‘नजर और सब्र’: 2026 में शेयर बाजार का मंत्र बन सकता है धुरंधर का यह डायलॉग, जानिए क्यों
मार्केट एक्सपर्ट्स अब नए साल 2026 में बाजार की चाल को लेकर अपने अनुमान लगा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन अनुमानों को अगर एक लाइन में समझना हो तो, यहां ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘धुरंधर’ का एक फेमस डायलॉग बिलकुल फिट बैठता है- “नजर और सब्र”
मॉर्गन स्टैनली ने बीएसई सेंसेक्स के 1,07,000 तक पहुंचने का अनुमान लगाया है
निवेशक सही ट्रेडिंग रणनीति कहीं भी ढूंढ सकते हैं, बस जरूरत है कि उनकी नजर सही हो। साल 2025 में शेयर बाजार से बहुत मुनाफा नहीं मिला, लेकिन एक्सपर्ट्स अब नए साल 2026 में बाजार की चाल को लेकर अपने अनुमान लगा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन अनुमानों को अगर एक लाइन में समझना हो तो, यहां ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘धुरंधर’ का एक फेमस डायलॉग बिलकुल फिट बैठता है- “नजर और सब्र”।
2025 का सफर: गिरावट से रिकॉर्ड हाई तक
साल 2025 की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार के लिए आसान नहीं रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से जुड़े झटकों ने बाजार को हिला दिया और साल के पहले हिस्से में ही पिछले साल की कमाई मिट गई। हालांकि, साल के आखिर तक तस्वीर बदली। सेंसेक्स और निफ्टी ने जोरदार वापसी की और नए लाइफटाइम हाई बना दिए। दिलचस्प बात यह रही कि बाजार को पिछले साल के स्तरों पर लौटने में करीब 14 महीने लगे।
अब सवाल यह है कि आगे क्या? 2024 में अच्छे रिटर्न और 2025 में सुस्त प्रदर्शन के बाद, क्या 2026 में बाजार ब्रेकआउट देगा या फिर एक और कंसोलिडेशन का साल देखने को मिलेगा?
‘नजर और सब्र’: निवेश की फिलॉसफी
फिल्म धुरंधर में NSA अजय सान्याल का किरदार निभाने वाले अभिनेता आर माधवन एक जगह अपने जूनियर्स से कहते हैं, “किस्मत की एक बहुत खूबसूरत आदत है कि वह वक्त आने पर बदलती है… लेकिन फिलहाल नजर और सब्र।”
यही सोच आने वाले साल के लिए मार्केट एक्सपर्ट्स की निवेश सलाह को भी अच्छी तरह समझाती है। उनका मानना है कि यह समय ही बताएगा कि बाजार में जोरदार ब्रेकआउट रैली आएगी या फिर बाजार सीमित दायरे में ही घूमता रहेगा। ऐसे में निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे बाजार पर नजर बनाए रखें और सब्र के साथ फैसले लें।
निवेश के लिए यह सलाह इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि कोरोना महामारी के बाद शेयर बाजार में जो जबरदस्त उत्साह था, वह अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। ऐसे माहौल में वही निवेशक अच्छा रिटर्न कमा पा रहे हैं, जिनकी नजर तेज है, जो सब्र रखते हैं और अपनी उम्मीदों को काबू में रखते हैं।
2025 में बाजार के फंडामेंटल हुए मजबूत
एक्सिस सिक्योरिटीज के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर, प्रणव हरिदासन का कहना है कि भारतीय शेयर मार्केट के लिए 2025 आसान साल नहीं रहा। बाजार का प्रदर्शन कमजोर रहा, ग्लोबल बाजार आगे निकल गए और निवेशकों को यह याद दिलाया गया कि मजबूत ग्रोथ स्टोरी वाले मार्केट भी कभी-कभी मुश्किल दौर से गुजरते हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस सबके बावजूद बाजार का फंडाटमेंटल धीरे-धीरे और मजबूत हुआ है। आर्थिक ग्रोथ बनी रही, महंगाई में नरमी आई, बाहरी संतुलन संभला रहा और घरेलू निवेशकों का बाजार पर भरोसा बना रहा। IPO मार्केट भी गुलजार रहा, लिस्टेड कंपनियों की संख्या बढ़ी, घरेलू संस्थागत निवेशक टिके रहे, रिटेल निवेशकों की भागीदारी कम नहीं हुई और टेक्नोलॉजी के जरिए निवेश करना पहले से अधिक आसान होता गया।
2026 एक “दिलचस्प मोड़”
Wealth1 के सीईओ नरेन अग्रवाल ने बताया कि 2025 में लगभग सपाट रिटर्न देने के बाद भारतीय शेयर बाजार 2026 में एक “दिलचस्प मोड़ ” पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि बीता साल बाजार के लिए एक तरह का डाइजेशन फेज रहा, जिसमें कीमतों के बजाय समय के साथ वैल्यूएशन में सुधार हुआ। बाजार की अगुवाई लार्जकैप शेयरों तक सीमित रही और मिडकैप-स्मॉलकैप में बनी अतिरिक्त तेजी धीरे-धीरे निकल गई।
उन्होंने कहा कि बाजार के लिए यह कंसोलिडेशन जरूरी था। खास बात यह रही कि इस दौरान कंपनियों की कमाई लगातार बढ़ती रही, जिससे बिना बड़ी गिरावट के वैल्यूएशन ज्यादा सहज स्तर पर आ गए। इससे 2026 में बाजार अब पहले से कहीं अधिक हेल्दी बेस के साथ प्रवेश कर रहा है।
ब्रेकआउट का साल या फिर कंसोलिडेशन?
Wealth1 के सीईओ नरेन अग्रवाल के मुताबिक, 2026 में बाजार जोरदार ब्रेकआउट करेगा या फिर एक और कंसोलिडेशन के दौर में रहेगा, यह काफी हद तक दो बातों पर निर्भर करेगा। कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ और विदेशी निवेशकों की चाल। उन्होंने कहा कि मजबूत ब्रेकआउट के लिए जरूरी है कि तेजी सिर्फ कुछ चुनिंदा सेक्टरों तक सीमित न रहे, बल्कि ज्यादा सेक्टरों में कमाई की रफ्तार तेज हो। इसके अलावा अगर ब्याज दरों में कटौती का असर जमीन पर दिखता है, प्राइवेट कैपेक्स में सुधार होता है और ग्लोबल स्तर पर हालात स्थिर रहते हैं, तो इससे भी बाजार में ब्रेकआउट को सपोर्ट मिलेगा।
अग्रवाल के मुताबिक, अगर अमेरिका में ब्याज दरें कम होती हैं और उभरते बाजारों की ओर निवेशकों की रुचि लौटती है, तो भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग और ग्रोथ की वजह से ज्यादा विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। हालांकि, रिटर्न इंडेक्स के बजाय चुनिंदा शेयरों में ही बेहतर दिखेंगे, यानी 2026 में स्टॉक चुनना (स्टॉक पिकिंग) पर अधिक फोकस रहेगा।
2026 के लिए बड़े ब्रोकरेज के टारगेट
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार आने वाले सालों में अपने सबसे मजबूत दौर में जा सकता है। अपने बुल केस में ब्रोकरेज ने दिसंबर 2026 तक बीएसई सेंसेक्स के 1,07,000 तक पहुंचने का अनुमान लगाया है, जबकि बेस केस में इसका टारगेट 95,000 रखा गया है।
वहीं, नोमुरा ने भी 2026 के लिए भारतीय बाजार पर सतर्क लेकिन पॉजिटिव नजरिया रखा है। ब्रोकरेज ने निफ्टी का टारगेट 29,300 बताया है। नोमुरा के मुताबिक, पिछले 14 महीनों में ग्लोबल बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन के बाद अब भारत का वैल्यूएशन प्रीमियम सामान्य हो चुका है, जिससे लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बेहतर एंट्री का मौका बनता दिख रहा है।
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