सेबी बोर्ड ने नए एसेट क्लास को दी मंजूरी, निवेश के लिए कम से कम टिकट साइज 10 लाख रुपये

मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंड्स पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के अंतर को पाटने के लिए 'नए एसेट क्लास' को शुरू करने की मंजूरी दी है। सेबी बोर्ड ने 30 सितंबर को हुई बैठक में हर इनवेस्टर के हिसाब से 10 लाख रुपये के न्यूनतम टिकट साइज के आधार पर नए प्रोडक्ट को हरी झंडी दे दी। इसके तहत किसी खास AMC में सभी निवेश रणनीतियों के तहत नया प्रोडक्ट पेश किया जा सकेगा

अपडेटेड Sep 30, 2024 पर 11:23 PM
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सेबी ने इस साल जुलाई में कंसल्टेशन पेपर जारी किया था, जिसमें नए एसेट क्लास को लॉन्च करने को लेकर राय मांगी गई थी।

मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंड्स और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के बीच अंतर को पाटने के लिए 'नए एसेट क्लास' को शुरू करने की मंजूरी दी है। सेबी बोर्ड ने 30 सितंबर को हुई बैठक में हर इनवेस्टर के हिसाब से 10 लाख रुपये के न्यूनतम टिकट साइज के आधार पर नए प्रोडक्ट को हरी झंडी दे दी। इसके तहत किसी खास AMC में सभी निवेश रणनीतियों के तहत नया प्रोडक्ट पेश किया जा सकेगा।

सेबी की तरफ से 30 सितंबर को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, 'नए प्रोडक्ट के तहत ऑफर को 'इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी' माना जाएगा, ताकि इसे पारंपरिक म्यूचुअल फंडों के तहत ऑफर की गई स्कीम्स से बिल्कुल अलग रखा जा सके। नए प्रोडक्ट के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा किसी AMC में सभी निवेश रणनीतियों के तहत किसी नए प्रोडक्ट के लिए 10 लाख रुपये प्रति इनवेस्टर होगी। नए प्रोडक्ट का मकसद नए एसेट क्लास के जरिये देश के निवेश परिदृश्य में बेहतर विकल्प जोड़ना है।'

सेबी ने इस साल जुलाई में कंसल्टेशन पेपर जारी किया था, जिसमें नए एसेट क्लास को लॉन्च करने को लेकर राय मांगी गई थी। यह एसेट क्लास पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस और म्यूचुअल फंड के बीच का होगा, ताकि निवेशक ज्यादा जोखिम लेकर इसमें बड़ी रकम निवेश कर सकें। कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक, इस नए एसेट क्लास का मकसद निवेशकों को 10-50 लाख के रेंज में निवेश के लिए विकल्प उपलब्ध कराना है और इसके लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 10 लाख रुपये रखी गई है।


यह एसेट क्लास ज्यादा जोखिम के साथ ऊंचे रिटर्न की पेशकश करेगा। इसके तहत निवेश की रणनीतियों में लॉन्ग शॉर्ट इक्विटी फंड्स शामिल हैं। ग्लोबल स्तर पर ऐसी रणनीतियां अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में मौजूद हैं, लेकिन भारत में फिलहाल ये उपलब्ध नहीं हैं।

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