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SEBI ने निर्माण एग्री जेनेटिक्स पर लगाया प्रतिबंध, कंपनी पर आईपीओ से जुटाए गए 93% फंड के दुरूपयोग का आरोप

SEBI के होल-टाइम मेंबर कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने इस मामले में 14 अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी किया। इसमें कंपनी के प्रमोटर प्रणव कैलाश बागल को अगले आदेश तक सीधे या परोक्ष रूप से एनएजीएल के शेयरों को खरीदने, बेचने या इनमें किसी तरह की डील करने से रोक दिया गया है

अपडेटेड Oct 14, 2025 पर 10:57 PM
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एनएजीएल ने एसएमई प्लेटफॉर्म पर खुद को लिस्ट कराया था।

सेबी ने निर्माण एग्री जेनेटिक्स (एनएजीएल) पर बैन लगा दिया है। अब यह कंपनी सिक्योरिटीज मार्केट में ट्रांजेक्शंस नहीं कर पाएगी। एनएजीएल पर आईपीओ से जुटाए गए पैसे के दुरूपयोग का आरोप है। रेगुलेटर ने कंपनी को प्रस्तावित सभी कॉर्पोरेट एक्शंस रोकने का भी निर्देश दिया है। इनमें बोनस इश्यू, स्टॉक स्प्लिट और नाम बदलकर एग्रीकेयर लाइफ केयर करने का प्लान शामिल हैं। सेबी के अगले आदेश तक एनएजीएल पर यह रोक लगी रहेगी। एनएजीएल ने एसएमई प्लेटफॉर्म पर खुद को लिस्ट कराया था।

सेबी ने 14 अक्टूबर को इश्यू किया अंतरिम आदेश

SEBI के होल-टाइम मेंबर कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने इस मामले में 14 अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी किया। इसमें कंपनी के प्रमोटर प्रणव कैलाश बागल को अगले आदेश तक सीधे या परोक्ष रूप से एनएजीएल के शेयरों को खरीदने, बेचने या इनमें किसी तरह की डील करने से रोक दिया गया है। सेबी ने इस मामले की जांच में पाया कि कंपनी ने आईपीओ से जुटाए गए 20.30 करोड़ रुपये में से 18.89 करोड़ रुपये का दुरूपयोग किया। यह आईपीओ से जुटाई गई रकम का 93 फीसदी है।


कंपनी ने ऐसी फर्मों को फंड ट्रांसफर किए जो संदिग्ध थीं

NAGL ने आईपीओ से जुटाए गए पैसे को ऐसी कंपनियों को ट्रांसफर किया जो फर्जी थी या जिनका ऑपरेशन संदिग्ध था या इन पर बागल या उनके रिश्तेदारों का नियंत्रण था। रेगुलेटर ने यह भी पाया कि एनएजीएल ने फंड के इस्तेमाल के बारे में विरोधाभासी जानकारिया दी थीं। वह फंड के ट्रांसफर की सही वजह नहीं बता सकी। सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि कंपनी उन ट्रांजेक्शंस के बारे में कोई भरोसेमंद सबूत, किसी तरह के एग्रीमेंट या इनवॉयसेज पेश करने में नाकाम रही, जो उसके और संबंधित पक्षों के बीच हुए थे।

जांच में सेबी को फंड ट्रांसफर में कई गड़बड़ियां मिलीं

जांच में यह पाया गया कि कंपनी ने तीन कंपनियों को पेमेंट करने का दावा किया था। लेकिन यह पाया गया कि पेमेंट जिन अकाउंट्स में पेमेंट क्रेडिट का क्रेडिट हुआ था वे पूरी तरह से अलग पार्टीज से जुड़े थे। सेबी के मुताबिक, NAGL ने चार वेंडर एनटिटीज को 12.14 करोड़ रुपये के पेमेंट का दावा किया था। लेकिन इन फर्मों का ऑपरेशन संदिग्ध पाया गया। कंपनी पेमेंट्स को लेकर कोई वैध एग्रीमेंट या इनवॉयसेज पेश करने में नाकाम रही। एनएसई की साइट विजिट में पता चला कि इन कंपनियों का वजूद ही नहीं था। जो पता दिया गया था, वहां वे कंपनियां नहीं पाई गईं। किसी तरह की एग्रीकल्चर एक्टिविटी भी नहीं पाई गई, जैसा कि एनएजीएल ने दावा किया था।

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कंपनी में प्रमोटर ग्रुप की हिस्सेदारी में बड़ी गिरावट

सेबी ने भी आरोप लगाया है कि एनएजीएल ने आईपीओ से जुटाए गए 6.75 करोड़ रुपये कई परतों वाली ऐसी फर्मों को ट्रांसफर किए, जिनका संबंध एनएजीएल के प्रमोटर या उनके रिश्तेदारों से था। इन फर्मों को सीधे या परोक्ष रूप से पैसे के इस दुरूपयोग से फायदा हुआ था। जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी में प्रमोटर ग्रुप की हिस्सेदारी मार्च 2023 के 65.59 फीसदी से गिरकर 21.26 फीसदी रह गई थी।

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