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Infosys और TCS जैसे दिग्गज IT स्टॉक्स इस साल अब तक 12-45% टूटे, अभी और बढ़ सकती है मुश्किल!

JM Financial Services ने हाल ही में जारी अपने एक नोट में कहा है कि तमाम विकसित देशों की इकोनॉमीज मंदी के कगार पर हैं। ऐसे में विकसित देशों पर अपने एक्पोर्ट के लिए 90 फीसदी निर्भरता वाली भारतीय आईटी कंपनियां साफ तौर पर मुश्किल भरे दौर में हैं

अपडेटेड Dec 12, 2022 पर 2:36 PM
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अमेरिका की इकोनॉमी में मंदी आने से भारतीय आईटी कंपनियों के ग्राहक टेक्नोलॉजी पर होने वाले अपने खर्च में कटौती कर सकते हैं

भारतीय आईटी कंपनियां अपने पिछले 1 दशक के सबसे खराब दौर की ओर बढ़ती नजर आ रही हैं। निवेशकों को डर है कि आगे मंदी का एक लंबा दौर देखने को मिल सकता है। जिसका असर आईटी कंपनियों पर देखने को मिलेगा। Nifty IT इंडेक्स में 2022 में अब तक 24 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है। ये इंडेक्स अब अपने 2008 के बाद के सबसे खराब सालाना प्रदर्शन की ओर बढ़ता दिख रहा है। बता दें कि 2008 में अमेरिका में Lehman Brothers के क्रैश के बाद आए ग्लोबल वित्तीय संकट के दौरान IT इंडेक्स में 55 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।

साल 2022 में अब तक निफ्टी आईटी इंडेक्स में शामिल विप्रो (Wipro),टेक महिंद्रा (Tech Mahindra),LTI,माइंड ट्री (Mindtree),एचसीएल टेक (HCL Technologies),इंफोसिस (Infosys)और टाटा Tata टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Consultancy Services)जैसे शेयरों में 12-45 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

आईटी सेक्टर में इस साल की गिरावट के चलते आईटी इंडेक्स का पिछले लगातार 5 सालों से पॉजिटिव रिटर्न देने का क्रम भी टूट गया है। पिछले 5 साल के दौरान आईटी इंडेक्स ने 31 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है। JM Financial Services ने हाल ही में जारी अपने एक नोट में कहा है कि तमाम विकसित देशों की इकोनॉमीज मंदी के कगार पर हैं। ऐसे में विकसित देशों पर अपने एक्पोर्ट के लिए 90 फीसदी निर्भरता वाली भारतीय आईटी कंपनियां साफ तौर पर मुश्किल भरे दौर में हैं।


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अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ी

ब्याज दरों पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के पिछले चार दशकों के सबसे सख्त रवैए के चलते अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में भारतीय आईटी कंपनियों का आउटलुक अंधेरे में नजर आ रहा है। आम तौर पर माना जाता है कि अगर अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी आती है तो भारतीय आईटी सेक्टर के लिए नेगेटिव होता है। इसकी वजह ये है कि भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई में लगभग 45-60 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका की होती है। अमेरिका की इकोनॉमी में मंदी आने से भारतीय आईटी कंपनियों के ग्राहक टेक्नोलॉजी पर होने वाले अपने खर्च में कटौती कर सकते हैं।

अभी कुछ दिन पहले एमेजन वेब सर्विसेज के एक क्लाइंट की तरफ से कहा गया था कि वो क्लाउड कंप्यूटिंग और उससे जुड़ी सेवाओं पर होने वाले अपने खर्च में कटौती करने की तैयारी में हैं। इसकी वजह अमेरिका की इकोनॉमी की खस्ता होती हालत है।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में मंदी के डर से विदेशी निवेशकों ने 2022 में अब तक आईटी क्षेत्र से 9 बिलियन डॉलर से अधिक की निकासी की है जो कि इस वर्ष एफपीआई की तरफ से हुई नेट बिकवाली का लगभग 50 फीसदी है।

यूरोजोन से बड़ा खतरा

जेएम फाइनेंशियल का मानना है कि भारतीय आईटी कंपनियों के लिए दूसरे सबसे बड़े बाजार यूरोजोन में मांग में लंबी अवधि के लिए सुस्ती रह सकती है। इसके पहले 2012 में यूरोपीय संघ में सॉवरेन ऋण संकटके दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला था। उस समय देश से होने वाला आईटी कंपनियों का एक्सपोर्ट 2012-16 के 5 सालों में 3 साल नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज के गाइडेंस से कम रहा था।

अभी बढ़ सकती हैं मुश्किलें

जानकारों का कहना है कि आईटी कंपनियों के वैल्यूएशन 2021 के पीक से काफी घटे हैं लेकिन ये अभी भी महंगे दिख रहे हैं। Credit Suisse Securities India ने पिछले हफ्ते ही कहा था वैल्यूएशन में अब तक आया करेशन अभी भी पर्याप्त नहीं है आईट कंपनियों के शेयरों के वैल्यूशन में अभी और कमी ड्यू है।

Credit Suisse ने पिछले हफ्ते जारी अपने नोट में कहा था कि किसी भी मानक से देखें तो भारतीय आईटी कंपनियों के वैल्यूएशन महंगे दिख रहे हैं। अमेरिका के मैक्रो आंकड़ों में कमजोरी के साथ ही भारतीय आईटी कंपनियों में और गिरावट देखने को मिलेगी।

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