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Sharad Purnima 2025: 6 अक्टूबर की रात चंद्रमा से होगी अमृत की बरसात, इस दिन खीर बनाकर जरूर लगाएं भोग

Sharad Purnima 2025: यह तिथि साल की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और धरती के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा को खीर अर्पित की जाती है और माना जाता है कि चंद्रमा से अमृत बरसता है।

अपडेटेड Sep 28, 2025 पर 8:00 AM
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शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के नीचे दूध या बना कर रखने से वह भी अमृत के समान हो जाती है।

Sharad Purnima 2025: हिंदू धर्म में पूर्णिमा की इस तिथि का विशेष महत्व है। इसे अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस रात को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा इसलिए कहते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इस दिन से सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है।

शरद पूर्णिमा को पूरे साल की सबसे खूबसूरत रात भी कह जाता है, क्योंकि इस पूर्णिमा पर चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इससे अमृत बरसता है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा के नीचे दूध या बना कर रखने से वह भी अमृत के समान हो जाती है। यह खीर सूर्योदय से पहले प्रसाद में जरूर ग्रहण करनी चाहिए। माना जाता है कि इस प्रसाद को खाने से रोगों से मुक्ति मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है। इस तिथि पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है, जिससे धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

आश्विन पूर्णिमा तारीख

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार सोमवार, 6 अक्टूबर को दोपहर 12.23 बजे आश्विन पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। यह तिथि मंगलवार, 7 अक्टूबर को सुबह 9.16 बजे खत्म होगी।

आश्विन पूर्णिमा व्रत

हालांकि आश्विन पूर्णिमा का व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा क्योंकि इस व्रत में रात को चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। इसके बिना यह व्रत पूरा नहीं होता है।


शरद पूर्णिमा स्नान-दान समय और तिथि

शरद पूर्णिमा के दिन स्नान दान का बहुत महत्व होता है। उदयातिथि के आधार पर आश्विन पूर्णिमा का स्नान और दान 7 अक्टूबर मंगलवार को होगा। इस दिन स्नान के बाद चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करते हैं। गरीब और जरूरतमंद को को चावल, दूध, खीर, सफेद चंदन, चांदी, सफेद वस्त्र आदि का दान कर सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त : 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक

लाभ-उन्नति मुहूर्त : 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक

अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त : 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक।

शरद पूर्णिमा पर रहेगी भद्रा और पंचक

आश्विन पूर्णिमा के व्रत वाले दिन भद्रा और पंचक हैं। भद्रा दोपहर 12:23 बजे से शुरू होगी और रात 10:53 बजे तक रहेगी। इस भद्रा का वास धरती पर है, इसलिए इस समय में कोई शुभ कार्य न करें। वहीं पंचक पूरे दिन रहेगा।

शरद पूर्णिमा पर चांद्रोदय का समय

आश्विन पूर्णिमा की शाम चांद 5.27 बजे निकलेगा। चंद्रमा के अस्त होने का समय 7 अक्टूबर को सुबह 6.14 बजे है।

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