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Navratri Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और आसान उपाय

Navratri Day 7: सप्तमी तिथि यानी नवरात्रि का सातवां दिन आज, 29 सितंबर 2025। मां कालरात्रि की पूजा करने से न केवल नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य भी सुनिश्चित होता है। यह दिन भक्तों के लिए बेहद पावन और शक्तिशाली माना जाता है

अपडेटेड Sep 29, 2025 पर 9:09 AM
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Navratri Day 7: आज का दिन सोमवार है, तिथि सप्तमी दोपहर 04:31 तक रहेगी।

आज यानी 29 सितंबर 2025 को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विशेष पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मां की विधिपूर्वक आराधना करने से भक्तों के जीवन में सुरक्षा, सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि का रूप भयानक प्रतीत होता है, लेकिन भक्तों के लिए वह सभी नकारात्मक शक्तियों और संकटों से रक्षा करती हैं। इस पावन दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में शांति, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आज का पंचांग

आज का दिन सोमवार है, तिथि सप्तमी दोपहर 04:31 तक रहेगी। सूर्य राशि कन्या और चंद्र राशि धनु में स्थित हैं। सूर्योदय सुबह 06:13 बजे और सूर्यास्त शाम 18:09 बजे होगा। चंद्रमा दोपहर 12:51 बजे उदय होगा और 22:55 बजे अस्त होगा। आज का मूल नक्षत्र गंभीर, अनुशासनप्रिय और ईमानदार व्यक्तित्व को दर्शाता है।


शुभ और अशुभ समय

अभिजीत मुहूर्त: 11:47–12:35

अमृत काल: 30 सितंबर रात 11:15 से 01:01 तक

राहुकाल: 07:43–09:12

गुलिकाल: 13:41–15:10

यमगण्ड: 10:42–12:11

आज का नक्षत्र

विशेषताएं: क्रोधी, अनुशासनप्रिय, गंभीर, मिलनसार, दानशील, ईमानदार

स्वामी: केतु

देवता: निरति (विनाश की देवी)

प्रतीक: पेड़ की जड़

विद्या और ज्ञान की देवी को आमंत्रित करें

शिक्षा, कला और संगीत में सफलता पाने के लिए आज मां सरस्वती का अवाहन करना लाभकारी है। मंत्रों और स्तोत्रों के माध्यम से मां का स्वागत करें। ये मानसिक शांति, ज्ञानवृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का उत्तम तरीका है।

मां कालरात्रि की पूजा

सातवें दिन की पूजा मां कालरात्रि को समर्पित होती है। मां कालरात्रि का रूप भयानक लगता है, लेकिन भक्तों के लिए ये संकट और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा करती हैं। उनके चार हाथ हैं, जिनमें खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है। बाल लंबे और बिखरे हुए, गले में माला, और शरीर काला है।

रूप और प्रतीक: शरीर काला, लंबे बिखरे बाल, चार हाथ जिनमें खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा।

प्रिय भोग: गुड़ और गुड़ से बनी चीजें।

पूजा विधि

  1. घर या मंदिर को साफ करें।
  2. दीपक जलाएं, धूपबत्ती लगाएं।
  3. मां के चित्र या प्रतिमा पर हल्दी-कुमकुम लगाएं।
  4. फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. मंत्र “ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:” कम से कम 108 बार जपें।
  6. घर और परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगें।
  7. पूजा के अंत में आरती करें और भोग लगाएं।

सप्तमी तिथि के विशेष उपाय

  • जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।
  • पूजा में लाल फूल और लाल वस्त्र का प्रयोग करें।
  • घर में रोग या अशांति हो तो हवन या यज्ञ करें।

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:53–05:41
  • अभिजीत मुहूर्त: 12:05–12:53
  • विजय मुहूर्त: 14:29–15:17
  • गोधूलि मुहूर्त: 18:29–18:53
  • अमृत काल: 23:15–01:01 (30 सितंबर)
  • निशिता मुहूर्त: 00:05–00:53 (30 सितंबर)

माता कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी 'भक्त' प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय

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