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लिंडे इंडिया के शेयरों में 7% की तेजी, SC के फैसले से शेयरधारकों को पैसा वापस आने की उम्मीद

Linde India Shares: लिंडे इंडिया के शेयरों में आज 23 सितंबर को 7% से अधिक की शानदार तेजी आई। यह तेजी इस खबर के बाद आई कि सुप्रीम कोर्ट ने SEBI के आदेश पर जारी वैल्यूएशन आंकने की कवायद को रोकने से इनकार कर दिया। खबर लिखे जाने के समय लिंडे इंडिया के शेयर 4.15 फीसदी की तेजी के साथ 8,508.65 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे

अपडेटेड Sep 23, 2024 पर 2:06 PM
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Linde India Shares: लिंडे इंडिया के कुछ रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन की SEBI जांच कर रहा है

Linde India Shares: लिंडे इंडिया के शेयरों में आज 23 सितंबर को 7% से अधिक की शानदार तेजी आई। यह तेजी इस खबर के बाद आई कि सुप्रीम कोर्ट ने SEBI के आदेश पर जारी वैल्यूएशन आंकने की कवायद को रोकने से इनकार कर दिया। खबर लिखे जाने के समय लिंडे इंडिया के शेयर 4.15 फीसदी की तेजी के साथ 8,508.65 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वैल्यूएशन प्रक्रिया लिंडे इंडिया के कुछ रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच मार्केट रेगुलेटर SEBI कर रहा है। SEBI ने इस मामले में NSE को वैल्यूएशन आंकने का निर्देश दिया था।

लिंडे इंडिया ने इस कवायद को रोकने के लिए पहले सिक्योरिटीज अपीलेट ट्राइब्यूनल (SAT) में अपील किया था। SAT ने वैल्यूएशन की कवायद रोकने की कंपनी की अपील को ठुकरा दिया, जिसके बाद लिंडे इंडिया ने सु्प्रीम कोर्ट का रुख किया। हालांकि अब उसे सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि SAT ने पहले ही अपील का निपटारा कर दिया है। अब SAT की ओर से 15 अक्टूबर को मामले पर सुनवाई किए जाने की उम्मीद है।

यह मामला लिंडे इंडिया की 2 रिलेटेड पार्टीज से जुड़ा हुआ है, जिसमें प्राक्सिर इंडिया और लाइन साउथ एशिया सर्विसेज शामिल हैं। लिंडे ने इन दोनों कंपनियों के साथ कई ट्रांजैक्शन और एग्रीमेंट किए थे। इस मामले में SEBI का आरोप है कि लिंडे इंडिया ने अपने शेयरधारकों से बिना अनुमति लिए ये ट्रांजैक्शन किए, जो कंपनी के हित में नहीं थे।


लिंडे इंडिया ने कहा कि SEBI ने अपने अंतरिम आदेश में "बेबुनियाद आरोप" लगाए हैं। हालांकि रेगुलेटर ने अपने फाइनल आदेश में कहा कि लिंडे इंडिया के जवाब को "बेईमानी और भ्रामक" कहा जा सकता है। अंतरिम आदेश 29 अप्रैल को और फाइनल आदेश 24 जुलाई को जारी किया गया।

फाइनल आदेश के मुताबिक, NSE को वैल्यूअर नियुक्त करने को कहा था। यह रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन से हुए व्यापारिक नुकसान का आकलन करेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब शेयरधारकों की कंपनी में वापस पैसा आने की उम्मीद बढ़ गई है।

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