Oil & Gas Stocks : इंट्राडे में 8 महीने की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद निफ्टी में ऊपरी स्तरों पर थोड़ा दबाव देखने को मिला है। इंडेक्स 25200 के ऊपर नहीं टिक पाया। बैंक निफ्टी भी ऊपरी स्तरों से 350 अंक नीचे आ गया है। मिडकैप और स्मॉलकैप में भी आज मुनाफावसूली देखने को मिली है। वहीं INDIA VIX 1.5 से ज्यादा फिसलकर 14 के नीचे आ गया है। तेल गैस शेयरों में आज तेजी की बहार देखने को मिल रही है। OIL 5 फीसदी से ज्यादा उछाल के साथ वायदा का टॉप गेनर बना है। साथ ही BPCL, IOC और HPCL भी 3 फीसदी से ज्यादा ऊपर कारोबार कर रहे हैं।
इस बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर करीब 1.6 फीसदी उछलकर 1,461 रुपये पर पहुंच गए जो आठ महीने का इसका उच्चतम स्तर है। खास बात ये है कि बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स में भारत की सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली यह कंपनी आज की टॉप गेनर रही है। कच्चे तेल में आगे नरमी रहने की उम्मीद ने इन शेयरों जोश भर दिया है।
तेल की गिरती कीमतों ने इन कंपनियों के लिए बेहतर मार्जिन की उम्मीदें बढ़ा दी है। इससे निवेशकों के सेंटीमेंट को बूस्ट मिला है। शेयर कीमतों में तेज उछाल के चलते आज शुरुआती कारोबार में निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स 1.7 फीसदी ऊपर चला गया। इसके अलावा एक अमेरिकी संस्था ने निकट भविष्य में तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद जताई है। इससे भी बाजार के सेंटीमेंट में सुधार हुआ है।
यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन का मानना है कि तेल के ग्लोबल भंडार में बढ़त के कारण निकट भविष्य में तेल की कीमतों में गिरावट आएगी। संगठन का अनुमान है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल मई में 64 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 2025 के अंत तक 61 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकता और 2026 में इसका औसत भाव 59 डॉलर प्रति बैरल पर रह सकता है।
लंदन में आयोजित यूएस-चीन व्यापार वार्ता के चलते 11 जून को तेल की कीमतों में नरमी आई। चीन की कमजोर मांग और ओपेक+ के कम उत्पादन ने भी तेल की कीमतों पर दबाव बनाए रखा।
रॉयटर्स के आंकड़ों के मुताबिक ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 0.3 फीसदी गिरकर 66.680 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 0.3 फीसदी गिरकर 64.82 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। निवेशकों की नजरें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ट्रेड वार्ता के नतीजों के ऐलान पर टिकी हुई हैं।
इसके अलावा पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगियों (ओपेक+) ने धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह फैसला भारत के रिफाइनरियों के लिए अनुकूल माना जा रहा है। इससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार की उम्मीद है।
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