Stock Markets: जापान की ब्रोकरेज फर्म नोमुरा होल्डिंग्स (Nomura Holdings) ने भारतीय शेयर बाजार पर दबाव जारी रहने की संभावना जताई है। फर्म का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) चीन की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे भारतीय बाजारों में आगे और बिकवाली देखने को मिल सकती है। नोमुरा के मुताबिक, भारतीय बाजारों की वैल्यूएशन ऊंचे स्तर पर बनी हुई है, जो इस समय सबसे बड़ी चिंता है। फिलहाल MSCI इंडिया इंडेक्स का PE रेशियो 21x पर ट्रेड कर रहा है, जबकि 2015 और 2022 का औसत क्रमशः 19.6x और 21.5x रहा है।
Nomura का कहना है कि यह PE स्तर नए निवेश के लिए आकर्षक हो सकता था, लेकिन चीन में बढ़ते अवसरों और घरेलू चुनौतियों के कारण भारतीय बाजार में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है।
हाल ही में चीन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), रोबोटिक्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) जैसी नई तकनीकों में तेजी आई है। इसके डीपसीक (DeepSeek) चैटबॉट ने पूरी दुनिया में तहलका मचाया हुआ है। इस कारण चीन के शेयर बाजारों को अब सस्ते में नहीं आंका जा रहा और निवेशकों का झुकाव वहां बढ़ गया है।
इसका असर भारतीय बाजारों पर पड़ सकता है। ब्रोकरेज ने कहा कि चीन का विकल्प होने के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल सकते हैं। इससे भारत की धीमी होती अर्थव्यवस्था, कमजोर कॉर्पोरेट आय और अमेरिकी टैरिफ जोखिम के कारण भारतीय इक्विटी मार्केट पर और दबाव आ सकता है। रुपये की कमजोरी और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली बाजार में और गिरावट ला सकती है।
FII की बिकवाली जारी रह सकती है
Nomura का कहना है कि विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी 16% तक गिर गई है, जो पिछले एक दशक में सबसे कम है। लेकिन FII अभी भी भारतीय शेयरों में 782 अरब डॉलर (लगभग ₹65 लाख करोड़) का निवेश रखते हैं, जो कोविड-पूर्व स्तर से अधिक है। अगर चीन में सकारात्मक माहौल जारी रहा, तो FII की बिकवाली आगे भी जारी रह सकती है।
Nomura का कहना है कि अभी तक म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों का आने वाला निवेश मजबूत बना हुआ है। लेकिन ब्रोकरेज फर्म को डर है कि अगर घरेलू निवेशक भी म्यूचुअल फंड्स से पैसे निकालने लगते हैं, तो यह बाजार में और गिरावट ला सकता है।
लंबी अवधि के लिए भारत पर भरोसा कायम
हालांकि, Nomura ने कहा कि वह लंबी अवधि के नजरिए के हिसाब से भारतीय शेयर बाजार पर अब भी पॉजिटिव बना हुआ है। ब्रोकरेज का मानना है कि मौजूदा सुस्ती एक साइक्लिक चरण है, न कि कोई बड़ी स्ट्रक्चरल गिरावट।
ब्रोकरेज ने कहा कि NSE 500 और Nifty 50 इंडेक्स में 200 DMA से नीचे ट्रेड करने वाले शेयरों की संख्या रिकॉर्ड निचले स्तर पर है। ऐतिहासिक रूप से, इस स्थिति के बाद 3, 6 और 12 महीनों में बाजार में मजबूती देखने को मिलती है।
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