शेयर बाजार में क्यों होता है नुकसान, 5 प्वाइंट में समझिए सारा खेल
शेयर बाजार में गिरावट के दौरान सबसे बड़ा दुश्मन कौन है? शायद आपकी अपनी सोच! भीड़ का पीछा, नुकसान से डर, या किसी एक्सपर्ट की नकल- इन मानसिक जालों से कैसे बचें? जानिए वो बातें जो आपकी दौलत बचा सकती हैं।
कई बार लोग भेड़चाल का हिस्सा बनकर किसी स्टॉक को जोरशोर से खरीदने या बेचने में जुट जाते हैं।
Stock Market Psychology: इस समय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव हो रहा है। आपके पोर्टफोलियो में भी गिरावट आई होगी। हो सकता है कि आप भी अपने निवेश फैसलों पर शक करने लगे होंगे। लेकिन यही वह वक्त है जब भावनाओं को कंट्रोल करना जरूरी है, क्योंकि यही आपको गलत फैसले लेने पर मजबूर कर सकती हैं।
इन मानसिक जालों (Behavioural Biases) से सावधान रहना चाहिए, जो खासकर बाजार गिरने के समय ज्यादा हावी हो जाते हैं। इन्हें समझना और इनसे बचना एक समझदार निवेशक बनने के लिए बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं 5 बड़े कारण और मानसिकता, जो शेयर मार्केट में अक्सर निवेशकों का नुकसान कराती हैं।
भीड़ के पीछे भागना
कई बार लोग किसी स्टॉक को जोरशोर से खरीदने या बेचने में जुट जाते हैं। हमें भी लगता है कि जब लोग एक ही स्टॉक के पीछे इतना भाग रहे हैं, तो उसमें जरूर कोई बात होगी। हम भी उस भेड़चाल का हिस्सा बन जाते हैं। इसी को कहते हैं 'हर्ड मेंटालिटी'। अभी कुछ महीनों में लाखों निवेशकों ने मिड कैप और स्मॉल-कैप में पैसे झोंक दिए, FOMO (Fear of Missing Out) के चलते। लेकिन सितंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच, इनमें से लगभग आधे स्टॉक्स 40% से ज्यादा गिर गए।
इसका मतलब है कि सब स्टॉक्स के पीछे आंख बंद करके न भागें। सबसे पहले गौर करें कि क्या यह निवेश आपके फाइनेंशियल गोल्स से मेल खाता है? उसके बाद ही कोई फैसला लें।
पहली जानकारी से चिपक जाना
जब आप किसी पहले सुने गए डेटा या नाम पर ही भरोसा कर लेते हैं और उसी आधार पर फैसले लेते हैं, तो वह ‘एंकरिंग’ है। 2018 में एक मशहूर हाउसिंग फाइनेंस कंपनी का शेयर एक दिन में 40% गिर गया। बहुत से लोग उसमें इसलिए टिके रहे, क्योंकि एक नामी इन्वेस्टर ने उसमें निवेश किया था। 2021 में कंपनी डीलिस्ट हो गई।
इससे जाहिर होता है कि आपको मार्केट में हमेशा सजग रहना चाहिए। आपको सिर्फ इसलिए खरीदने-बेचने का फैसला नहीं करना चाहिए कि फलां स्टॉक में किसी नामी इन्वेस्टर्स ने पैसा लगाया है या नहीं।
अपने ज्ञान पर ज्यादा भरोसा
Zenith Finserve के फाउंडर अनुज केसरवानी के मुताबिक, जब आपको लगता है कि आप बाजार को समझ चुके हैं और हमेशा सही स्टॉक चुन सकते हैं, तो यह ओवरकॉन्फिडेंस होता है। 2020 के बुल मार्केट में लाखों लोगों ने न्यू-एज कंपनियों और IPOs में पैसे लगाए। 2021 में बाजार गिरते ही, कई स्टॉक्स 50% से ज्यादा टूटे।
बाजार को कोई नहीं समझ सकता। आप बेशक अपनी रिसर्च करें, लेकिन उस पर हद से अधिक भरोसा न करें। फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह बराबर लेते रहें।
नुकसान उठाने से डरना
कई लोग फायदा होने से अधिक नुकसान की तकलीफ को महसूस करते हैं। वे नुकसान से इतना डरते हैं कि गलत फैसले लेने लगते हैं। यही लॉस एवर्जन है। 2018-2020 में एक प्राइवेट बैंक का शेयर 90% गिरा, लेकिन हजारों निवेशक आज भी उसे होल्ड किए हैं, इस उम्मीद में कि शायद वापस उठ जाए।
अगर निवेश आपकी फाइनेंशियल सेहत बिगाड़ रहा है, तो उसे छोड़ना ही सही है। कई बार नुकसान से ज्यादा डरना और भी अधिक नुकसान की वजह बन जाता है।
अपने स्टॉक्स को ज्यादा कीमती समझना
कई बार हम स्टॉक्स को सिर्फ इसलिए होल्ड करते हैं, क्योंकि वो हमारे पास है। हमें इस बात से कोई मतलब ही नहीं होता कि उसकी स्टॉक की वैल्यू कितनी गिर गई है। कुछ फंड मैनेजरों के कहने पर निवेशकों ने 'हाई-क्वालिटी' शेयर्स ऊंचे दामों पर खरीदे, लेकिन जब कंपनियां उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं, तो भारी नुकसान हुआ। फिर भी लोग उन्हें बेचने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, क्योंकि उन्हें वे कीमती लग रहा था।
बतौर निवेशक आपको एक अंतराल पर खुद से सवाल करते रहना चाहिए कि क्या आज मैं इस स्टॉक्स को खरीदूंगा। अगर जवाब नहीं में है, तो उस शेयर को बेचने पर विचार करें।