Iran Israel War : मार्केट पर भारी पड़ा ईरान-इजरायल संघर्ष, एक्सपर्ट्स से जानिए आगे कैसी रह सकती है बाजार की चाल
Operation Rising Lion & market : आज के सत्र में कैपिटल गुड्स, सरकारी बैंक, ऑटो और NBFCs में सबसे ज्यादा बिकवाली देखने को मिल रही है। ये चारो इंडेक्स एक से डेढ़ फीसदी फिसले हैं। वहीं डिफेंस शेयरों में अच्छी खरीदारी देखने को मिल रही है। डिफेंस इंडेक्स करीब 2 फीसदी चढ़ा है। BDL और HAL 2-3 फीसदी से ज्यादा चढ़े हैं
crude oil price : इजराइल-ईरान युद्ध ने दुनिया में जारी भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है,जिससे ब्रेंट क्रूड की कीमतें सिर्फ़ तीन सत्रों में 12 फीसदी बढ़कर लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं
Operation Rising Lion : ईरान-इजरायल के बीच तनाव बाजार पर भारी पड़ रहा है। निफ्टी 250 अंक से ज्यादा फिसलकर 24600 के करीब आ गया है। बैंक निफ्टी भी 600 अंक से ज्यादा फिसला है। हलांकि मिडकैप और स्मॉलकैप में रिकवरी दिख रही है। वहीं, वोलैटिलिटी इंडेक्स INDIA VIX करीब 9 फीसदी उछलकर 15 के पार चला गया है। ईरान-इजरायल टेंशन से क्रूड में उबाल आ गया है। ये 76 डॉलर के करीब पहुंच गया है।
OMCs में तेज गिरावट देखने को मिल रही है। BPCL और HPCL करीब तीन से चार परसेंट फिसले हैं। वहीं GAIL, IGL और MGL पर भी दबाव है। जियोपॉलिटकल टेंशन के बीच सोना आज जमकर चमका है। MCX पर सोना अपने लाइफ हाई पर पहुंच गया है। इसका भाव एक लाख रुपए के पार निकल गया है। उधर कॉमेक्स पर भी गोल्ड की कीमतें 3450 डॉलर के करीब नजर आ रही हैं।
आज के सत्र में कैपिटल गुड्स, सरकारी बैंक, ऑटो और NBFCs में सबसे ज्यादा बिकवाली देखने को मिल रही है। ये चारो इंडेक्स एक से डेढ़ फीसदी फिसले हैं। वहीं डिफेंस शेयरों में अच्छी खरीदारी देखने को मिल रही है। डिफेंस इंडेक्स करीब 2 फीसदी चढ़ा है। BDL और HAL 2-3 फीसदी से ज्यादा चढ़े हैं।
ईरान पर इजरायल का हमला
इजरायल ने ईरान पर हवाई हमला किया है। इस हमले में ईरान के न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया गया है। तेहरान के रिहायशी इलाकों पर भी इजरायल का हमला हुआ है। इजरायल में स्पेशल स्टेट ऑफ इमरजेंसी का एलान ककर दिया गया है। US ने कहा है कि ईरान पर हमले के पीछे उसका कोई हाथ नहीं है। इजराइल ने कहा कि बदले में ईरान मिसाइल और ड्रोन हमले कर सकता है। इजराइली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन (RISING LION) लॉन्च किया है। ईरान से संभावित खतरे को देखते हुए ये ऑपरेशन है। RISING LION एक टारगेटेड ऑपरेशन है। संभावित खतरा खत्म होने तक ऑपरेशन जारी रहेगा।
उधर US के विदेश मंत्री के बयान में कहा गया है कि ईरान के खिलाफ हमले में US शामिल नहीं है। अमेरिकी प्राथमिकता रीजन में US सेना की सुरक्षा करना है। ईरान को US हितों को निशाना नहीं बनना चाहिए।
हमले का असर
इस हमले से कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है। ब्रेंट का भाव 8 फीसदी से ज्यादा चढ़कर $75 के पार निकल गया है। सोने की कीमतों में भी करीब 1.50 फीसदी की तेजी आई है। डॉलर इंडेक्स फिर से 98 के स्तर पार निकल गया है। डाओ जोन्स फ्यूचर्स में 600 अंकों की गिरावट आई है।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा का कहना है कि स्थिति इतनी अस्थिर हैं कि अभी कुछ भी पूर्वानुमान करना मुश्किल है। ईरान पर इजराइल के हमले के चलते एक बड़ा क्षेत्रीय संघर्ष भी हो सकता है। वहीं, अगर ईरान पिछले 2 सालों में बहुत कमजोर हो गया है तो हम दिखावे और बयानबाजी के बाद शांति देखने को मिल सकती है। अमेरिकी वायदा में गिरावट के कारण आज ग्लोबल बाजार भी गिरते दिखेंगे। आमतौर पर इस तरह के भू-राजनीतिक घटनाओं के चलते शॉर्ट टर्म में गिरावट आती है और उसके बाद फिर से रिकवरी आती है। इस घटना का ईरान से होने वाली तेल की आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है। इसके चलते वीकेंड और उसके बाद भी जोखिम बना रहेगा।
तेल सप्लाई लिंकेज पर असर ग्लोबल जोखिम के अलावा भारतीय बाजारों के लिए भी बड़ा जोखिम है। इससे एफपीआई की बिक्री बढ़ सकती है। हमें उम्मीद है कि इसका असर अल्पकालिक होगा। लेकिन ईरानी शासन के अस्तित्व पर होने वाला कोई खतरा इस इलाके में अमेरिकी और GCC असेट्स पर हमलों का कारण बन सकता है।
नोमुरा के रॉबर्ट सुब्बारामन ने CNBC-TV18 के साथ हुई बातचीत में कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त से भारत और थाईलैंड जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर काफी प्रतिकूल असर पड़ सकता। ये देश तेल के आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2026 में भारत के लिए नोमुरा का महंगाई का पूर्वानुमान 3.30 फीसदी है। सुब्बारामन को यह भी उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस साल अपनी नीति दरों में दो और कटौती करेगा। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि कच्चे तेल की कीमतों का रुख केंद्रीय बैंक के निर्णयों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
ट्रेजरी हेड और फिनरेक्स ट्रेजरी के ईडी अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि तेल की कीमतों में बढ़त से देश की इकोनॉमी पर गंभीर असर पड़ेगा। तेल की कीमतों में हर डॉलर की बढ़ोतरी से CAD में 3 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी होती है। हम ईरान से तेल आयात करते हैं जो युद्ध जारी रहने तक बंद रहेगा। इससे रुपये पर असर पड़ेगा क्योंकि हमें दूसरे देशों से ऊंची कीमत और अधिक मात्रा में तेल खरीदना होगा।
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के अमित पबारी का कहना है कि इजराइल-ईरान युद्ध ने दुनिया में जारी भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है,जिससे ब्रेंट क्रूड की कीमतें सिर्फ़ तीन सत्रों में 12 फीसदी बढ़कर लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं। भारत 85 फीसदी से ज़्यादा तेल आयात करने वाली एक तेल आयात निर्भर अर्थव्यवस्था है। कच्चे तेल के भाव में अचानक आया यह उछाल देश के व्यापार घाटे और महंगाई स्तर को बढ़ा सकता है। एनर्जी की बढ़ती लगात हमारे लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि ग्लोबल लेवल पर युद्ध जैसी स्थिति के कारण, यू.एस. डॉलर की मांग बढ़ सकती है,जिससे भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। तकनीकी रूप से देखें 86.10 से ऊपर का ब्रेक निकट अवधि में USD INR के लिए 86.70-86.90 की ओर बढ़ने का रास्ता खोल सकता है। जब तक यह करेंसी पेयर निर्णायक रूप से 85.80 से नीचे बंद नहीं होता,तब तक गिरावट पर खरीदारी का रुझान कायम रहेगा। इसके अलावा,इक्विटी बाज़ारों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। निफ्टी वर्तमान में 24,500 के पास सपोर्ट बनाए हुए है। इस स्तर से नीचे जाने पर 23,900 की ओर गिरावट देखने को मिल सकती है।
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