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मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में कैसी रही बाजार की चाल, आइए डालते हैं एक नजर

नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल के कारोबार में सेंसेक्स 24,700 के स्तर से बढ़कर 56,000 के स्तर पर पहुंच गया है। इस अवधि में सेंसेक्स में करीब 125 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है

अपडेटेड May 30, 2022 पर 3:48 PM
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स्टॉक मार्केट के जानकारों के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों के चलते अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर से ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर की तरफ तेज शिफ्टिंग होती नजर आई है।

नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 8 साल के दौरान देश की इकोनॉमी से जुड़े तमाम बडे़ कदम उठाए गए हैं। नोटबंदी, जीएसटी (GST), मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, वोकल फॉर लोकल केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कुछ ऐसे कदम हैं जिन्होंने भारत के कारोबारी माहौल में बड़ा बदलाव किया है।

स्टॉक मार्केट के जानकारों के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों के चलते अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर से ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर की तरफ तेज शिफ्टिंग होती नजर आई है। इस प्रक्रिया में डिजिटलीकरण का भी अहम योगदान रहा है। बाजार जानकारों का यह भी कहना है कि मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों के चलते भारत में केमिकल और दूसरे सेक्टरों में जोरदार प्रगति हुई है।

लाइव मिंट में छपी खबर के मुताबिक SMC Global Securities के सौरभ जैन का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद डिजिटलीकरण के जरिए अनऑर्गेनाइज्ड कारोबार की शिफ्टिंग ऑर्गेनाइज्ड में होती दिखी है। जिसकी वजह से लिस्टेड ऑर्गेनाइज्ड कंपनियों के तिमाही नतीजों में मजबूती आई है और इन कंपनियों के कारोबारी संचालन के लिए लिक्विडिटी में बढ़ोतरी हुई है।


वर्तमान में घरेलू संस्थागत निवेशक, एफआईआई की तरफ से होनी वाली बिकवाली की भरपाई करते नजर आए हैं। इसकी वजह यह रही है कि मोदी सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों के चलते बाजार में लिक्विडिटी में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।

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Profitmart Securities के अविनाश गोरक्षकर का कहना है कि मोदी सरकार के 8 साल की अवधि में आईटी और टेक स्टॉक्स ने दूसरे सभी सेक्टरों से बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके बाद केमिकल स्टॉक्स का प्रदर्शन भी शानदार रहा है। कोविड -19 महामारी के डेढ़ साल की अवधि को छोड़ दें तो कच्चे तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव विकसित और विकासशील देशों के लिए बहुत बड़ी चुनौती रही है। भारत भी इसका अपवाद नहीं रहा है। ऐसे में निवेशकों का रुझान आईटी और टेक शेयरों की तरफ बढ़ा जिनपर कच्चे तेल की कीमतों की बढ़ोतरी का सबसे कम असर पड़ने वाला था।

इसके अलावा मोदी सरकार टेक और आईटी सेक्टर को लेकर प्रो-एक्टिव रही है जिसके चलते इस सेक्टर को लेकर एफआईआई और डीआईआई दोनों में उत्साह बढ़ता दिखा। कोविड के बाद चाइना से होने वाला केमिकल एक्सपोर्ट काफी गिर गया। जिसका फायदा भारतीय कंपनी को मिल रहा है। भारतीय कंपनियां मेक इन इंडिया जैसे प्रोग्रामों की सफलता के चलते दुनिया भर में केमिकल की बढ़ती मांग को पूरा करने में सफल रही हैं। बता दें कि भारत 26 मई 2014 के पहले इनमें से तमाम केमिकल का आयात करता था।

मिंट में छपी खबर के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल के कारोबार में सेंसेक्स 24,700 के स्तर से बढ़कर 56,000 के स्तर पर पहुंच गया है। इस अवधि में सेंसेक्स में करीब 125 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। उसी तरह निफ्टी इसी अवधि में 7,200 के स्तर से बढ़कर 16,650 के स्तर पर पहुंच गया है। इन 8 सालों में निफ्टी में 130 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।

पिछले 8 सालों के दौरान बीएसई मिडकैप इंडेक्स 8670 से बढ़कर 22,970 के स्तर पर आ गया है। इस अवधि में इसने करीब 165 फीसदी का रिटर्न दिया है। इसी तरह मोदी सरकार के 8 साल के कारोबार के दौरान बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 9,125 से बढ़कर 26,185 के स्तर पर आ गया है। इस दौरान इसने 185 फीसदी का रिटर्न दिया है।

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