मोदी-ट्रंप के बीच बातचीत का शेयर बाजार पर दिखेगा असर? जानें एक्सपर्ट्स का क्या है कहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हालिया बातचीत से दोनों देशों के बीच बातचीत के नए रास्ते खुलने की उम्मीद जगी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार भी इस बातचीत को पॉजिटिव नजरिए से देख रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जब तक दोनों देशों के बीच कोई ठोस व्यापारिक समझौता नहीं होता, तब तक निवेशक सतर्क बने रहेंगे

अपडेटेड Sep 06, 2025 पर 5:27 PM
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अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को "खास" बताते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हालिया बातचीत से दोनों देशों के बीच बातचीत के नए रास्ते खुलने की उम्मीद जगी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार भी इस बातचीत को पॉजिटिव नजरिए से देख रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जब तक दोनों देशों के बीच कोई ठोस व्यापारिक समझौता नहीं होता, तब तक निवेशक सतर्क बने रहेंगे।

इकिगाई एसेट मैनेजमेंट के फाउंडर और चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर पंकज तिबरेवाल ने CNBC-TV18 से कहा कि यह बातचीत एक स्वागत योग्य कदम है और इससे शेयर बाजार के सेंटीमेंट को मजबूती मिल सकती है। हालांकि जब तक कोई दोनों देशों के बीच ट्रेड समझौता सामने नहीं हो जाता, तब तक निवेशकों का रुख सतर्क बना रह सकता है।

उन्होंने कहा, "शेयर बाजार इस समय असमंजस में हैं, क्योंकि हर दिन कुछ न कुछ नई टिप्पणियां आ रही हैं। कल, हमने आउटसोर्सिंग पर रोक लगाए जाने के बारे में कुछ बयान देखे, और उसके कुछ देर बाद ट्रंप की पॉजिटिव टिप्पणियां आईं। इसलिए यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन हमें ट्रेड बिल पर दोबारा हस्ताक्षर होने तक इसे बहुत सावधानी से देखना होगा।"


दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों को "खास" बताते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था। इस पोस्ट में ट्रंप ने यह भी कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ “हमेशा दोस्ती बनाए रखेंगे।” इसके कुछ ही घंटों बाद, पीएम मोदी ने ट्रंप की बात का स्वागत किया और इसे साझेदारी को व्यापक और दूरदर्शी बताया।

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और व्यापार को लेकर हफ्तों तक चली तनातनी के बाद इस बातचीत को एक बदलाव का संकेत माना जा रहा है। राजनयिकों और विदेश नीति एक्सपर्ट्स ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की, लेकिन सिर्फ एक बातचीत से बहुत ज्यादा मतलब निकालने से बचने की भी चेतावनी दी।

पूर्व राजदूत वेणु राजामणि ने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से संदेश पॉजिटिव हैं, लेकिन ट्रंप के बयानों में काफी अनिश्चितता रहती है। ऐसे में भारत को सतर्क रहना होगा। उन्होंने आगे कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप बेहद अप्रत्याशित और कुछ हद तक अविश्वसनीय बने हुए हैं, इसलिए हमें नहीं पता कि भविष्य में हमारे लिए क्या होगा।"

इसी तरह ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के हर्ष वी पंत ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में जानबूझकर संतुलित रुख अपनाया है, लेकिन अगर ट्रंप की मेगाफोन डिप्लोमेसी और सार्वजनिक दबाव वाली रणनीति जारी रहती है तो रणनीतिक परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

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Vikrant singh

Vikrant singh

First Published: Sep 06, 2025 5:25 PM

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