Gensol Engineering shares: जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में बुधवार 16 अप्रैल को भारी गिरावट देखने को मिली। कारोबार शुरू होते ही कंपनी के शेयरों में 5% का लोअर सर्किट लगा और यह 122.68 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही कंपनी के शेयर अब अपने रिकॉर्ड हाई से करीब 91 फीसदी नीचे आ चुके हैं। यह हालिया गिरावट SEBI की ओर से कंपनी और इसके प्रमोटर्स के खिलाफ आंतरिम आदेश जारी किए जाने के बाद आई है।
SEBI ने अपने एक अंतरिम आदेश में कंपनी के प्रमोटर्स अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर फंड डायवर्जन और झूठे खुलासों के आरोप लगाए हैं। आदेश के अनुसार, अब ये दोनों न ही किसी कंपनी में डायरेक्टर या मैनेजमेंट में अहम पद ले सकेंगे और न ही किसी प्रकार के सिक्योरिटी मार्केट में ट्रेडिंग कर सकेंगे।
SEBI के आदेश में कहा गया है, “जेनसोल इंजीनियरिंग जैसी लिस्टेड पब्लिक कंपनी में कॉरपोरेट गवर्नेंस और आंतरिक नियंत्रण पूरी तरह से विफल रहे हैं। प्रमोटर्स इस पब्लिक कंपनी को ऐसे चला रहे थे, जैसे यह उनकी निजी स्वामित्व वाली कंपनी हो। प्रमोटर्स कंपनी के फंड्स को रिलेटेड पार्टीज को ट्रांसफर करके निजी जरूरतों में खर्च कर रहे थे। वे इसे अपना पिग्गी बैंक समझ रहे थे।”
स्टॉक स्प्लिट पर भी लगी रोक
SEBI के फुलटाइम मेंबर अश्वनी भाटिया ने आंतरिम आदेश में कहा है कि कंपनी की ओर से हाल ही में 1:10 के अनुपात में घोषित स्टॉक स्प्लिट को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया जाता है।
SEBI को संदेह है कि यह स्टॉक स्प्लिट नए रिटेल निवेशकों को लुभाने की एक कोशिश थी, जबकि प्रमोटर्स पहले ही बड़ी मात्रा में अपनी हिस्सेदारी बेच चुके हैं। आगे उनकी ओर से भोले-भाले निवेशकों को और अधिक मात्रा में शेयर बेचने का जोखिम है। आदेश में कहा गया है कि प्रमोटरों को कंपनी में डायरेक्टर या मैनेजमेंट में कोई दूसरे अहम पद पर काम करने की इजाजत देने से कंपनी को और अधिक नुकसान हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि निवेशकों को नियामकीय कार्रवाई के जरिए संभावित अनियमितताओं की जानकारी दी जाए।
जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में कॉरपोरेट गवर्नेंस और कर्ज से जुड़ी चिंताओं वाली रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही लगातार गिरावट जारी है। पिछले एक महीने मेंजेनसोल इंजीनियरिंग का शेयर 46 प्रतिशत टूट चुका है। वहीं पिछले एक साल में इसमें 86 प्रतिशत की गिरावट आई है। कंपनी के ऊपर कॉरपोरेट मिसमैनेजमेंट, कर्ज संकट और गवर्नेंस फेल्योर के आरोप लगे हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा बुरी तरह हिला है।
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