ओवरनाइट और दूसरे शॉर्ट टर्म मनी मार्केट रेट्स बीते 3 दिनों में 10-15 बेसिस प्वाइंट्स बढ़े हैं। बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी घटने से ऐसा हुआ है। इसमें एडवान्स टैक्स पेमेंट का बड़ा हाथ है। एडवान्स टैक्स के पेमेंट्स से काफी पैसा बैंकिंग सिस्टम से निकल गया है। आरबीआई के डेटा के मुताबिक, ओवरनाइट्स रेट्स में 5.25 फीसदी के रेपो रेट के मुकाबले 10-15 बेसिस प्वाइंट्स ज्यादा रेट्स पर ट्रेडिंग हो रही है। इससे सिस्टम में लिक्विडिटी में कमी का संकेत मिलता है।
सिस्टम से अचानक पैसे निकलने का असर
मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि सिस्टम से अचानक कैश निकल जाने से ओवरनाइट सेगमेंट में बॉरोइंग कॉस्ट्स बढ़ गई है। कंपनियों के एडवान्स टैक्स पेमेंट्स का ज्यादा असर पड़ा है। कंपनियों के टैक्स चुकाने पर काफी ज्यादा पैसा अचानक सिस्टम से निकल जाता है। इससे थोड़े समय के लिए फंड की कमी हो जाती है। इसके चलते बैंक और दूसरे मार्केट पार्टिसिपेंट्स को पैसे की शॉर्ट टर्म जरूरतें पूरी करने के लिए ज्यादा रेट्स पर उधार लेने को मजबूर होना पड़ा है।
17 दिसंबर को लिक्विडिटी में आई ज्यादा कमी
15 दिसंबर को वेटेड एवरेज कॉल मनी रेट्स में 5.25 फीसदी पर ट्रेडिंग हो रही थी। लिक्विडिटी ज्यादा होने की वजह से यह रेपो रेट के बराबर था। 16 दिसंबर को लिक्विडिटी घटने पर रेट्स बढ़कर 5.41 फीसदी पर पहुंच गए। 17 दिसंबर को रेट्स 5.46 फीसदी पर थे। 18 दिसंबर को ये 5.36 फीसदी पर थे। बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी में कमी 17 दिसंबर को आई।
पिछले दो महीनों में RBI के उपायों से लिक्विडिटी सरप्लस थी
इससे पहले के दो महीनों में आरबीआई ने वेरिएबल रेट रेपो (वीआरआर) ऑक्शंस, सरकारी सिक्योरिटी के ओएमओ और यूएसडी/आईएनआर बाय/सेल स्वैप ऑक्शन के जरिए लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय किए थे।
FY26 में तीसरी बार बैंकिंग सिस्टम में घटी है लिक्विडिटी
यह इस फाइनेंशियल ईयर में तीसरा मौका है, जब बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी डेफिसिट में है। इससे पहले अक्तूबर के अंत में और 22 सितंबर को ऐसा हुआ था। 18 दिसंबर को ओएमओ पर्चेज ऑक्शन के बाद लिक्विडिटी पर दबाव कुछ कम हुआ। इस ऑक्शन से 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी आई।
आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य हो जाने की उम्मीद
मनी मार्केट्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में लिक्विडिटी बढ़ने पर रेट्स पर दबाव घट सकता है। उन्होंने बताया कि एडवान्स टैक्स पेमेंट का असर कुछ समय के लिए होता है। सरकार के खर्च करने और आरबीआई के संभावित लिक्विडिटी ऑपरेशंस से फंड धीरे-धीरे सिस्टम में लौट आता है।