दुनिया भर के जानकारों की आम धारणा है कि यूएस फेड ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी करेगा लेकिन ब्याज दरों में बढ़ोतरी की मात्रा से ज्यादा हमको ब्याज दर में बढ़ोतरी के इस चक्र के पीक पर नजर रखनी चाहिए। ये बातें Equirus के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय गर्ग ने मनीकंट्रोल के साथ हुई एक बातचीत में कहीं।
इतिहास में पहली बार रुपये के 80 के नीचे फिसलने के बाद इन्वेस्टमेंट बैंकिंग का 22 साल का अनुभव रखने वाले अजय गर्ग ने वे 5 कारण बताए हैं जिनकी वजह से उनको लगता है कि रुपया शॉर्ट टर्म में 85 का स्तर नहीं छुएगा लेकिन लॉन्ग टर्म में अपनी गिरावट की स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत रुपया 85 का स्तर छू सकता है।
बाजार की चाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड की स्थिति का निफ्टी 50 पर सीधा असर पड़ता है। मध्य जून में दोनों ने अपना निचला स्तर छुआ था। जून के मध्य में अमेरिका में ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड 3.42 फीसदी के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं निफ्टी 15183 के निचले स्तर पर पहुंच गया था। उसके बाद से दोनों में निचले स्तरों से सुधार हुआ है। बॉन्ड यील्ड इस समय 2.75 फीसदी के आसपास है । वहीं निफ्टी 16700 के आसपास है।
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इस समय हमें भारतीय बाजार में काफी अलग ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं। पिछले 12 महीनों में हमें आईपीओ मार्केट में बड़ी मात्रा में घरेलू बचत आती दिखी है। इसके अलावा सरकार EPFO को भी अपनी जमा का 20 फीसदी इक्विटी मार्केट में डालने के अनुमति देने की तैयारी में है। इससे हमें भारतीय इक्विटी मार्केट में घरेलू पैसा आता दिखेगा। ऐसे में हमारा मानना है कि लंबी अवधि में मजबूत माइक्रो इकोनॉमी स्थितियां बाजार में तेजी लाएगी। जैसे ही ग्लोबल स्थितियां सुधरेंगी बाजार फिर एक बार से गति पकड़ता नजर आएगा।
उन्होंने पहली तिमाही के नतीजों पर बात करते हुए कहा कि अभी तक आए कंपनियों के नतीजे अच्छे रहे हैं। मांग में आई मजबूती ग्रोथ को सपोर्ट करती रही है ऐसी कंपनियां जो घरेलू खपत पर निर्भर है उनके लिए अगले 2 साल का समय सबसे बेहतर रहेगा।
आईटी सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल चुनौतियों की वजह से आईटी सेक्टर पर निगेटिव असर पड़ा है। ये चुनौतियां जल्द ही खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं। दुनिया भर में बढ़ती महंगाई और उससे निपटने के लिए ब्याज दरों में हो रही बढ़ोतरी के कारण घरेलू डिमांड पर भी असर पड़ने की संभावना है। यूरोपियन रीजन में यूक्रेन-रूस के युद्ध के चलते दबाव बने रहने की संभावना है। इसके अलावा अमेरिका में बढ़ती महंगाई के चलते आईटी सेक्टर पर दबाव देखने को मिलेगा। हालांकि साल के अंत तक स्थितियों में सुधार की संभावना है। इसके साथ ही आईटी सेक्टर की मांग में भी बढ़ोतरी आती नजर आएगी।
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