रुपया पहली बार 90 के पार, शेयर मार्केट में इन 5 सेक्टर्स पर पड़ेगा सबसे अधिक असर

Indian Rupee: भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। बुधवार 3 दिसंबर को इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू 90 के पार चली गई। आज गुरुवार को यह 90.4 रुपये के नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया। डॉलर के मुकाबले रुपये में इस गिरावट का असर शेयर मार्केट में भी कई सेक्टर्स पर देखा जा रहा है

अपडेटेड Dec 04, 2025 पर 2:59 PM
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Indian Rupee: रुपये में गिरावट का आईटी सेक्टर की कंपनियों को लाभ मिल सकता है

Indian Rupee: भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। बुधवार 3 दिसंबर को इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू 90 के पार चली गई। आज गुरुवार को यह 90.4 रुपये के नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया। डॉलर के मुकाबले रुपये में इस गिरावट का असर शेयर मार्केट में भी कई सेक्टर्स पर देखा जा रहा है। इनमें आईटी और फार्मा से लेकर ऑटो, ऑयल & गैस और केमिकल सेक्टर तक शामिल हैं।

रुपये में कमजोरी से कई कंपनियों की कमाई, लागत और मार्जिन पर सीधा असर पड़ता है। हालांकि कुछ कंपनियों को इस गिरावट से फायदा भी हो रहा है। आइए जानते हैं कि वो 5 सेक्टर्स कौन से हैं, जिन्हें भारतीय रुपये में गिरावट से सबसे अधिक फायदा और सबसे अधिक नुकसान हो सकता है।

1. आईटी सेक्टर

रुपये में गिरावट का अगर किसी को सबसे अधिक फायदा है तो वह आईटी सेक्टर है। भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है, जहां इनकी आमदनी वहां डॉलर में होती है। इसलिए रुपये के कमजोर होने पर उनकी मार्जिन में सुधार होता है। यही कारण है कि जहां एक तरह रुपये में गिरावट का रिकॉर्ड बन रहा है, वहीं दूसरी निफ्टी आईटी कंपनियों के शेयरों में तेजी दिखी रही है। निफ्टी आईटी इंडेक्स आज गुरुवार को 2 फीसदी अपने 4 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। विप्रो, टीसीएस, एम्फैसिस और टेक महिंद्रा के शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिली।


2. फार्मा सेक्टर

आईटी कंपनियों की तरह ही भारत की फार्मा कंपनियों के लिए भी अमेरिका एक बड़ा बाजार है। हालांकि अधिकतर एक्सपर्ट्स का कहना है कि फार्मा कंपनियों पर रुपये की गिरावट का प्रभाव सीमित रहता है। ऐसा इसलिए होता है कि अधिकतर कंपनियां अपनी डॉलर एक्सपोजर को हेज कर लेती हैं। कीमतें भी डॉलर के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखकर तय होती हैं। हालांकि रुपये में गिरावट से इन कंपनियों की इनपुट लागत में इजाफा होता है, जो कुल बिक्री का करीब 40%-60% हिस्सा होता है।

3. ऑटो सेक्टर

भारतीय रुपये में कमजोरी को ऑटो सेक्टर में TVS मोटर और बजाज ऑटो जैसी दो-पहिया कंपनियों के लिए फायदेमंद मानी जाती है। इसके अलावा भारत फोर्ज और संवर्धन मदरसन जैसी ऑटो एंसिलरी कंपनियों को भी करेंसी में गिरावट से फायदा होता है। TVS मोटर के वॉल्यूम का 30% और रेवेन्यू का 25%-26% हिस्सा एक्सपोर्ट से आता है। बजाज ऑटो की रेवेन्यू का तो लगभग 50% हिस्सा एक्सपोर्ट से आता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय करेंसी में हर 1 रुपये गिरावट से बजाज ऑटो के सालाना EBITDA में ₹200 करोड़ की बढ़ोतरी होती है। इसी तरह संवर्धन मदरसन के रेवेन्यू का 60% से 65% तक हिस्सा यूरोप और अमेरिका के ग्लोबल ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स से आता है। वहीं, भारत फोर्ज के रेवेन्यू मिक्स में 60% एक्सपोर्ट शामिल है।

4. ऑयल & गैस सेक्टर

ऑयल & गैस सेक्टर में जहां कुछ कंपनियों को रुपये में गिरावट से फायदा होने की उम्मीद है, वहीं कुछ को नुकसान हो सकता है। ONGC और ऑयल इंडिया के लिए करेंसी में हर 1 रुपये की गिरावट से उनके अर्निंग्स प्रति शेयर (EPS) में 1-2% की बढ़ोतरी होती है। यानी उन्हें फायदा होता है। हालांकि रिलायंस के लिए इसे थोड़ा नेगेटिव हो सकता है कि क्रूड, LNG और इथेन जैसे कमोडिटी ज्यादा इंपोर्ट होते हैं। लेकिन कंपनी की ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (GRMs) डॉलर में होता है, जो इसके लिए एक पॉजिटिव बात है।

सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स कंपनियों की बात करें तो, रुपये में कमजोरी से इन कंपनियों के लिए LNG इंपोर्ट का महंगा हो जाता है, जिससे इनकी इनपुट लागत बढ़ती हैं। ऐसे में उनके EPS (अर्निंग्स प्रति शेयर) पर 4%-11% का असर पड़ सकता है।

5. केमिकल सेक्टर

केमिकल सेक्टर की भी अमेरिकी मार्केट में काफी बड़ी हिस्सेदारी है। जो कंपनियां अमेरिका को ड़ा एक्सपोर्ट करती हैं, वे रुपये की गिरावट से लाभ में रह सकती हैं। नवीन फ्लोरीन, SRF, आरती इंडस्ट्रीज और अतुल लिमिटेड जैसे नाम शामिल हैं।

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