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भारी पिटाई के बावजूद भारत की टॉप 5 आईटी कंपनियां अभी भी महंगी, क्या करना चाहिए निवेश?

एनालिस्टों का कहना है कि हाल ही में आए 4 बड़ी आईटी कंपनियों के नतीजे मिलेजुले रहे हैं। नई भर्तियों में हल्की गिरावट और टोटल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू मे कमजोरी से मंदी के संकेत नजर आ रहे हैं

अपडेटेड Oct 14, 2022 पर 12:22 PM
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Mehta Equities के प्रशांत तापसे का कहना है कि आईटी कंपनियों में निवेश निर्णय लेने के पहले हमें अमेरिका और यूरोप की इकोनॉमिक स्थित पर नजर बनाए रखने की जरूरत है
     
     
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    RAVINDRA SONAVANE

    2022 में अब तक भारी गिरावट के बावजूद अभी भी भारत की टॉप 5 आईटी कंपनियां महंगी नजर आ रही हैं। इनका मौजूदा एक साल का फॉरवर्ड प्राइस-अर्निंग (पीई) अनुपात औसत 10-वर्षीय फॉरवर्ड पीई से अधिक है। उपलब्ध आंकड़ो से पता चलता है कि Infosys (इंफोसिस) के मामले में यह अंतर सबसे ज्यादा है। इसका 1 साल का फॉरवर्ड पीई 22.6 पर नजर आ रहा है जबकि 10 साल का औसत फॉरवर्ड पीई 18.63 पर नजर आ रहा है। इसी तरह TCS (टीसीएस) का 1 साल का फॉरवर्ड पीई 25.27 पर नजर आ रहा है जबकि इसका 10 साल का औसत फॉरवर्ड पीई 21.68 पर नजर आ रहा है।

    इसी तरह Wipro, HCL Tech और Tech Mahindra का वर्तमान 1 ईयर फॉरवर्ड पीई क्रमश: 16.72, 17.39 औऱ 15.42 पर स्थित है। जबकि इनका 10 ईयर एवरेज पीई क्रमश: 16.6, 15.41, और 15.28 पर स्थित है। जबकि बीएसई आईटी इंडेक्स का 1 ईयर फॉरवर्ड पीई 21.89 पर नजर आ रहा है। जबकि इसका 10 वर्षीय फॉरवर्ड पीई 18.50 पर स्थित है।


    एनालिस्टों का कहना है कि हाल ही में आए 4 बड़ी आईटी कंपनियों के नतीजे मिलेजुले रहे हैं। नई भर्तियों में हल्की गिरावट और टोटल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू मे कमजोरी से मंदी के संकेत नजर आ रहे हैं। इसके अलावा खराब होती मैक्रो स्थित के चलते आईटी कंपनियों के ग्राहकों द्वारा सर्तक नजरिया अपनाने के संकेत दिख रहे हैं।

    Mehta Equities के प्रशांत तापसे का कहना है कि आईटी कंपनियों में निवेश निर्णय लेने के पहले हमें अमेरिका और यूरोप की इकोनॉमिक स्थित पर नजर बनाए रखने की जरूरत है क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई में यूरोप और अमेरिका से होने वाली आय का बहुत बड़ा योगदान होता है।

    कोटक सिक्योरिटी के सुमित पोखरना (Sumit Pokharna) का कहना है कि आगे आने वाली तिमाहियों में आईटी कंपनियों के लिए विकसित देशों की मंदी सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी। जिसके चलते तमाम बड़ी ग्लोबल कंपनियां आईटी पर होने वाला अपना खर्च घटाती नजर आ सकती हैं। जिससे भारत की आईटी कंपनियों के टोटल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू में गिरावट देखने को मिल सकती है।

    Reliance Securities के मितुल शाह का कहना है कि हाई एट्रिशन रेट, वेतन में बढ़ोतरी, ट्रैवल और वीजा कॉस्ट में बढ़ोतरी के चलते अगले 1-2 तिमाहियों में आईटी कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि वित्त वर्ष 2023 के अंत तक एट्रिशन रेट में गिरावट देखने को मिल सकती है। इसके साथ ही वेतन लागत में भी स्थिरता आती नजर आ सकती है। उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2024 में बेहतर प्राइसिंग के चलते आईटी कंपनियों के मार्जिन में सुधार होता दिख सकता है। मितुल शाह का कहना है कि इस समय कुछ आईटी शेयर अच्छे नजर आ रहे हैं। किसी अगली गिरावट की स्थिति में चुनिंदा क्वालिटी आईटी स्टॉक्स में खरीदारी की जा सकती है।

    सुमित पोखरना का भी मानना है कि आगे हमें आईटी कंपनियों के एट्रिशन रेट में गिरावट देखने को मिल सकती है और मांग में कमजोरी की मुश्किल खत्म होती दिख सकती है।

     

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