अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) की प्रबंध निदेशक ने गुरुवार को चेतावनी दी कि दुनिया की कई बड़ीअर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका दिख रही है। इस वजह से साल 2023 में ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ तीन प्रतिशत से नीचे रह सकती है। अगले सप्ताह आईएमएफ और विश्व बैंक की स्प्रिंग मीटिंग्स से पहले अपने बयान में क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने कहा, "बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और ज्यादा महंगाई के चलते मजबूत रिकवरी मुश्किल दिख रही है।" उन्होंने कहा "यह सभी की उम्मीदों को नुकसान पहुचा रही है। विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों और देशों के लिए के लिए ये स्थिति ठीक नहीं है।"
ग्लोबल ग्रोथ पिछले साल लगभग आधी होकर 3.4 प्रतिशत हो गई। इसकी वजह ये है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का असर विश्व अर्थव्यवस्था पर छा गया। जिससे कोविड-19 महामारी से उबरना अचानक रुक गया।
हालांकि एशिया के उभरते बाजारों में आर्थिक उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि दिखने की उम्मीद है। इस साल सभी ग्रोथ के आधे हिस्से में भारत और चीन के योगदान का अनुमान लगाया गया है। वैसे ये अच्छी खबर दुनिया की 90 प्रतिशत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के लिए अपेक्षित मंदी से अधिक महत्वपूर्ण भी होगी।
"ग्रोथ ऐतिहासिक तुलना से कमजोर बनी हुई है - निकट और मध्यम अवधि दोनों में कमजोर बनी हुई " ऐसा उसने कहा।
उन्होंने कहा कि वर्ल्ड ग्रोथ अगले आधे दशक के लिए लगभग तीन प्रतिशत रहने की संभावना है। जो 1990 के दशक के बाद से सबसे कम मध्यम अवधि का पूर्वानुमान है।
Georgieva ने कहा कि कम आय वाले देशों को उच्च उधारी लागत और उनके निर्यात की मांग में गिरावट से दोहरा झटका लगने की आशंका है। इससे गरीबी और भूखमरी बढ़ सकती है।
Georgieva ने कहा "लगभग 15 प्रतिशत कम आय वाले देश पहले से ही कर्ज संकट में हैं। अन्य 45 प्रतिशत देश उच्च कर्ज कमजोरियों का सामना कर रहे हैं।" उन्होंने कहा धनी आईएमएफ सदस्यों को इनकी मदद करने के लिए और अधिक योगदान देने की आवश्यकता है।