन सभी ने मिलकर मार्केट को उसके फंडामेंटल्स से आगे धकेल दिया। अब अति उत्साह का वह दौर खत्म हो चुका है। यह करीब एक साल का करेक्शन बहुत अच्छा है। इसने फिर से मार्केट में बैलेंस बनाया है। लार्ज कैप की वैल्यूएशन में आई तेजी अब खत्म हो चुकी है।
मार्केट हाई वैल्यूएशन से नीचे आया है
प्रशांत जैन ने इनवेस्टर्स को भेजे हालिया नोट में बताया है कि मार्केट्स में भी FY27 के अर्निंग्स अनुमान के 20 गुना और FY28 के अर्निंग्स अनुमान के 18 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह करीब 18 गुना के हिस्टोरिकल एवरेज से थोड़ा ज्यादा है। फिर भी यह ठीक है। उनका मानना है कि इंडिया में घरेलू और विदेशी दोनों इनवेस्टर्स के लिए कैपिटल की कॉस्ट कम है, जिसके मद्देनजर इस वैल्यूएशन को ज्यादा नहीं कहा जा सकता।
लोकल निवेश ने मार्केट को संभाला है
उन्होंने नोट में लिखा कि शेयर मार्केट में लगातार और बड़े लोकल निवेश ने उतारचढ़ाव में कमी लाई है। इक्विटी और डेट से इनकम पर टैक्स के नियमों में फर्क से भी शेयरों का आकर्षण बढ़ा है। 15 महीनों के करेक्शन में FIIs ने शुद्ध रूप से 18 अरब डॉलर की बिकवाली की है। इंडियन मार्केट्स में FIIs की ओनरशिप घट रही है। अभी वे इंडियन मार्केट को लेकर अंडरवेट हैं, जबकि पहले ज्यादातर वे ओवरवेट थे। उन्होंने कहा कि विदेशी फंडों की बिकवाली के बीच भी बाजार टिका रहा है। यह घरेलू ताकत बढ़ने की संकेत है।
46 साल में सेंसेक्स 800 गुना चढ़ा है
जैन कहा कि अगले एक साल में मार्केट का रिटर्न पॉजिटिव रहना चाहिए। प्राइमरी मार्केट में बढ़ती एक्टिविटी से स्टैबिलिटी मिली है। कुछ समय तक सुस्त पड़ने के बाद फिर से कैपिटल जुटाने की रफ्तार जोर पकड़ रही है। यह पाइपलाइन बड़ी और इसकी ग्रोथ जारी रहेगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि निवेशकों को अपनी उम्मीदें नियंत्रण में रखने की जरूरत है। ज्यादातर इश्यू का प्रदर्शन लंबी अवधि में कमजोर रह सकता है। उन्होंने कहा कि इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा है। हम जानते हैं कि बीते 46 सालों में सेंसेक्स 800 गुना चढ़ा है।