वैल्यूएशन एक्सपर्ट अश्वथ दामोदरन (Aswath Damodaran) का कहना है कि भारत का शेयर बाजार तो महंगा है, लेकिन देश का रियल एस्टेट मार्केट इससे भी कहीं अधिक महंगा है। दामोदरन ने कहा कि भारतीयों के लिए कहीं और बाहर निवेश करना काफी मुश्किल है। यही वजह है कि स्टॉक मार्केट लगातार ऊंचाई पर बना हुआ है।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर अश्वथ दामोदरन ने NDTV प्रॉफिट से एक बातचीत में बताया कि उन्होंने दुनिया के कई देशों के P/E रेशियो का आकलन किया और पाया कि भारत का P/E रेशियो सबसे ज्यादा है। सका मतलब है कि भारत के शेयरों की कीमतें उनकी असली वैल्यू से कहीं ऊंचे भाव पर ट्रेड हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे पीछे असली वजह यह है कि भारतीय लोगों के पास पैसे निवेश करने के लिए ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं।
उन्होंने न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, "देश अमीर होता जा रहा है। लेकिन इस पैसे पास स्टॉक मार्केट में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। आखिर आप क्या करेंगे? आप भारत के रियल एस्टेट मार्केट में जाएंगे, लेकिन उसका वैल्यूएशन इससे भी अधिक है। ऐसे में निवेशकों के पास शेयर बाजार ही आखिरी विकल्प बचता है।”
अश्वथ दामोदरन इससे पहले भी भारत के रियल एस्टेट मार्केट के ओवरवैल्यूएशन पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। ANAROCK की 2025 की पहली छमाही के लिए हालिया कंज्यूमर सेंटिमेंट सर्वे में भी कुछ ऐसी चिंताएं झलकी हैं। सर्वे के मुताबिक, देशभर में प्रॉपर्टी खरीदने की चाहत रखने वाले 81 फीसदी लोग बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। रिपोर्ट बताती है कि पिछले दो सालों में घरों के औसतम दाम 50% से ज्यादा बढ़ गए हैं।
सर्वे के मुताबिक, 62% खरीदार मौजूदा अफोर्डेबल हाउसिंग विकल्पों से नाखुश हैं। वहीं 92% खरीदार प्रोजेक्ट्स की लोकेशन से असंतुष्ट हैं। ANAROCK ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, 2026 तक औसतन मकानों की कीमतें सालाना 6-7% और किराए 7-10% तक बढ़ सकते हैं, जो महंगाई दर के मुकाबली काफी तेज है।
2025 की GROHE-HURUN India Real Estate 150 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों की संयुक्त वैल्यू 16 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है। यह कुछ देशों, जैसे कुवैत के GDP से भी ज्यादा है।
"तुरंत गिरावट की संभावना नहीं"
हालांकि दामोदरन ने यह भी कहा कि शेयर बाजार की ऊंची वैल्यूएशन के बावजूद तुरंत किसी बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, “संस्थागत निवेशकों को डर है कि अगर वे भारतीय बाजार में शामिल नहीं हुए, तो पीछे रह जाएंगे। यही डर और निवेश के विकल्पों की कमी, शेयर बाजार को लगातार ऊपर ले जा रही है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) सिर्फ रिटर्न्स के पीछे भागते हैं। दामोदर ने कहा, “अगर भारतीय बाजार में दो हफ्ते अच्छे रहे, तो वे तेजी से वापस आ जाएंगे।”
डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।