Iran Israel War : मध्य पूर्व में युद्ध के बढ़ते तनाव का भारतीय शेयरों पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का सीधा असर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों, एयरलाइन, टायर और लुब्रिकेंट कंपनियों पर पड़ेगा। दुनिया भर में जोखिम से बचने की भावना हावी होने के चलते बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 13 जून को लगभग 1 फीसग नीचे खुले। बढ़ते संघर्ष के कारण कच्चे तेल के फ्यूचर्स में 10 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई। यह 2022 के बाद से इसमें आई सबसे तेज साप्ताहिक बढ़त है। जेपी मॉर्गन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि सबसे खराब स्थिति में कच्चे तेल की कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़ सकती है।
इजरायल-ईरान संघर्ष के भारतीय बाजारों पर संभावित प्रभाव के बारे में विश्लेषकों के विचार कुछ इस प्रकार हैं:
मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे का कहना है कि भू-राजनीतिक तनावों के चलते बाजार में वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। हालांकिपिछले कुछ महीनों में कुछ समय के लिए बाजार में शांति थी। इजराइल पर ईरान हमलों के चलते ग्लोबल कमोडिटीज पर प्रभाव पड़ेगा और अंततः भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। तकनीकी नजरिए से कहें तो निफ्टी के लिए 24250 सबसे बड़ा सपोर्ट होगा और साथ ही 50 डीएमए और सबसे खराब स्थिति में हम 24083 पर स्थित 200 डीएमए पर अगले बड़े सपोर्ट होंगे। ट्रेडर्स को वीकेंड ट्रेड्स में पोजीशन हल्की रखने की सलाह होगी।
पाइनट्री मैक्रो के फाउंडर रितेश जैन का कहना है कि भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार होने वाली बढ़त न केवल करेंसी एकाउंट डेफिसिट को प्रभावित करेगी, बल्कि इससे महंगाई और देश की करेंसी पर भी दबाव बढ़ेगा। ऐसे में फाइनेंशियल शेयरों को लेकर सतर्क रुख अपनाने की सलाह होगी क्योंकि RBI को एहतियातन घरेलू बाजार में लिक्विडिटी को सख्त करने की जरूरत हो सकती है।
एसबीआई सिक्योरिटीज के फंडामेंटल रिसर्च हेड सनी अग्रवाल का कहना है कि इजराइल-ईरान के बीच चल रहे संघर्ष से कच्चे तेल की सप्लाई प्रभावित होने की संभावना है। कच्चे तेल की कीमतों में एक ही दिन में 5 फीसदी से अधिक की बढ़त हुई है। बाजार की नजर होर्मुज जलडमरूमध्य पर रहेगी। यह वह समुद्री रूट है जो भारत के लिए कच्चे तेल/एलएनजी की सप्लाई के लिए महत्वपूर्ण है। लंबे समय तक कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से ओएमसी, एयरलाइन, टायर और लुब्रिकेंट कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ सकता है। मध्य पूर्व में तनाव से बासमती चावल निर्यातकों के कारोबार को भी नुकसान पहुंच सकता है।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।