इंडसइंड बैंक को उम्मीद है कि अगले साल वह देश के बैंकिंग सेक्टर के अनुरूप ही विकास करेगा। इस वर्ष के शुरू में एकाउंटिंग संबंधी चूक के कारण बैंक ने अपने खातों को साफ-सुथरा बनाने और संगठनात्मक सुधार को पूरा करने का प्रयास किया है। आगे बैंक को इसका फायदा मिलेगा। ब्रिटेन स्थित हिंदुजा परिवार की सबसे बड़ी शेयरधारिता वाला यह बैंक संकट में पड़ गया था।
बैंक के CEO राजीव आनंद ने कहा है कि गवर्नेंस और एकाउंटिंग संबंधी खामियों के कारण बैंक के पूर्व CEO सुमंत कठपालिया और उनके डिप्टी अरुण खुराना को पद छोड़ना पड़ा, इसके चलते बैंक संकट में पड़ गया था। 31 मार्च को समाप्त तिमाही में बैंक के खातों में 23 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ और उसे अब तक का सबसे बड़ा घाटा उठाना पड़ा।
राजीव आनंद ने मुंबई में एक इंटरव्यू में रॉयटर्स से कहा कि वित्तीय वर्ष 2026-27 से बैंक मोटे तौर पर (विशेष रूप से डिपॉजिट के नजरिए से) बाजार के अनुरूप ग्रोथ करना शुरू करेगा। उन्होंने आगे कहा कि अगले साल बैंक अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास करेगा तथा अपने टर्नअराउंड के तीसरे साल में कुछ चुनिंदा सेक्टरों पर अपनी बढ़त स्थापित करेगा।
अगले 12-18 महीनों में 1% रिटर्न ऑन असेट हासिल करने का लक्ष्य
एक्सिस बैंक के साथ काम कर चुके अनुभवी बैंकर राजीव आनंद ने आगे कहा कि इंडसइंड बैंक का लक्ष्य अगले 12-18 महीनों में 1% की दर से रिटर्न ऑन असेट (RoA) हासिल करना है। बता दें कि RoA एक ऐसा पैमाना है जो दिखाता है कि बैंक अपने असेट्स को लाभ कमाने के लिए कितनी कुशलता से इस्तेमाल करता है। गवर्नेंस और एकाउंटिंग में हुए चूक के कारण बैंक का RoA निगेटिव हो गया है। हालांकि पहले इसका RoA 1% के करीब था। इन खामियों के कारण इस साल बैंक के शेयरों पर निगेटिव असर पड़ा है। 2025 में अब तक यह शेयर 18% गिर चुका है, जबकि बेंचमार्क निफ्टी में 8% की बढ़त हुई है।
बाजार से पूंजी जुटाने की योजना नहीं
हालांकि, इंडसइंड बैंक निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए जाने-माने निवेशकों से पूंजी जुटाने के तरीके का इस्तेमाल नहीं करेगा। गौरतलब है हाल ही में कई भारतीय बैंकों ने काफी विदेशी पूंजी जुटाई है,जिससे इनके शेयरों में तेजी आई है। इस मुद्दे पर बात करते हुए राजीव आनंद ने कहा, "इस समय हमें सेफ्टी या ग्रोथ के लिए पूंजी की जरूरत नहीं है। हमारे पास कम से कम अगले कुछ सालों के लिए पर्याप्त पूंजी है। इस समय जब बैंक को पूंजी की जरूरत नहीं है, बाजार से पूंजी जुटाना प्रतिकूल परिणाम दे सकता है।"
कमर्शियल व्हीकल फाइनेंसिंग पर रहेगा फोकस
इस बातचीत में राजीव आनंद ने आगे कहा कि बैंक कमर्शियल व्हीकल फाइनेंसिंग पर अपना फोकस बनाए रखेगा। यह एक ऐसा सेक्टर है जिसमें बैंक का प्रभुत्व है तथा िस सेक्टर की इसकी लोनबुक 358.80 अरब रुपए (4.08 बिलियन डॉलर) की है।
माइक्रोलोन पोर्टफोलियो को कम करने की योजना
हालांकि, वौलैटिलिटी के कारण,बैंक अपने माइक्रोलोन पोर्टफोलियो को कम करने की योजना पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा आगे कहा कि बैंक माइक्रोलोन इंडस्ट्री में 6-8% की बाजार हिस्सेदारी रखना चाहता है जो वर्तमान में 10% से अधिक है। एक बार रेग्युलेटरी नियम लागू हो जाने पर इंडसइंड बैंक वेल्थ मैनेजमेंच, एक्विजिशन फाइनेंसिंग और शेयरों के बदले लोन जैसे नए कारोबारों में भी मौकों की तलाश करेगा।