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आरबीआई ने दरों में की 0.25% कटौती

0.25 फीसदी की कटौती के बाद रेपो रेट 6 फीसदी हो गया है।

अपडेटेड Aug 02, 2017 पर 3:26 PM
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रिजर्व बैंक ने निवेशकों को सस्ते कर्ज का तोहफा दिया है। आरबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी में रेपो रेट 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है। नई रेपो दर 6.25 फीसदी से घटकर 6 फीसदी रह गई है। इसी के साथ रिवर्स दर घटकर 5.75 फीसदी रह गई है। वहीं मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी यानी एमएसएफ दर और बैंक दर 6.5 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी रह गई है।

मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की 6 में से 4 सदस्यों ने .25 फीसदी कटौती के पक्ष में वोट दिया था। वहीं एक सदस्य ने 0.5 फीसदी और एक सदस्य ने कोई बदलाव नहीं करने का समर्थन किया था। आरबीआई ने रिटेल महंगाई का अनुमान 4 फीसदी रखा है। आरबीआई को लगता है कि अगले 1.5 से 2 साल में रिटेल महंगाई बढ़ सकती है।

आरबीआई का वित्त वर्ष 2018 के लिए जीवीए अनुमान 7.3 फीसदी पर कायम है। आरबीआई का अनुमान है कि रिटेल महंगाई दर 4 फीसदी के आसपास रह सकती है। 18-24 महीने में रिटेल महंगाई दर 1 फीसदी बढ़ सकती है। आरबीआई के मुताबिक कर्ज माफी से वित्तीय घाटा बढ़ने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का कहना है कि महंगाई में लगातार कमी की वजह से ब्याज दरों में कटौती का फैसला किया गया है। 3 महीने में कोर महंगाई दर लगातार नीचे है। सामान्य मॉनसून, सप्लाई से खाद्य महंगाई पर असर मुमकिन है। आरबीआई ने आगे महंगाई बढ़ने की आशंका भी जताई है।

गवर्नर उर्जित पटेल का कहना है कि महंगाई को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। उन्होंने इशारों इशारों में किसानों के कर्ज माफी पर भी सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने आगे कहा कि किसानों के कर्ज माफी से वित्तीय घाटा बढ़ने का अनुमान है। जीएसटी और राज्यों में वेतन बढ़ोतरी से भी महंगाई बढ़ सकती है। एमपीसी लगातार महंगाई पर नजर बनाए हुए है।

साथ ही आरबीआई का मानना है कि अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम को बढ़ावा देना जरूरी है और इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक्कतों को दूर करना भी जरूरी है। आरबीआई के मुताबिक जीएसटी लागू करने में दिक्कत नहीं हुई है।


एचडीएफसी के वाइस चेयरमैन केकी मिस्त्री ने आने वाले वक्त में और 0.25 फीसदी के रेट कट की संभावना जताई है। वहीं क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डी के जोशी ने पॉलिसी को उम्मीद के मुताबिक बताया है और आगे के लिए रिस्क बताते हुए कहा कि मंहगाई ग्लोबल प्राइसेस, मॉनसून और जीएसटी पर आश्रित है।

इंडिया रेटिंग के चीफ इकोनॉमिस्ट देवेंद्र कुमार पंत का कहना है रेट कट के कारण रेट सेंसेटिव क्षेत्रों पर अच्छा असर देखने को मिलेगा। महिंद्रा ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट और चीफ इकोनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला का कहना है कि और 0.25 फीसदी के रेट कट के बजाय आरबीआई ने जो पॉलिसी रिव्यू की बात की है वह ज्यादा पॉजिटिव है।

गौरतलब है कि दरें कम होने से ईएमआई कम होने का रास्ता साफ हो गया है। कंज्यूमर के मन में अब यही सवाल है की चौथाई फीसदती दरें कम होने से उनकी ईएमआई पर क्या असर पड़ेगा। मान लीजिए अगर बैंकों ने भी 0.25 फीसदी कर्ज सस्ता किया तो ईएमआई का बोझ कम होना तय है। अगर आपने 30 लाख का होमलोन 20 साल के लिए लिया है तो हर महीने आपकी 475 रुपये की बचत होगी। मौजूदा ब्याज में आपको हर महीने 26,320 की ईएमआई चुकानी होती है लेकिन कर्ज सस्ता होने के बाद आपकी ईएमआई 475 रुपये कम होकर 25,845 रुपये हो जाएगी।

रियल एस्टेट इंडस्ट्री कर्ज सस्ता होने से खुश है। देश की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने उम्मीद जताई है कि आगे कर्ज और सस्ता होगा और इससे हाउसिंग सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिलेगा। फेडरल बैंक के सीएफओ आशुतोष खजुरिया का कहना है कि आरबीआई के कर्ज सस्ता करने के बाद बैंक भी इसका फायदा ग्राहकों को देंगे।

ब्याज दरों में कटौती से इंडस्ट्री भी खुश नजर आई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेट कट के लिए माहौल अनुकूल थे। इस बार आरबीआई से रेट कट की उन्हें पूरी उम्मीद थी। दीपक पारेख का कहना है कि महंगाई पूरी तरह नियंत्रण में है। जीएसटी लागू होने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा जो इकोनॉमी के लिए अच्छी बात है। वहीं हीरो एंटरप्राइज के चेयरमैन सुनील मुंजाल का कहना है कि आरबीआई को 0.50 फीसदी रेट कट करना चाहिए था। 

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