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Goldman Sachs में छंटनी से अमेरिका में गहराई मंदी की चिंता, IT शेयरों की हुई पिटाई

जानकारों का मानना है कि यूएस फेड रिजर्व महंगाई से निपटने के लिए अपनी नीति दरों को बढ़ाकर 4 फीसदी से ज्यादा कर सकता है। जिसके चलते अमेरिका में 2023 की पहली छमाही में मंदी आने की संभावना है

अपडेटेड Sep 14, 2022 पर 3:10 PM
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अधिकांश भारतीय आईटी कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिका से होने वाली आय की हिस्सेदारी 25 से 65 फीसदी तक है

भारतीय आईटी स्टॉक्स में आज (14 सितंबर) के कारोबार में कमजोरी गहराती दिखी है। अमेरिका की एक दिग्गज इनवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी Goldman Sachs ने अपने कर्मचारियों की छंटनी की है। जिसके चलते आईटी सेक्टर के आउटलुक को लेकर चिंता बढ़ी है। जिसका असर आज आईटी शेयरों की पिटाई के रूप में देखने को मिला है।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक Goldman Sachs अमेरिका में मंदी के बढ़ते जोखिम को देखते हुए इसी महीने अपने कर्मचारियों की छंटनी कर सकता है। 2 साल के विराम के बाद Goldman Sachs की तरफ कर्मचारियों की छंटनी करने की अपनी वार्षिक परंपरा को फिर से शुरु करने की खबर के चलते इस बात का डर पैदा हो गया है कि दूसरे बड़े अमेरिकी बैंक गोल्डमैन की नकल करते नजर आ सकते हैं। इसके साथ ही बड़े बैंकों और दूसरे कंपनियों की तरफ से अपने आईटी खर्चों में कटौती की जा सकती है।

मंदी की यह चिंता मंगलवार को और बढ़ती नजर आई। अमेरिका में अगस्त के महंगाई आंकड़ों से पता चलता है कि आम चीजों की कीमतों में होने वाली बढ़त अमेरिकी सेंट्रल बैंक के लिए सरदर्द बनी हुई है। गौरतलब है कि यूएस फेड महंगाई से निपटने के लिए बहुत आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। अगस्त महीने में महंगाई का आंकड़ा 8.3 फीसदी पर रहने के बाद मंगलवार को अमेरिकी बाजारों में टेक्नोलॉजी शेयरों में जोरदार बिकवाली देखने को मिली। वहीं, जानकारों का मानना था कि अगस्त में अमेरिकी की महंगाई 8.1 फीसदी पर रहेगी लेकिन यह उम्मीद से ज्यादा रही है। महंगाई के उम्मीद से ज्यादा रहने के चलते यह डर पैदा हो गया है कि यूएस फेड ब्याज दरों में ज्यादा आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी करेगा। जिससे अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी आ सकती है।


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अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में मंदी की आशंका के चलते 2022 में भारतीय आईटी स्टॉक्स का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। निवेशकों का मानना है कि अमेरिका और यूरोप में मंदी के कारण यहां की बड़ी कंपनियां आईटी पर होने वाले अपने खर्च में कटौती करेंगी। जिससे भारतीय आईटी कंपनियों के आय, मुनाफे और मार्जिन पर दबाव देखने को मिलेगा।

बताते चलें कि अधिकांश भारतीय आईटी कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिका से होने वाली आय की हिस्सेदारी 25 से 65 फीसदी तक है। हालांकि हाल के दिनों में आईटी कंपनियों के मैनेजमेंट की तरफ से आई मजबूत कमेंट्री के चलते आईटी स्टॉक्स को कुछ राहत मिलती दिखी थी। कई कंपनियों के मैनेजमेंट ने अपनी कमेंट्री में कहा था कि अभी तक उनको अपने अमेरिकी और यूरोपियन ग्राहकों की तरफ से आईटी में खर्च घटने के संकेत नहीं दिखे हैं और ना ही कोई प्रोजेक्ट कैंसल हुआ है। लेकिन जानकारों का मानना है कि यूएस फेड रिजर्व महंगाई से निपटने के लिए अपनी नीति दरों को बढ़ाकर 4 फीसदी से ज्यादा कर सकता है। जिसके चलते अमेरिका में 2023 की पहली छमाही में मंदी आने की संभावना है।

आईटी इंडेक्स की चाल पर नजर डालें तो 1.17 बजे के आसपास निफ्टी का आईटी इंडेक्स 3.16 फीसदी की गिरावट के साथ 28195 के आसपास नजर आ रहा था।

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