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हल्दीराम की कहानी : कैसे बीकानेर से हुई एक छोटी शुरुआत ने दुनियाभर में अपनी पहचान बना ली?

1918 में बीकानेर में हल्दीराम की शुरुआत हुई थी। यह छोटी दुकान थी जिसमें पारंपरिक नमकीन और मिठाइयां बेची जाती थीं। इसकी शुरुआत श्री गंगा बिशन अग्रवाल ने की थी। जब बीकानेर में सिर्फ भुजिया की दुकानें थीं तब हल्दीराम ने अलग-अलग उत्पादों के साथ घर-घर में अपनी पहचान बना ली। कारोबार से जुड़ी छह पीढियों की बदौलत अग्रवाल परिवार ने बड़ी संपत्ति बनाई है

अपडेटेड Sep 08, 2023 पर 3:52 PM
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हल्दीराम कई तरह के प्रोडक्ट्स ऑफर करती है। ये सभी हल्दीराम ब्रांड नाम के तहत ऑफर किए जाते हैं। इनमें हल्दीराम, हल्दीराम्स प्रभुजी, बीकानेरवाला, भीखाराम चांदमल, बीकाजी और बीकानो शामिल हैं।

Tata Consumer Products और Haldiram ने डील की खबरों को नकार दिए हैं। खबर आई थी कि टाटा कंज्यूमर हल्दीराम में नियंत्रणयोग्य हिस्सेदारी खरीदने जा रही है। हल्दीराम स्नैक्स एंड फूड कंपनी है। यह डील होगी या नहीं होगी, यह तो समय बताएगा लेकिन इन खबरों से हल्दीराम सुर्खियों में आ गई है। बताया जाता है कि दोनों के बीच डील के रास्ते की बाधा हल्दीराम की वैल्यूएशन है। बताया जाता है कि हल्दीराम की वैल्यूएश 10 अरब डॉलर की है। फाइनेंशियल ईयर 2022 में हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का रेवेन्यू 3,622 करोड़ रुपये था। इसकी सहयोगी कंपनी हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड का रेवेन्यू 5,248 करोड़ रुपये था। दोनों को मिलाकर रेवेन्यू 8,870 करोड़ रुपये था।

बीकानेर में एक छोटी दुकान से हुई थी शुरुआत

1918 में बीकानेर में हल्दीराम की शुरुआत हुई थी। यह छोटी दुकान थी जिसमें पारंपरिक नमकीन और मिठाइयां बेची जाती थीं। इसकी शुरुआत श्री गंगा बिशन अग्रवाल ने की थी। जब बीकानेर में सिर्फ भुजिया की दुकानें थीं तब हल्दीराम ने अलग-अलग उत्पादों के साथ घर-घर में अपनी पहचान बना ली। कारोबार से जुड़ी छह पीढियों की बदौलत अग्रवाल परिवार ने बड़ी संपत्ति बनाई है। हालांकि, इस परिवार को कई कानूनी लड़ाइयों का भी सामना करना पड़ा है। इन सबके बावजूद हल्दीराम घर-घर में अपनी पहचान बनाने में सफल रही है।


परिवार में ब्रांड पर कब्जे के लिए लड़ाई

हल्दीराम कई तरह के प्रोडक्ट्स ऑफर करती है। ये सभी हल्दीराम ब्रांड नाम के तहत ऑफर किए जाते हैं। इनमें हल्दीराम, हल्दीराम्स प्रभुजी, बीकानेरवाला, भीखाराम चांदमल, बीकाजी और बीकानो शामिल हैं। लेकिन, इस उपलब्धि के साथ-साथ परिवार से जुड़े विवाद और कानूनी लड़ाइयां भी सुर्खियां बनती रही हैं। सबसे बड़ी लड़ाई हल्दीराम ब्रांड को लेकर है। अग्रवाल परिवार से जुड़े कई लोग इस विवाद के हिस्सा हैं। सबकी कोशिश इस ब्रांड के इस्तेमाल का कानूनी अधिकार हासिल करना है।

अलग-अलग इलाकों के आधार पर कारोबार का बंटवारा

1990 के दशक की शुरुआत में अग्रवाल के भाइयों-गंगा बिशन अग्रवाल के ग्रैंडचिल्ड्रेन ने हल्दीराम का बंटवारा अलग-अलग इलाकों के आधार पर किया। इसका मकसद बिजनेस को अलग-अलग चलाना था। मधुसूदन और मनोहरलाल को उत्तर भारत का कारोबार मिला। शिव किशन को दक्षिण और पश्चिम भारत का कारोबार मिला। प्रभु शंकर और अशोक को पूर्वी भारत का कारोबार मिला।

कोर्ट ने दिया फैसला

2013 में कोर्ट के आदेश के जरिए प्रभु शंकर और अशोक को 'हल्दीराम्स भुजियावाला' ब्रांड का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया। उसके बाद उन्होंने ब्रांड का नाम बदलकर 'प्रभुजी : फ्रॉम द हाउस ऑफ हल्दीराम्स' कर दिया।

कुल 12 कपनियां चलाती हैं कारोबार

अब हल्दीराम तीन भौगोलिक इलाकों में बटा हुआ है। इसके तहत कुल 12 कंपनियां आती हैं। फाइनेंशियल ईयर 2019 इनका कंबाइंड रेवेन्यू 7,130 करोड़ रुपये था। बड़े कारोबार की वजह वजह से फूड सेगमेंट में हल्दीराम का मुकाबला हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी दिग्गज कंपनियों से रहा है। FY18 में इस ब्रांड की बिक्री 6,241 करोड़ रुपये थी।

यूएस एफडीए ने लगाई थी रोक

2015 में यूएस एफडीए ने हल्दीराम के प्रोडक्ट्स पर रोक लगा दी। उसने इसके लिए इनमें कीटनाशी की ज्यादा मात्रा की उपलब्धता का हवाला दिया। यूएस एफडीए के इस कदम की मीडिया में बहुत चर्चा हुई थी। इंडिया फूड एक्सपोर्ट की क्वालिटी और सेफ्टी को लेकर सवाल खड़े हो गए थे।

कानूनी विवाद का ब्रांड पर असर नहीं

परिवार में विवाद के बावजूद हल्दीराम के ब्रांड पर कभी असर नहीं पड़ा। हल्दीराम का ब्रांड लगातार नई बुलंदी छूता रहा है। एनालिस्ट्स का कहना है कि स्नैक्स मार्केट में शानदार ग्रोथ की वजह यह है कि यह मार्केट अब गैर-ब्रांडेड से ब्रांडेड का रूप ले रहा है। बड़ी स्नैक्स कंपनियां अपने ब्रांड में बड़ा निवेश कर रही हैं। बढ़ता शहरीकरण भी बड़े ब्रांड्स को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है।

हर घर में ब्रांड की एंट्री

आज इंडियन फूड सेक्टर में अग्रवाल परिवार की खास पहचान है। शायद ही कोई मिडिल क्लास फैमिली हो, जहां हल्दीराम के प्रोडक्ट्स की पहुंच न हो। इसकी वजह लगातार इनोवेशन और फोकस है, जिसका ध्यान अग्रवाल परिवार ने हमेशा रखा है।

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