Ola Electric Mobility को CCPA से मिला तीसरा नोटिस, कर्नाटक हाई कोर्ट में खारिज हो चुकी है कंपनी की अपील

Ola Electric Mobility के खिलाफ जुलाई 2023 और अगस्त 2024 के बीच राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर 10,466 शिकायतें मिली थीं। इसके बाद यह जांच शुरू हुई। हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने CCPA द्वारा जारी किए गए नोटिस को रद्द करने के लिए ओला इलेक्ट्रिक की याचिका को खारिज कर दिया

अपडेटेड Jan 11, 2025 पर 4:21 PM
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CCPA ने Ola Electric को पहले अक्टूबर और दिसंबर 2024 में नोटिस जारी किए थे।

इलेक्ट्रिक टूव्हीलर कंपनी ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (Ola Electric Mobility) को ग्राहकों की शिकायतों के मामले में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) से तीसरा नोटिस मिला है। नोटिस में कंपनी से 10,000 से अधिक उपभोक्ता शिकायतों की जांच से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है। ओला इलेक्ट्रिक ने शेयर बाजारों को बताया है कि कंपनी को CCPA का तीसरा नोटिस 10 जनवरी, 2025 को ईमेल के माध्यम से मिला।

इससे पहले Ola Electric की सर्विस में कमियों और उपभोक्ता अधिकारों के कथित उल्लंघन की चल रही जांच के हिस्से के रूप में CCPA ने पहले अक्टूबर और दिसंबर 2024 में नोटिस जारी किए थे। हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने CCPA द्वारा जारी किए गए नोटिस को रद्द करने के लिए ओला इलेक्ट्रिक की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस आर देवदास ने फैसला सुनाया कि नोटिस एक सक्षम जांच अधिकारी द्वारा जारी किया गया और ओला इलेक्ट्रिक मांगे गए डॉक्युमेंट देने के लिए बाध्य है।

अदालत ने कहा, "इस मोड़ पर, इस तरह का कम्युनिकेशन जारी करना जांच अधिकारी की पावर में है, और याचिकाकर्ता यानि ओला इलेक्ट्रिक मांगे गए अतिरिक्त डॉक्युमेंट और रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है।"


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ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ जुलाई 2023 से लेकर अगस्त 2024 के बीच राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर 10,466 शिकायतें मिली थीं। इसके बाद यह जांच शुरू हुई। CCPA ने इन शिकायतों की शुरुआती जांच में पाया कि उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, विज्ञापन भ्रामक हैं और कंपनी की सर्विस में खामियां हैं। इसके बाद CCPA ने अपने जांच महानिदेशक को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के सेक्शन 19(1) के तहत जांच शुरू करने का निर्देश दिया।

ओला इलेक्ट्रिक ने कर्नाटक हाई कोर्ट में  तर्क दिया था कि नोटिस जारी करने वाला अधिकारी अधिनियम के तहत ऑथराइज्ड नहीं था, क्योंकि उसका डेजिग्नेशन डायरेक्टर या एडिशनल डायरेक्टर नहीं है। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारी, सीनियर डायरेक्टर रैंक वाला है और उसे महानिदेशक की ओर से जांच करने के लिए कानूनी रूप से ऑथराइज किया गया है।

 

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