Alchemy Capital Management के फाउंडर लशित सांघवी (Lashit Sanghvi) और उनकी पत्नी को सिक्योरिटीज अपीलेट ट्राइब्यूनल (SAT) से राहत मिली है। SAT ने सांघवी को सिक्योरिटी मार्केट्स से 2 साल के लिए प्रतिबंधित करने के कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI के आदेश को खारिज कर दिया है। दरअसल SEBI ने एप्टेक के शेयरों में दिवंगत राकेश झुनझुनवाला से मिली जानकारी के आधार पर कथित रूप से कारोबार करने के लिए सांघवी और उनकी पत्नी को सिक्योरिटी मार्केट्स से प्रतिबंधित कर दिया था।
SEBI की जांच में पाया गया था कि सांघवी ने झुनझुनवाला से फोन पर बात की थी और फिर प्री-स्कूल सेगमेंट में कंपनी की एंट्री के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सार्वजनिक होने से पहले शेयरों में कारोबार किया था। झुनझुनवाला, एप्टेक के बोर्ड में थे। Alchemy Capital Management Pvt Ltd एक इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म है, जिसे हीरेन वेद, लशित सांघवी, राकेश झुनझुनवाला और अश्विन केडिया ने शुरू किया था।
SAT के आदेश में कहा गया है, "हमें इस संबंध में कोई सबूत नहीं मिला है और संभावनाओं की अधिकता भी यह संकेत नहीं देती है कि अपीलकर्ताओं की UPSI तक पहुंच थी।" UPSI से मतलब पब्लिश नहीं हुई प्राइस सेंसिटिव इनफॉरमेशन से है और ऐसी सूचना के आधार पर ट्रेडिंग करना SEBI के इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन है।
इस मामले की जड़ें 7 सितंबर 2016 तक जाती हैं, जब एप्टेक ने प्री-स्कूल सेगमेंट में एंट्री की घोषणा की। हालांकि कंपनी ने इस सूचना को UPSI के रूप में क्लासिफाई नहीं किया था, लेकिन SEBI का मानना था कि यह प्राइस सेंसिटिव इनफॉरमेशन थी। SEBI का यह भी मानना था कि UPSI अवधि 14 मार्च, 2016 को अस्तित्व में आई। यह वह दिन था, जब एप्टेक ने इस मामले में एनडीए साइन किया था। SEBI के मुताबिक, UPSI अवधि 7 सितंबर, 2016 तक चली।
दिलचस्प बात यह है कि SEBI की जांच से पता चला है कि सांघवी ने 16 अगस्त 2016 को झुनझुनवाला से बात की थी। उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर 19 अगस्त 2016 को एप्टेक के 50,000 शेयर और 7 सितंबर 2016 को 75,000 शेयर खरीदे थे। SEBI के अनुसार, यह कथित रूप से अंदरूनी जानकारी के आधार पर ट्रेड करने का मामला है और इसलिए यह नियमों उल्लंघन है। SEBI ने सांघवी दंपत्ति की 2 साल के लिए सिक्योरिटी मार्केट्स में एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया था और उन्हें कथित रूप से गलत तरीके से हासिल गेन लौटाने का भी आदेश दिया था।
लेकिन अब SAT ने फैसला सुनाया है कि महज एक फोन कॉल यह साबित करने का आधार नहीं हो सकती कि अंदरूनी सूचना के बेसिस पर सौदे किए गए थे। खासकर तब, जब सांघवी दंपत्ति एप्टेक में पहले से शेयरहोल्डर थे और अगस्त और सितंबर 2016 में अतिरिक्त शेयर खरीदने के बाद 7 साल तक शेयरों को अपने पास रखा था। बता दें कि राकेश झुनझुनवाला भी SEBI की जांच का हिस्सा थे। हालांकि उन्होंने SEBI की सेटलमेंट स्कीम के जरिए मामले को सेटल करने का विकल्प चुना था।