घरेलू डिमांड में तेजी और सामान्य मानसून से मिल सकता है सपोर्ट, ट्रंप टैरिफ का नहीं होगा कोई बड़ा असर : PL कैपिटल
PL कैपिटल को उम्मीद है कि निकट भविष्य में बाजार अस्थिर रहेंगे, लेकिन 2025 की चौथी तिमाही के अंत तक बाजार में स्थिरता आ जाएगी। विभिन्न सरकारी पहलों और समान्य मानसून का प्रभाव 2026 की दूसरी तिमाही में बेहतर उपभोक्ता मांग के रूप में दिखाई देने लगेगा
PL कैपिटल का मानना है कि भारत को अमेरिकी टैरिफ नीतियों से कोई भी बड़ा नुकसान होने की संभावना नहीं है,क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, भू-राजनीतिक उठापटक और भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में बढ़त ट्रम्प टैरिफ को नुकसानों को बेअसर कर देगी
देश की जाने-माने ब्रोकरेज PL कैपिटल - प्रभुदास लीलाधर ने अपनी हिलिया रिपोर्ट में कहा है कि देश में घरेलू खपत रिकवरी के कगार पर है। इस साल मानसून भी सामान्य रह सकता है। इससे इकोनॉमी में डिमांड और खपत बढ़ती दिख सकती है। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि शॉर्ट टर्म में बाजार में उठापटक जारी रहेगी। लेकिन वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के अंत तक बाजार में स्थिरता लौट आएगी। इसके अलावा सरकारी कैपेक्स में बढ़ोतरी, बजट में टैक्स में की गई कटौती और उपभोक्ताओं की तरफ से मांग में आ रही तेजी को देखते हुए लगता है कि एफपीआई निवेश में भी बढ़त देखने को मिल सकती है। बता दें कि इस समय एफपीआई की तरफ से हो रही बिकवाली बाजार के लिए बहुत बड़ी चिंता बनी हुई है। प्रभुदास लीलाधर ने अपनी इस रिपोर्ट में निफ्टी का 12 महीने का टारगेट 25,689 का दिया है।
इस समय बाजार के लिए नजर आ रही सबसे बड़ी चिंता एफपीआई निवेश में भी उच्च पूंजीगत व्यय, करों में कटौती और उपभोक्ता मांग में सुधार के कारण बढ़त देखने को मिल सकती है। अंत में, निफ्टी का 12 महीने का लक्ष्य 25,689 पर नजर आ रहा है।
खपत में तेजी लौटने के संकेत
PL कैपिटल को घरेलू मांग में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है उसका कहना है कि खाने-पीने की चीजों की महंगाई में नरमी आ रही है (अक्टूबर 2024 के 10.9% से घटकर वर्तमान में 6% हो गई है)। RBI और OMO द्वारा रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती से अगले 3-6 महीनों में सिस्टम में नकदी बढ़ेगी। भारत में उपभोक्ता वर्ग के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की आयकर कटौती से सपोर्ट मिलेगा। धार्मिक पर्यटन में बढ़त से भी बाजार को बल मिलेगा।
बजट में टैक्स में हुई कटौती, खाने-पीने की चीजों की महंगाई में गिरावट और रेपो दर में कटौती के बाद मांग में बढ़त की उम्मीद को देखते हुए PL कैपिटल अपने मॉडल पोर्टफोलियो में खपत से जुड़े शेयरों पर ओवरवेट है। ब्रोकरेज ने बैंकों और हेल्थकेयर पर वेटेज बढ़ा दिया है। इसके मॉडल पोर्टफोलियो में सिप्ला और एस्ट्रल पॉली को जोड़ा गया है और मारुति सुजुकी, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एबीबी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, इंटरग्लोब एविएशन, आईटीसी और भारती एयरटेल पर वेटेज बढ़ाया गया है। पीएल कैपिटल एलएंडटी, टाइटन, एचयूएल, आरआईएल, एचसीएल टेक और एचडीएफसी एएमसी में वेटेज घटा रहा है और दूसरे शेयरो में छोटे-मोटे एडजस्टमेंट कर रहा है।
बाजार की संभावनाएं
PL कैपिटल को उम्मीद है कि निकट भविष्य में बाजार अस्थिर रहेंगे, लेकिन 2025 की चौथी तिमाही के अंत तक बाजार में स्थिरता आ जाएगी। विभिन्न सरकारी पहलों और मानसून (APEC क्लाइमेट सेंटर साउथ कोरिया के अनुसार मानसून सामान्य रह सकता है) का प्रभाव 2026 की दूसरी तिमाही में बेहतर उपभोक्ता मांग के रूप में दिखाई देने लगेगा।
FPI की निकासी
ग्लोबल अनिश्चितता और कमजोर भारतीय रुपये के कारण FIIs बिकवाली कर रहे हैं। अक्टूबर 2024 से FIIs ने भारतीय इक्विटी और बॉन्ड से 20.2 बिलियन डॉलर निकाले हैं, जो हाल के इतिहास में हुई सबसे बड़ी निकासियों में से एक है। भारत में 8.2 बिलियन डॉलर की निकासी हुई है, जो उभरते बाजारों से हुई कुल एफआईआई निकासी का एक बड़ा हिस्सा है। मजबूत घरेलू बफर की कमी, लगातार बनी वैश्विक अनिश्चितता, कमजोर घरेलू मांग और FDI की तरफ से लगातार हो रही निकासी निकट भविष्य में भारत में मुद्रा बाजार और FPI निवेश में अस्थिरता का जोखिम पैदा कर रही है।
हालांकि ग्लोबल बाजारों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, फिर भी PL कैपिटल का मानना है कि भारत में ग्रोथ की संभावना वित्त वर्ष 2025 की तुलना में वित्त वर्ष 2026 में ज्यादा बेहतर है। जैसे ही लो बेस पर हाई कैपेक्स के रूप में बजट का प्रभाव दिखना शुरू होगा, कर में हुई कटौती और सामान्य मानसून उपभोक्ता मांग में तेजी लाएंगे, हमें एफपीआई निवेश की वापसी होने की संभावना है।
PL कैपिटल ने अपनी कन्विक्शन पिक्स की लिस्ट से अंबुजा सीमेंट, सीमेंस, लेमन ट्री, प्राज, जिंदल स्टेनलेस, साइएंट और साइएंट डीएलएम को हटा दिया है। हालांकि वह लंबी अवधि के नजरिए से सीमेंस, लेमन ट्री और प्राज पर पॉजिटिव बना हुआ है। पीएल कैपिटल ने अपनी कन्विक्शन पिक्स में एबीबी, एस्ट्रल पॉली, शैलेट होटल्स, सिप्ला, इंगरसोल रैंड, कीन्स टेक और मारुति सुजुकी को शामिल किया है।
ट्रम्प टैरिफ टैंट्रम
PL कैपिटल का मानना है कि भारत को अमेरिकी टैरिफ नीतियों से कोई भी बड़ा नुकसान होने की संभावना नहीं है,क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, भू-राजनीतिक उठापटक और भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में बढ़त ट्रम्प टैरिफ को नुकसानों को बेअसर कर देगी। भले ही अप्रैल 2025 तक भारत पर अमेरिकी टैरिफ 15-20 फीसदी तक बढ़ जाए, लेकिन भारत के प्रमुख निर्यातक सेक्टर जैसे फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, आभूषण और वस्त्र कम टैरिफ अंतर (लो टैरिफ डिफरेंसियल) के भीतर काम करते हैं, जिससे टैरिफ में बढ़त से जुड़ा जोखिम कम हो जाता है। यूरोप और मध्य पूर्व (IMEC) के रास्ते नए ट्रेड रूट खोल कर अत्यधिक डाइवर्सिफाइड एक्सपोर्ट बेस द्वारा होने वाले भारत के निर्यात इस जोखिम को कम करते हैं।
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