F&O Trading: निफ्टी, बैंक निफ्टी समेत इन इंडेक्सों का बदलेगा लॉट साइज, NSE ने नए नियम का किया ऐलान

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) अपने कई प्रमुख इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लॉट साइज में जनवरी 2026 से बदलाव करने जा रहा है। यह बदलाव मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के निर्देशों के तहत हो रहा है, जिसमें उसने कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को 10 से 15 लाख के बीच बनाए रखने का निर्देश दिया था। एक्सचेंज की ओर से अक्टूबर में जारी सर्कुलर में ये जानकारी दी गई थी।

अपडेटेड Nov 28, 2025 पर 10:01 AM
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निफ्टी 50 इंडेक्स का लॉट साइज 75 से घटाकर 65 किया जाएगा

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) अपने कई प्रमुख इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लॉट साइज में जनवरी 2026 से बदलाव करने जा रहा है। यह बदलाव मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के निर्देशों के तहत हो रहा है, जिसमें उसने कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को 10 से 15 लाख के बीच बनाए रखने का निर्देश दिया था। एक्सचेंज की ओर से अक्टूबर में जारी सर्कुलर में ये जानकारी दी गई थी।

कौन-कौन से इंडेक्स के लॉट साइज बदलेंगे?

- निफ्टी 50 इंडेक्स का लॉट साइज 75 से घटाकर 65 किया जाएगा।

- निफ्टी बैंक का लॉट साइज 35 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा।

- निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज का लॉट साइज 65 से घटाकर 60 किया जाएगा।


- निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट का लॉट साइज 140 से घटाकर 120 होगा।

- हालांकि NSE ने साफ किया है कि निफ्टी नेक्स्ट-50 के लॉट साइज में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

कब लागू होंगे नए लॉट साइज?

नए लॉट साइज दिसंबर 2025 की एक्सपायरी के बाद यानी जनवरी की एक्सपायरी साइकल से लागू हो जाएंगे। तब तक सभी वीकली और मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स मौजूदा लॉट साइज के आधार पर ही ट्रेड होंगे। मौजूदा लॉट साइज वाला आखिरी वीकली कॉन्ट्रैक्ट 23 दिसंबर, 2025 को एक्सपायर होगा। वहीं मौजूदा लॉट साइज वाला आखिरी मंथली कॉन्ट्रैक्ट 30 दिसंबर, 2025 को एक्सपायर होगा।

नए लॉट साइज वाले वीकली कॉन्ट्रैक्ट का पहला सेट 6 जनवरी 2026 की एक्सपायरी से शुरू होगा। वहीं इन बदलावों वाला पहला मंथली कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी 27 जनवरी, 2026 को होगी।

इसके अलावा, तिमाही और छमाही कॉन्ट्रैक्ट भी 30 दिसंबर 2025 को दिन के आखिर से नए लॉट साइज पर शिफ्ट हो जाएंगे। NSE ने कहा कि मार्च 2026 का कॉन्ट्रैक्ट, जिसे असल में तिमाही एक्सपायरी के तौर पर पेश किया गया था, दिसंबर 2025 की मंथली एक्सपायरी के बाद से फार-मंथ कॉन्ट्रैक्ट माना जाएगा।

रिटेल ट्रेडर्स के लिए क्या होगा बदलाव?

लॉट साइज में कटौती से फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) के कॉन्ट्रैक्ट का कुल मूल्य घटेगा। इससे रिटेल ट्रेडर्स के लिए मार्जिन खर्च कम हो जाता है और इससे इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस शायद अधिक सस्ते हो जाते हैं।

हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि हर छह महीने में होने वाले ऐसे बदलाव ऑपरेशनल जटिलता बढ़ा सकते हैं और ब्रोकर्स व ट्रेडर्स के लिए अतिरिक्त एडजस्टमेंट करनी पड़ती है। इस पर NSE ने कहा कि नए लॉट साइज में शिफ्ट को बिना किसी रुकावट के लागू करने के लिए टाइमलाइन को इस तरह तैयार किया गया है कि सभी कॉन्ट्रैक्ट्स रोलओवर के साथ सहज रूप से नए नियमों में ट्रांजिशन कर सकें।

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