स्टॉक मार्केट को दिशा देने में 3 फैक्टर्स की अहम भूमिका होती है। इन फैक्टर्स में वैल्यूएशन, अर्निंग ग्रोथ और लिक्विडिटी शामिल हैं। इस समय बाजार में वैल्यूएशन काफी अच्छे नजर आ रहे हैं और काफी हद तक कंपनियों के कमाई के अनुमान भी अच्छे हैं। लेकिन लिक्विडिटी एक ऐसी चीज है कम होती नजर आ रही है। 2022 की गर्मियों में ये मुद्दा सुर्खियों में भी रहा।
जानकारों का कहना है कि पिछले 2 साल के दौरान मार्केट में भरपूर लिक्विडिटी देखने को मिली और बाजार की तेजी में लिक्विडिटी की अहम भूमिका रही। लेकिन अब हम ऐसे बाजार में है जहां मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियां बाजार के लिए चुनौती बनी नजर आ रही हैं। इसके बावजूद बाजार जानकारों का कहना है कि अभी भी बाजार में वेल्थ क्रिएशन के मौके हैं लेकिन इसके लिए धैर्य और लंबे अवधि के निवेश की जरुरत होगी।
ASK Group के एक्जिक्यूटिव डायरेक्ट भरत शाह का कहना है कि एक इकोनॉमी और सामाज के तौर पर भारत आगे बढ़ने के लिए तैयार है लेकिन हमारा नजरिया लॉन्ग टर्म का होना चाहिए। भरत शाह भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी को लेकर काफी बुलिश है। उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए PMS AIF वर्ल्ड के तीसरे मिड ईयर समिट के पैनल डिस्कशन में अपने ये विचार रखे।
बताते चलें कि PMS AIF वर्ल्ड नए जमाने का इन्वेस्टमेंट सर्विसेज प्लेटफॉर्म है जो ऐसे HNIs को अपनी सेवाएं देता है जो विश्लेषण और नॉलेज पर आधारित अच्छे निवेश की तलाश में रहते हैं।
इस समिट में बोलते हुए एक और मार्केट दिग्गज Motilal Oswal Group के को-फाउंडर और चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने कहा कि गलतियों को दोहराने से बचना और गलतियों से सीखना निवेश की दुनिया में काफी अहमियत रखता है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में हमें लिक्विडिटी कम होती और ब्याज दरें बढ़ती नजर आ रही हैं। इसके अलावा जिन कंपनियों के वैल्यूएशन में काफी बढ़त आई थी उनमें हमें भारी करेक्शन देखने को मिला है। अभी इनमें और करेक्शन की संभावना भी है।
उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि हाल के दिनों में डिजिटल कंपनियों की काफी पिटाई होती दिखी है। इन्वेस्टरों ने इन डिजिटल कंपनियों की सही वैल्यू को जाने बिना इन पर भारी दांव लगाया। इन कंपनियों में से अधिकांश कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ काफी कमजोर है जिसके चलते निवेशकों को इनमें अपने हाथ जलाने पड़े।
भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों की भगदड़ के बीच बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में रामदेव अग्रवाल का मानना है कि अब निवेशकों को अपने निवेश रणनीति में कुछ बदलाव करने होंगे और उनको अपने होल्डिंग पीरियड में कुछ बढ़ोतरी की भी जरुरत हो सकती है।
इसी तरह Whiteoak Capital Management के प्रशांत खेमका का कहना है कि भारतीय बाजारों से एफआईआई की लगातार बिकवाली के बीच हमें घरेलू बाजार की मजबूती का भी एहसास हुआ है। एक तरफ जहां विदेशी निवेशकों ने बड़ी मात्रा मे बिकवाली की है वहीं दूसरी तरफ हमें घरेलू फंडों की तरफ से खरीदारी भी देखने को मिली है। दूसरी पॉजिटिव बात यह है कि भारतीय बाजारों में एफआईआई की भारी बिकवाली के बावजूद हमारे बाजार इतना नहीं गिरे है जितना अमेरिकी बाजार गिरे हैं। तुलनात्मक रूप से देखें तो इस दौरान भारतीय बाजारों की गिरावट अमेरिकी बाजार की तुलना में आधी रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि अब वह दिन गए जब कहा जाता था कि दुनिया के बाजार वही चाल चलेंगे जो अमेरिकी बाजार चलेगा।
प्रशांत खेमका का कहना है कि आने वाले दशक में भारत जीडीपी और बाजार के साइज के पैमाने पर दुनिया के टॉप 3 देशों में से एक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि आगे एफआईआई की बिकवाली जितना ज्यादा बढ़ती नजर आएगी। उतना ही घरेलू निवेशकों की तरफ से खरीदारी होती नजर आएगी और यह देश के लिए एक बड़ा मौका होगा।
बाजार जानकारों का इस समय भारतीय बाजारों में काफी अच्छे मौके नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें अच्छे मौका की पहचान कर इनमें लंबी अवधि के नजरिए से निवेश की जरूरत है।
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