NSE ने इक्विटी डेरिवेटिव के लिए ट्रेडिंग के घंटे बढ़ाने का फैसला लिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सचेंज शाम में ट्रेडिंग सेशन शुरू करने पर विचार कर रहा है। इसका समय 6 से रात 9 बजे तक होगा। इसमें मार्केट पार्टिसिपेंट्स फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) में ट्रेड कर सकेंगे। बाद में इस टाइमिंग को बढ़ाकर रात 11:30 बजे करने का प्लान है। एनएसई पिछले कुछ समय से ट्रेडिंग टाइम बढ़ाने पर विचार कर रहा है। ट्रेडिंग बढ़ाने का मकसद इनवेस्टर्स और ट्रेडर्स को ओवरनाइट रिस्क को हेज करने की सुविधा देना है।
विदेशी एक्सचेंजों की क्लोजिंग का असर अगले दिन इंडियन मार्केट पर
विदेश से आने वाली निगेटिव खबरों का असर इंडियन मार्केट्स पर दिख रहा है। पिछले कुछ सालों में ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता का असर इक्विटी मार्केट्स पर पड़ा है। इससे हर अगले दिन इंडियन मार्केट्स में कारोबार की शुरुआत गिरावट या तेजी के साथ होती है। NSE इस उतार-चढ़ाव पर अंकुश लगाने के लिए शाम में ट्रेडिंग सेशन शुरू करना चाहता है।
GIFT NIFTY की तरह घरेलू निवेशकों को भी ट्रेडिंग के मौके
उपर्युक्त कारण के अलावा शाम में ट्रेडिंग सेशन शुरू करने का एक दूसरा कारण भी है। अब चूंकि GIFT NIFTY में नॉन-ट्रेडिंग आवर्स में भी ट्रेडिंग हो रही है और इसमें ट्रेडिंग इंडियन मार्केट में ट्रेडिंग के बाद होती है, जिससे इंडियन इनवेस्टर्स को भी इस तरह का मौका देना जरूरी है। NSE इस मौके का फायदा दूसरों से पहले उठाना चाहता है। हालांकि, ट्रेडिंग टाइम बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर कई तरह की राय हैं। लेकिन, यह पहला मौका नहीं है जब एनएसई ट्रेडिंग टाइम बढ़ाने के बारे में सोच रहा है।
विदेश में कई एक्सचेंज में होती है लंबे समय तक ट्रेडिंग
Rupeeseed Technology के सीओओ कार्तिक छाया ने कहा कि इंटरनेशनल मार्केट्स में सक्सेस की कई स्टोरीजी हैं, जहां ट्रेडिंग टाइम बढ़ाया गया था। APAC में Osaka Stcok Exchange निक्केई 225 में ट्रेडिंग के लंबे आवर्स की सुविधा देता है। Euroe Eurex कुछ चुने हुए बेंचमार्क फ्यूचर्स में लंबे ट्रेडिंग आवर्स की सुविधा देता है। North America में CME अपने प्लेटफॉर्म पर करीब 24 घंटे ट्रेडिंग की सुविधा देता है। इसके पीछे कारण एक है। दुनिया के एक्सचेंजों में अलग-अलग ट्रेडिंग टाइम के बीच के फर्क को दूर करना।
शुरुआत से पहले कई प्रॉब्लम दूर करनी होगी
कुछ ट्रेडर्स और मार्केट पार्टिसिपेंट्स का मानना है कि ट्रेडिंग का समय बढ़ाने से तनाव भी बढ़ेगा, क्योंकि दिनभर की ट्रेडिंग के बाद यह काफी थकाऊ हो जाएगा। शाम में ट्रेडिंग सेशन शुरू करने से पहले कई तरह के ऑपरेशनल इश्यूज का भी हल निकालना होगा। अगर ट्रेडिंग टाइम को बढ़ाकर रात 11:30 किया जाता है तो सेकेंड सेशन की क्लोजिंग अमेरिकी मार्केट के बंद होने से पहले ही हो जाएगा। इस वजह से वह मकसद पूरा नहीं होगा, जिसके लिए इसकी शुरुआत की जा रही है, क्योंकि इंडियन मार्केट्स में ट्रेडिंग शुरू होने और अमेरिकी मार्केट्स में ट्रेडिंग बंद होने के बीच गैप बना रहेगा।